हैजा की बीमारी फिर से लौट आई है। हैजा यानी जिसे कॉलरा भी कहते हैं। हालांकि यह बीमारी अभी पूरी तरह से गई नहीं थी, लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं रही थी कि इसके सैकड़ों मरीज पैदा हो जाए और मौत के मुंह में समा जाएं। जिम्बाव्बे में कॉलरा के कहर ने एक बार फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत पूरी दुनिया को डरा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार जिम्बाब्वे में पिछले महीने के आखिर से अब तक हैजा के 100 संदिग्ध मरीजों की मौत हो गयी है। जबकि 5000 से अधिक संभावित मामले सामने आये हैं।

जिम्बाब्वे में 2018 के बाद फिर से ये स्‍थ‍िति बनी

जिम्बाब्वे के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर अलर्ट भी जारी किया है।  साथ ही कहा है कि साल 2018 के बाद पहली बार ऐसी स्थिति आई है, जो बेहद ही चिंताजनक है। इतने बड़े पैमाने पर जिम्मबाव्बे में इस बीमारी के फैलने के बाद सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अंतिम संस्कार में लोगों की संख्या सीमित करने तथा प्रभावित क्षेत्रों में कार्यक्रमों पर रोक लगाने समेत कई पाबंदियां लगायी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरने वालों की संख्या की घोषणा की है और कहा कि प्रयोगशाला की जांच के आधार पर 30 मरीजों की हैजा से मौत होने की पुष्टि हुई है। मंत्रालय ने कहा कि हैजा के 935 मामलों की पुष्टि हुई है। जबकि 4609 इस बीमारी के  मामले हैं।
आपको बता दें कि  जिम्बाब्वे में 2008 और 2009 में हैजा के प्रकोप के दौरान 4,000 से अधिक लोग मारे गए थे । स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दूषित पानी की वजह से हैजा तेजी से देश भर में फैला है।  जलजनित बीमारी के कारण, जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, उनमें ज्यादातर के लक्षण सामान हैं। अधिकांश मरीज गंभीर दस्त और उल्टी से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने लोगों से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने में सहयोग देने की अपील की है।

स्‍वस्‍थ रहने के लिए सरकार ने दिए निर्देश

उल्‍लेखनीय है कि  हैजा जलजनित बीमारी है जो गंदगी वाले क्षेत्रों में फैलती है। यह बीमारी दूषित पानी या भोजन ग्रहण करने से होती है। जिम्बाब्वे में स्वच्छ पेयजल की दिक्कत है। मानीकलांद और मासविंगो प्रांतों में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में अंतिम संस्कारों में शामिल होने वालों की संख्या 50 तक सिमित कर दी गयी है । सरकार ने कहा है कि लोगों को एक दूसरे से हाथ नहीं मिलाना चाहिए तथा अंतिम संस्कार के मौके पर भोजन नहीं परोसा जाना चाहिए। सरकार ने यह भी कहा कि लोगों को खुले बाजारों में नहीं जाना चाहिए, उन्हें सामाजिक कार्यक्रम में भी नहीं जाना चाहिए।

हैज़ा एक गंभीर रोग है जिसमे गंभीर डायरिया और डिहाइड्रेशन होता है। गंभीर मामलों में इसका तुरंत उपचार कराना आवश्यक है क्योंकि इस मामलों में कुछ ही घंटों में मृत्यु भी हो सकती है। विकसित देशों में हैजा बहुत ही दुर्लभ बीमारी है लेकिन आप इसका शिकार हो सकते हैं अगर आप ऐसे देश में यात्रा करते हैं जहां पानी और सीवेज की सही व्यवस्था नहीं की गयी है।

दूषित भोजन और पानी से फैलता है संक्रमण

दरअसल, हैजा के बैक्टीरिया व्यक्ति में दूषित भोजन खाने या पानी पीने के माध्यम से संक्रमित हो सकता है। आमतौर पर, इस महामारी के संदूषण का प्रमुख स्रोत् संक्रमित व्यक्ति का मल होता है। जब मक्खियाँ मल पर बैठती है, तब मक्खियों के पैरों की गद्दी में बैक्टीरिया चिपक जाते है। जब ये मक्खियाँ खाने की वस्तुओं पर बैठती हैं, तब बैक्टीरिया आहार में पहुँच जाता है। यह बैक्टीरिया दूषित आहार के माध्यम से व्यक्ति में संचारित हो जाता है। यह रोग सीवेज की अपर्याप्त सुविधा और अनुचित पीने के पानी की व्यवस्था वाले क्षेत्रों में तेज़ी से संचारित होता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती है बल्कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बीमार होने का कोई खतरा नहीं होता है।

सही ओरल तरल पदार्थों का सेवन कर जल्‍द ठीक हुआ जा सकता है

हैजा ऐसी बीमारी नहीं है जिसका उपचार बहुत मुश्किल हो या मरीज मुश्किल से ठीक होता हो। इसमें अधिकतर लोग सही ओरल तरल पदार्थों का सेवन कर के जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं।हैजा के अधिकतर मामलों में तो यह पता भी नहीं चलता है कि आप इस रोग का शिकार हुए हैं। इस इंफेक्शन के संपर्क में आने के सात से चौदह दिनों तक मल से हैजा के बैक्टीरिया (Bacteria) निकलते हैं। संक्रमित व्यक्तियों में दस में से एक व्यक्ति को इंफेक्शन के दो या तीन दिन बाद सामान्य लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं।

यदि किसी में इसके लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले आवश्‍यक है कि अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, निर्जलीकरण से बचने के लिए अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना आवश्यक होता है। निर्जलीकरण को रोकने ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) का उपयोग किया जाता है। मानक घरेलू नुस्खे जैसे कि नमकीन चावल का पानी (नमकीन मांड), नमकीन दही पेय, सब्जी और चिकन के सूप का सेवन भी किया जा सकता है। रोगी को घरेलू नुस्खे जैसे कि दाल का पानी, हरे नारियल का पानी, नमक रहित सूप, हल्की चाय (मीठे के बिना) और मीठा रहित ताज़ा फलों का रस सेवन के लिए दिया जा सकता है।(एएमएपी)