अंबानी-अडानी समेत 43 कंपनियां बोली से बाहर।
अडानी-अंबानी ने खींचे कदम, बताई ये वजह
रिपोर्ट की मानें तो फ्यूचर ग्रुप के एसेट्स के भारी वैल्यूएशन की वजह से अडानी और अंबानी ग्रुप ने बोली नहीं लगाने का फैसला किया है। हालांकि, इस फैसले को लेकर दोनों कारोबारी ग्रुप की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस समूह फ्यूचर की कई संपत्तियां खरीदने को इच्छुक था। रिलायंस FBB, CENTRAL जैसे ब्रांड खरीदने में दिलचस्पी थी। इसके अलावा अलग-अलग लोकेशन पर फ्यूचर ग्रुप के एसेट वेयरहाउसिंग और सप्लाई चेन पर रिलायंस की नजर थी। लेकिन वैल्यूएशन महंगे होने की वजह से रिलायंस को फैसला टालना पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक एसेट्स का वैल्यूएशन 9,000 करोड़ रुपये से अधिक था। जो महंगा दिख रहा है।
इसके अलावा अडानी ग्रुप ने भी बोली में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। अब केवल 6 कंपनियां दौड़ में हैं, जिसमें कोई बड़ा नाम नहीं है। फाइनल राउंड के लिए अब इन 6 कंपनियों की बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। उनमें स्पेस मंत्रा, पिनेकल एयर, पलगुन टेक एलएलसी, लहर सॉल्यूशंस, गुडविल फर्नीचर और सर्वभिष्ट ई-वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी शामिल है। फ्यूचर रिटेल पर करीब 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। दरअसल, बिग बाजार को चलाने वाली कंपनी कंगाल हो चुकी है। आखिर इतना पॉपुलर ब्रांड कैसे इतिहास बनने के कगार पर पहुंच गया है।
आइए समझते हैं पूरा माजरा…
सबसे पहले इस कंपनी के मालिक के बारे में बताते हैं। उनका नाम किशोर बियानी है। एक दशक पहले तक ये नाम रिटेल किंग के तौर पर पहचाना जाता था। बियानी ने Future Retail के जरिए रिटेल कारोबार का एक पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया था। लेकिन जिस तरह से उन्होंने फ्यूचर रिटेल को फर्श से अर्श पर पहुंचाया। ठीक उसी तरह अब कंपनी अर्श से फर्श पर पहुंच गई है।
बिग बाजार का कैसे आगाज?
बिग बाजार (Big Bazaar) फ्यूचर रिटेल का फ्लैगशिप ब्रांड है। लेकिन ऐसा नहीं है कि रातो-रात ये इतना बड़ा नाम बन गया। इसके शुरू होने की कहानी काफी पुरानी है। 1987 में Manz Wear Private Limited नाम से कंपनी की शुरुआत हुई थी। 1991 में कंपनी का नाम बदलकर Pantaloon Fashions (India) Limited कर दिया। 1992 में कंपनी का IPO आया। 1994 में Pantaloon Shoppe के नाम से देशभर में एक्सक्लूसिव मेन्सवियर स्टोर की शुरुआत की गई। कंपनी ने देश में मल्टी-ब्रांड रिटेल स्टोर के जरिए ब्रांडेड कपड़ों की बिक्री शुरू की।
Pantaloon Retail ने 2001 में महज 22 दिनों के भीतर कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में तीन बिग बाजार स्टोर्स (Big Bazaar Stores) की शुरुआत की। 2002 में फूड बाजार सुपरमार्केट चेन की शुरुआत हुई। इसके बाद 2003 में बिग बाजार ने नागपुर में स्टोर ओपन कर टीयर-2 शहरों में प्रवेश किया। 2007 में कंपनी ने कानपुर में अपने 50वें स्टोर की शुरुआत की थी। उसके बाद देखते ही देखते हर शहर में बिग बाजार खुल गए और लोगों की भीड़ उमड़ने लगी।
रिलायंस से डील टूटने पर भारी नुकसान
साल 2019 में फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में किशोर बियानी 80वें नंबर पर थे। 2019 से पहले उनका कारोबार तेजी से फैल रहा था। किशोर बियानी का फ्यूचर ग्रुप बीते कुछ साल से वित्तीय संकट से जूझ रहा है। यह तब हुआ, जब फ्यूचर रिटेल लिए गए कर्ज का भुगतान करने में फेल हो गई। इसके बाद बैंकों ने कंपनी के गिरवी रखे शेयरों को जब्त कर लिया। उसके बाद कर्ज उतारने के लिए किशोर बियानी ने रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड (RRFLL) से 24,713 करोड़ रुपये में एक सौदा किया, जिसमें फ्यूचर रिटेल को बेचने का फैसला हुआ। लेकिन अमेजन के विरोध के कारण ये सौदा कानूनी अड़चनों में फंस गया। उसके बाद रिलायंस भी सौदे से पीछे हट गया, और किशोर बियानी की कंपनी कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से दिवालिया हो गई।
दरअसल, साड़ियों के कारोबार से बिग बाजार तक के सफर तक पहुंचने वाले मारवाड़ी परिवार में जन्मे किशोर बियानी ने 1987 में पैंटालून की शुरुआत की थी। पैसे की कमी की वजह से उन्होंने इस कारोबार को साल 2012 में आदित्य बिड़ला ग्रुप को बेच दिया। पैंटालून और बिग बाजार की शुरुआत बियानी ने कोलकाता से की थी।
किशोर बियानी के बारे में
किशोर बियानी मुंबई के एच। आर कॉलेज के छात्र रहे हैं। उनकी कारोबारी यात्रा मुंबई में 1980 में स्टोन वॉश डेनिम फैब्रिक की बिक्री से शुरू हुई थी। किशोर बियानी का सपना हर किसी तक अपने खुद के लेबल के प्रोडक्ट को पहुंचाना था, और कुछ हदतक वो इसमें सफल भी रहे। महज 26 साल की उम्र में किशोर बियानी ने पैंटालून की शुरुआत की थी। बियानी का जन्म साल 9 अगस्त 1961 में मुंबई के एक कपड़ा व्यापारी के घर हुआ था।
किशोर बियानी के लिए साल 2019 सबसे संकट वाला रहा। उसके बाद कोरोना की वजह से संकट और गहरा गया। लगातार कर्ज बढ़ने से रेटिंग एजेंसियों ने भी रेटिंग घटा दी। जिससे फ्यूचर रिटेल के शेयर बिखर गए। एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार, ईजीडे और FBB के कुल 1,800 से अधिक स्टोर्स थे। जो देश के 420 शहरों में फैले हुए थे।(एएमएपी)