भारत से जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सरकार से कनाड़ा की जनता नाखुश नजर आ रही है। हाल ही में हुए एक सर्वे में इस  तरह के संकेत देखने को मिले हैं। सर्वे के अनुसार, कनाडा में उनकी सरकार पर संकट के बाद मंडराते नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर आज चुनाव होते हैं कि पीएम ट्रूडो बुरी तरह चुनाव हारेंगे और देश में कंजर्वेटिव की सरकार बनेगी। ट्रूडो ने आशंका जताई थी कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट का हाथ हो सकता है।

सर्वे में ये हुआ खुलासा

कनाडा के ग्लोबल न्यूज में प्रकाशित Ipsos सर्वे के अनुसार, जवाब देने वाले 40 फीसदी लोगों का मानना है कि कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिव्रे को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। वहीं, इस सूची में ट्रूडो दूसरे स्थान पर हैं। उन्हें 31 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, Ipsos के सीईओ डेरेल ब्रिकर का मानना है कि अगर आज चुनाव होते हैं, तो कंजर्वेटिव सरकार बना सकती है।

ये हैं आंकड़े

सर्वे में शामिल लोगों में से 31 फीसदी ने ट्रूडो का समर्थन किया है। इनमें 34 प्रतिशत पुरुष और 29 फीसदी महिलाएं हैं। जबकि, 38 फीसदी ने जवाब नहीं दिया। पहले स्थान पर मौजूद पोइलिव्रे को 40 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। उनके समर्थन में 43 प्रतिशत पुरुष और 39 फीसदी महिलाएं हैं। कंजर्वेटिव नेता के मामले में 18 लोगों ने जवाब नहीं दिया या अन्य का विकल्प चुना। इस सर्वे में तीसरे स्थान पर जगमीत सिंह हैं। उन्हें 22 प्रतिशत लोगों ने समर्थन दिया है। इनमें 18 फीसदी पुरुष और 26 प्रतिशत महिलाएं हैं। जबकि, यिवेस-फ्रेंकोइस ब्लैंशेट 6 फीसदी समर्थन के साथ चौथे स्थान पर रहे।

सर्वे में यह भी सामने आया है कि एक ओर जहां ट्रूडो को मिलने वाला समर्थन बरकरार नजर आ रहा है। वह 31 फीसदी पर बने हुए हैं। जबकि, पोइलिव्रे एक साल पहले की तुलना में 5 पॉइंट्स की बढ़त हासिल कर चुके हैं। ब्रिकर के मुताबिक, कनाडा में चुनाव के बड़े मुद्दे खर्च, आवास और महंगाई को बताया है। कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और आवास के मामले में ट्रूडो से बेहतर योजनाएं पोइलिव्रे के पास हैं।

ट्रूडो को जनता की यह है राय

एक ओर जहां ट्रूडो लगातार कह रहे हैं कि अगले चुनाव में वह ही लिबरल पार्टी की अगुवाई करने वाले हैं। वहीं, Ipsos के नतीजे दिखाते हैं कि 60 फीसदी कनाडाई नागरिक मानते हैं कि ट्रूडो को एक नेता के तौर पर अब पीछे हट जाना चाहिए और लिबरल पार्टी की अगुवाई किसी और नेता को मिलनी चाहिए। खास बात है कि दिसंबर 2022 में यह आंकड़ा 54 प्रतिशत पर था।(एएमएपी)