‘गगनयान’ कार्यक्रम के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में अगला कदम
श्री सोमनाथ ने कहा कि इसरो का लक्ष्य ‘गगनयान’ कार्यक्रम के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में अगला कदम उठाना है, जिसमें दो से तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को तीन दिनों तक पृथ्वी की कक्षा (एलईओ) में पहुंचाने की योजना है।
#ISRO is considering using #NASA‘s HVIT facility to test #Gaganyaan‘s Micro Meteoroid and Orbital Debris (MMOD) protection shield.
At the HVIT facility, projectiles are fired with velocities upto 6.5 km/s at objects to simulate micro meteoroids or space debris impacts. pic.twitter.com/Eh4Vbb2FlU
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) December 11, 2023
जिसके बाद उन्हें पूर्वनिर्धारित साइट पर भारतीय जल क्षेत्र में सुरक्षित रूप से वापस भेजा जाएगा। उन्होंने मनोरमा ईयरबुक 2024 के लिए एक विशेष लेख में यह बात कही है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना के चार परीक्षण पायलटों को मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के रुप में नामित चुना गया है। वर्तमान में, ये लोग बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा (एटीएफ) में मिशन-विशिष्ट प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल है, जिसमें एक मानव-रेटेड (मानवों को सुरक्षित रूप से परिवहन करने में सक्षम) लॉन्च वाहन (एचएलवीएम 3), एक क्रू मॉड्यूल (सीएम) और सर्विस मॉड्यूल (एसएम), और जीवन समर्थन प्रणाली वाला एक ऑर्बिटल मॉड्यूल शामिल है। एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट, पैड एबॉटर् टेस्ट और टेस्ट वाहन उड़ानों के अलावा दो समान गैर-चालक दल मिशन (जी1 और जी2) मानवयुक्त मिशन से पहले होंगे।
क्रू एस्केप सिस्टम के इन-फ्लाइट डिलिवरी का सफलतापूर्वक प्रदर्शन
सीएम अंतरिक्ष में चालक दल के लिए पृथ्वी जैसे वातावरण वाला रहने योग्य स्थान है और इसे सुरक्षित पुन: प्रवेश के लिए डिज़ाइन किया गया है। सुरक्षा उपायों में आपात स्थिति के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) भी शामिल है। उन्होंने कहा कि परीक्षण वाहन (टीवी-डी1) की पहली विकास उड़ान 21 अक्टूबर, 2023 को प्रक्षेपित की गई थी, और इसने क्रू एस्केप सिस्टम के इन-फ्लाइट डिलिवरी का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, इसके बाद क्रू मॉड्यूल को अलग किया गया और भारतीय सेना ने बंगाल की खाड़ी से इसकी सुरक्षित पुनर्प्राप्ति की गई। उन्होंने कहा,”इस परीक्षण उड़ान की सफलता बाद के मानव रहित मिशनों और 2025 में प्रक्षेपित होने वाले अंतिम मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण थी।
#Gaganyaan final configuration posters #ISRO
Credit @Rethik_D pic.twitter.com/w8e2aLXDdt— Exotic Space 𝕏 (@das_shann) December 8, 2023
” श्री सोमनाथ ने कहा, इसरो की एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना आदित्य एल1 है, जो भारत का पहला सौर खोजपूर्ण मिशन है। यह लैग्रेंज प्वाइंट 1 के अनूठे सुविधाजनक बिंदु से सूर्य का अध्ययन करेगा। यह चंद्र और सौर अनुसंधान दोनों में देश की शक्ति का प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न इसरो केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित सात वैज्ञानिक पेलोड से लैस, आदित्य एल 1 अंतरिक्ष यान सूर्य के रहस्यों की खोज करेगा, जिसमें सौर कोरोना, सौर हवा, सौर फ्लेयर्स और इंटरप्लेनेटरी चुंबकीय क्षेत्रों को मापना शामिल है।
आदित्य एल1 पांच साल के मिशन के लिए तैयार है
उन्होंने कहा कि दो सितंबर, 2023 को प्रक्षेपित किया गया, आदित्य एल1 पांच साल के मिशन के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) की ओर अपने इच्छित पथ पर है, जहां इसे जनवरी 2024 में हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बारे में कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त (चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग) को भारत में ”राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” के रूप में घोषित किया है। उन्होंने कुछ अन्य महत्वाकांक्षी चल रहे और आगामी मिशनों का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी), पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (आरएलवी) कार्यक्रम, एक्स-रे खगोल विज्ञान मिशन एक्सपीओएसएटी (एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट), स्पेस डॉकिंग प्रयोग और एलओएक्स -मीथेन इंजन शामिल हैं।
वैश्विक अंतरिक्ष पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत होगी
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वैश्विक अंतरिक्ष पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को चालू करने और वीनस ऑर्बिटर मिशन और मंगल लैंडर की विशेषता वाले अंतरग्रहीय अन्वेषण जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। श्री सोमनाथ ने कहा,”भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए तैयार है .. प्रक्षेपित किए गए हर मिशन और की गई हर खोज के साथ, इसरो वैश्विक मंच पर एक ताकत के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि करता है, राष्ट्रीय गौरव पैदा करता है और भारत की तकनीकी उपलब्धि का विस्तार करता है। (एएमएपी)