सुरेंद्र किशोर ।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल घोषणा कर दी कि टीकाकरण खत्म होने के बाद सी.ए.ए. लागू करेंगे। केंद्र सरकार के वकील सुप्रीम कोर्ट को पहले ही यह कह चुके हैं कि किसी भी सार्वभौम देश के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एन.आर.सी. जरूरी है।


मतुआ समुदाय

Image result for matua samuday bangal

सी.ए.ए. के तहत शरणार्थी दर्जाप्राप्त गैर मुसलमानों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इन शरणार्थियों में पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के लोग भी शामिल हैं। यह एक ऐसा समुदाय है जो हिन्दू तो है, पर वर्ण व्यवस्था को नहीं मानता। क्या इसीलिए उसे नागरिकता अब तक नहीं दी गई? मतुआ लोग पश्चिम बंगाल के तीन जिलों के 21 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 1947 में पूर्वी पाक से ये भारत आ गए थे। उन्हें मतदाता तो बना दिया गया किंतु नागरिकता नहीं दी गई। उनमें से अधिकतर अब भाजपा के साथ हैं।

हवा का रुख

Image result for dinesh trivedi istifa

उधर टी.एम.सी. के राज्यसभा सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने भी तृणमूल कांग्रेस व राज्यसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। गत डेढ़ साल में तृणमूल कांग्रेस के 6 सांसदों व 14 विधायकों ने भाजपा ज्वाइन किया है।
ऐसी लगभग एकतरफा महा भगदड़ इससे पहले किस दल से और कब हुई है? इससे कम भगदड़ पर भी कई सरकारें चली गईं। इस महा भगदड़ के विपरीत इस बीच किसी अन्य दल के किसी विधायक या सांसद ने टी.एम.सी ज्वाइन किया क्या? पता नहीं। आपको पता चले तो बता दीजिएगा।

अब समझिए कि हवा का रुख किधर है? वैसे यह हवा है या आंधी! उसका जवाब चुनाव नतीजा देगा।

बंगाल में भाजपा सरकार बनी तो…

Image result for amit shah bengal

 

यदि अगले चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बन गई तो क्या-क्या होगा? बंगलादेशी घुसपैठियों में से अनेक लोग वापस भागने की कोशिश करेंगे। वैसे वे भागने भी लगे हैं। खबर है कि भागने के लिए वे रिश्वत भी दे रहे हैं। यानी रिश्वखोरी का नुकसान है तो फायदा भी। उन्हें डर है कि उन्हें कहीं किसी घेरेबंदी वाले परिसर में डाल न दिया जाए!
बाकी का क्या होगा? कम से कम मतदाता सूची से तो वे बाहर हो ही जाएंगे। खैर सी.ए.ए. के खिलाफ आप ‘शाहीन बाग’का तमाशा देख चुके हैं। बंगाल चुनाव के बाद जब अमित शाह अपना वादा पूरा करने लगेंगे तो आशंका है कि देश में कई ‘शाहीनबाग’बनेंगे। इस देश के वोटलोलुप नेता भी वहां जमावड़ा लगाएंगे। राजनीतिक व अन्य तरह का तनाव बढ़ेगा।

इसलिए सब हो रहे एक

उस तनाव की पृष्ठभूमि में किस दल के वोट घटेंगे और किस दल के बढ़ेंगे? इस बारे में आप ही अनुमान लगाइए। हालांकि पिछले अनुभव आपके सामने हैं।

इस पृष्ठभूमि में 2024 के लोक सभा चुनाव का क्या नतीजा होगा? एक विश्लेषक के अनुसार “यदि मोदी 2024 में भी आ गया तो कोई नहीं बचेगा। इसलिए सब एक हो रहे हैं।”
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। सौजन्य : सोशल मीडिया)


राजनीतिक पूंजी खर्च करने का जोखिम उठाते मोदी