आपका अखबार ब्यूरो ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सभागार ‘समवेत’ में प्रसिद्ध फिल्म एवं सांस्कृतिक पत्रकार अजित राय की पुस्तक ‘बॉलीवुड की बुनियाद’ का लोकार्पण आईजीएनसीए के सदस्य सचिव प्रो. (डॉ.) सच्चिदानंद जोशी, लेखक अजित राय, पटकथा लेखक व फिल्म निर्देशक मुनीश भारद्वाज, वाणी प्रकाशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक श्री अरुण माहेश्वरी और अदिति माहेश्वरी गोयल ने किया। वाणी प्रकाशन से आई यह पुस्तक बॉलीवुड के उस इतिहास को बताती है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा।
आज भारतीय फिल्में पूरे विश्व में प्रदर्शित हो रही हैं और अच्छा कारोबार कर रही हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को यह ज्ञात होगा कि भारतीय फिल्मों के विदेशों में प्रदर्शन की शुरुआत कराने में हिन्दुजा बंधुओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। भारतीय फिल्मों के वैश्विक कारोबार की बुनियाद 1955 में हिन्दुजा बन्धुओं ने ईरान में रखी थी। राजकपूर की फिल्म ईरान में तीन साल तक चली थी और यह हिन्दुजा बन्धुओं की वजह से संभव हो पाया था। हिन्दुजा बन्धुओं ने 1954-55 से लेकर 1984-85 तक, तीस सालों में करीब 1,200 हिन्दी फिल्मों को विदेशों में प्रदर्शित कराने में अहभ भूमिका निभाई। भारतीय सिनेमा के व्यावसायिक पक्ष में उनके इस योगदान के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। अजित राय की पुस्तक ‘बॉलीवुड की बुनियाद’ भारतीय सिनेमा के इसी इतिहास पर रोचक अंदाज में प्रकाश डालती है।
पुस्तक के लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आईजीएनसीए के सदस्य प्रो. (डॉ.) सच्चिदानंद जोशी ने कहा जिस बॉलीवुड ने हमारी भारतीय संस्कृति का इतना अधिक प्रचार-प्रसार बाहर किया है, उसे भारत में एक प्रतिष्ठित उद्योग की संज्ञा अभी तक नहीं मिल पाई है और उसके लिए वह संघर्षरत है। इसका एक कारण ये भी रहा कि सिनेमा को सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन का माध्यम माना गया। इसके आगे हमने इसे और जानने, समझने की कोशिश नहीं की, जबकि यह तथ्य है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है। वह बहुत कुछ सीखने का भी माध्यम है, आपको बहुत सारी बातें सिनेमा से सीखने को मिलती हैं। इससे भी ज्यादा, यह व्यक्तित्व विकास का भी एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। डॉ. जोशी ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके माध्यम से लेखक अजित राय ने बॉलीवुड के एक अलग दौर की कहानी बताई है, जो पढ़ी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आईजीएनसीए ने भारत में सिनेमा के महत्त्व को स्वीकार करते हुए पिछले कुछ समय में सिनेमा की कई गंभीर और महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिसमें स्व. श्रीराम ताम्रकर जी के संपादन वाली पुस्तक ‘हिन्दी सिनेमा इनसाइक्लोपीडिया’ भी शामिल है।
इस अवसर पर ‘बॉलीवुड की बुनियाद’ के लेखक अजित राय ने फिल्म जगत और हिन्दुजा से जुड़े कुछ रोचक किस्से बताए। उन्होंने बताया कि जब राजकपूर अपनी फिल्म ‘संगम’ की शूटिंग विदेशों में करने की योजना बना रहे थे, तब उन्हें विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ी। सरकार ने शर्त रखी कि इसमें जितनी विदेशी मुद्रा खर्च होगी, फिल्म को उससे पांच गुनी विदेशी मुद्रा कमाकर देनी पड़ेगी। तब उद्योगपति हिन्दुजा ने राजकपूर को एक लाख पाउंड दिए थे और फिल्म का ईरान में प्रदर्शन भी सुनिश्चित किया था, जहां ये फिल्म तीन साल चली।
पुस्तक पर चर्चा करते हुए फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और शिक्षक मुनीश भारद्वाज ने सिनेमा में उद्योगपतियों, कारोबारियों के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वे फिल्म बना रहे थे, तब उन्हें दिल्ली के 15 व्यवसायियों ने फिल्म बनाने के लिए फंड मुहैया कराया। उन्होंने कहा कि सिनेमा में शुरू से ही उद्योगपतियों का योगदान रहा है। इस अवसर पर वाणी प्रकाशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा, “ये हिन्दी में शायद पहली ऐसी किताब है, जिसमें फिल्मों के अर्थशास्त्र के बारे में बताया गया हैं। इसमें अजित राय ने थोड़े शब्दों में बड़ी बात कही है।” वाणी प्रकाशन की अदिति माहेश्वरी गोयल ने इस अवसर पर किताब के आइडिया से लेकर उसके प्रकाशित होने तक की यात्रा के बारे में लोगों बताया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में आईजीएसीए के कला निधि प्रभाग की उपनिदेशक श्रीमती साफिया कबीर ने अतिथियों का परिचय दिया और उनके प्रति आभार प्रकट किया। कला निधि प्रभाग के श्री ओ.एन. चौबे ने अतिथियों और आगंतुकों को कार्यक्रम में सहभागी होने और इसे सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।