यमुना जी का एक लोटा जल चढ़ाने से मिलता है 1108 शिवलिंगों के अभिषेक का पुण्य।
मंदिर के पुजारी अनिल ने बताया कि यह मंदिर मथुरा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रमणरेती के पास पुरानी महावन कस्बे में भगवान शिव का यह मंदिर है। मान्यता है कि यहां एक लोटा जल चढ़ाने से 1108 शिवलिंग का अभिषेक करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। यहां भगवान शिव चिंताहरण महादेव के रूप में विराजमान हैं। पाषाण का यह शिवलिंग अद्भुत है। इस पर 1108 शिवलिंग उभरे हुए हैं। पूरी दुनिया में और कोई ऐसा मंदिर नहीं है। इसकी चमत्कारिक मान्यता के चलते भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने सात वर्ष की आयु में मिट्टी खाई थी तो मां यशोदा घबरा गईं और कृष्ण से मिट्टी को मुंह से निकालने को कहा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मुंह खोला तो पूरे ब्रह्मांड के दर्शन मां यशोदा को हुए थे। उसके बाद मां यशोदा घबरा गईं और भगवान शिव को पुकारने लगीं। तभी उनकी पुकार सुन भगवान शिव यहां प्रकट हो गए। उसके बाद यशोदा ने यमुना के एक लोटा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसके बाद मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान होकर सभी भक्तों की चिंताएं हरने का वचन मांगा। इसके बाद भगवान शिव ने मां यशोदा को वचन दिया। इस बात का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण के दसवें स्कन्द में भी है।
भगवान शिव ने मां यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त एक लोटा यमुना का जल चढ़ाएगा, उसके सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। दूसरी ओर यह भी मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण बाल रूप में थे, तब सभी देवता उनके बाल स्वरूप के दर्शन करने ब्रज में आए। भगवान शिव भी दर्शन करने आए, लेकिन मां यशोदा ने भगवान् शिव के गले में सांप को देखकर उन्हें कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। शिवजी को चिंता हुई। उन्होंने भगवान का ध्यान किया तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन देकर उनकी चिंता हर ली। बस तभी से भगवान भोलेनाथ यहीं विराजमान हो गए। इसका उल्लेख गर्ग संहिता और शिव महापुराण में भी मिलता है।(एएमएपी)