प्रमोद जोशी ।
वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव की खबरें कुछ समय से पृष्ठभूमि में चली गईं थी, पर शुक्रवार 06 नवंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत की चेतावनी के साथ बातें फिर से ताजा हो गईं हैं। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि आज से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के बातचीत का आठवाँ दौर शुरू हो रहा है।

जनरल रावत ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की चीनी कोशिशों को हम स्वीकार नहीं करेंगे। भारतीय सेना की दृढ़ता और संकल्प-शक्ति के कारण चीनी सेना को इस क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित एक वेबिनार में जनरल रावत ने कहा कि चीन के साथ ‘बड़े संघर्ष’ को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल इसकी संभावना कम है, पर चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत के कारण टकराव बढ़ने (यानी एस्केलेशन) और क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा होने का खतरा है।
Chief of Defence Staff (CDS) General Bipin Rawat, second right, with Indian Air Force Air Chief Marshal Rakesh Kumar Singh Bhadauria, right, Indian Army Chief General Manoj Mukund Naravane, left, and the chief of Indian Naval staff Admiral Karambir Singh
भारत और चीन ने मई में शुरू हुए गतिरोध को हल करने के लिए सात दौर की सैन्य वार्ता की है। इन वार्ताओं में अब तक बहुत कम प्रगति हुई है। गत जून में टकराव काफी कटु हो गया था, जब गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे।
अगस्त में, चीनी सैनिकों ने उन भारतीय सैनिकों को रोकने की कोशिश की, जिन्होंने चीनी पोस्टों की अनदेखी करते हुए पैंगांग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट पर महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर कब्जा किया था। दशकों बाद इस इलाके में पहली बार हवा में गोलीबारी हुई।

उन्होंने यह भी कहा, हालांकि हिंद महासागर को शांति-क्षेत्र माना जाता है, पर कुछ समय से हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इलाके में भू-सामरिक प्रतिद्वंद्विता देख रहे हैं। इस क्षेत्र में सैनिक अड्डे बनाए जाने की प्रतियोगिता चल रही है, जो थमती नजर नहीं आ रही है। चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के कारण हिंद महासागर क्षेत्र का सैन्यीकरण होता जाएगा।
चीन की मनोकामना वैश्विक शक्ति बनने की है, और वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दक्षिण एशिया में प्रवेश कर रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण उसकी आर्थिक संवृद्धि की गति सुस्त हुई है, जिसके कारण उसने अपने देश के भीतर दमन और विदेश में आक्रामकता का रुख अपनाया है। यह रवैया दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और ताइवान की खाड़ी में दिखाई पड़ रहा है।
सामयिक बदलाव के तौर पर राजनयिक रूप से हमारे देश ने कई प्रकार के कदम उठाए हैं। हमने क्वाड (चतुष्कोणीय रक्षा प्रणाली) के मार्फत अमेरिका, इसरायल और फ्रांस से शस्त्र प्रणालियाँ हासिल की हैं और आसियान देशों के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास किए हैं। हम पड़ोसी देशों के साथ सहयोग की नीति के आधार पर इस इलाके के भू-सामरिक परिदृश्य को पुनर्गठित कर रहे हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के कारण भारत के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। आने वाले समय में हम देखेंगे कि चीन कमजोर देशों के आर्थिक शोषण, अपने सैनिक आधुनिकीकरण और पश्चिम के साथ सैनिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने का काम करेगा। उन्होंने भारतीय सैन्य प्रणाली में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे बड़ा काम है इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड प्रणाली को अपनाना, जिससे कि हम अपनी पूरा ताकत का बेहतर इस्तेमाल कर सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि सामयिक बदलाव के तौर पर राजनयिक रूप से हमारे देश ने कई प्रकार के कदम उठाए हैं। हमने क्वाड (चतुष्कोणीय रक्षा प्रणाली) के मार्फत अमेरिका, इसरायल और फ्रांस से शस्त्र प्रणालियाँ हासिल की हैं और आसियान देशों के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास किए हैं। हम पड़ोसी देशों के साथ सहयोग की नीति के आधार पर इस इलाके के भू-सामरिक परिदृश्य को पुनर्गठित कर रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान संपादक हैं)