कमलनाथ ने बोली ये खास बातें…

प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) प्रमुख एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता राहुल गांधी ने समाज के वंचित तबके का जो मुद्दा उठाया है, वह सामाजिक न्याय की कसौटी है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनते ही जातिगत जनगणना कराई जाएगी और समाज के हर वर्ग को शासन और प्रशासन दोनों में न्यायोचित हिस्सेदारी दी जाएगी।इसके साथ ही पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी सदैव से सामाजिक न्याय के साथ खड़ी रही है। मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला भी कांग्रेस की सरकार ने किया था, जिसे भाजपा ने षड्यंत्रपूर्वक खत्म कर दिया। उन्होंने आगे लिखा कांग्रेस आएगी। सामाजिक न्याय लाएगी।

बिहार में जातिगत मतगणना कराए जाने से उठी है यह मांग

उल्‍लेखनीय है कि राहुल गांधी ने सोशल मीडिया में लिखा था कि बिहार की जातिगत जनगणना से पहला चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत है। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ तीन ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र पांच प्रतिशत बजट संभालते हैं। इससे पहले राहुल गांधी ने अपने मध्य प्रदेश दौरे पर केंद्री की मोदी सरकार को ओबीसी विरोधी बताया था। वहीं, आपको बतादें कि इस समय प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने आप को ओबीसी का हितैषी बता रही हैं। इसका कारण प्रदेश की 80 से अधिक सीटों पर ओबीसी वर्ग का प्रभाव होना है। भाजपा दावा करती है कि उसने प्रदेश को तीन-तीन ओबीसी मुख्यमंत्री उमा, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान दिए। कांग्रेस सिर्फ उलझाने का काम करती है। वहीं, कांग्रेस दावा कर रही है कि उसने ओबीसी को 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। हालांकि अभी यह कोर्ट में लंबित है।

इससे पहले  बिहार में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट 02 अक्टूबर को जारी कर दी गई, जिसके बाद से ये मांग देश के कई राज्‍यों से सामने आ रही है कि जातिगत मतगणना देश भर में हर राज्‍य में हो। जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में खूब बवाल भी मचा तथा हाई कोर्ट से लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।  बिहार में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत है।  अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत है।   बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है।  अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने इस दौरान बताया भी कि एक जून 2022 को सर्वदलीय बैठक में बिहार में जाति आधारित गणना कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था,  इसके बाद दो जून 2022 को राज्य मंत्री परिषद द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर राज्य में जाति आधारित गणना को दो चरणों में फरवरी 2023 तक संपन्न करने का निर्णय लिया गया था।

बिहार में 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं पाई गईं

राज्य सरकार ने राज्य के सभी धर्म एवं जातियों की गणना को संपन्न कराया है।  बिहार राज्य में हुई गणना के अनुसार पूरे बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 पाई गई है।  इसमें बिहार के बाहर में रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है।  बिहार राज्य में रहने वालों की कुल जनसंख्या 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार 288 है।  इसमें पुरुषों की कुल संख्या छह करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है। अन्य की संख्या 82 हजार 836 पाई गई है।  गणना के अनुसार 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं पाई गई हैं।  इनमें पूरे बिहार में कुल दो करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 परिवार सर्वेक्षित किया गया है।

यहां हिन्‍दुओं की संख्‍या है 10 करोड़ 71 लाख से अधिक

जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सबसे अधिक हिंदुओं की संख्या है।  इनकी संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हजार 958 है।  बिहार में मुस्लिम की संख्या 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है।  ईसाई की संख्या 75238, सिख की संख्या 14753, बौद्ध की संख्या 111201 और जैन की संख्या 12523 है।  बिहार सरकार का कहना है कि राज्य में जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जाति जनगणना कराई गई है।  सरकार का कहना है कि इससे आरक्षण के लिए प्रावधान करने और विभिन्न योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। लेकिन राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय ने सर्वे रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है।

ट्रांसजेंडर बिहार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट को बता रहे फर्जी

आंकड़ों को लेकर सवाल उठाए गए हैं।  ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने बिहार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट को फर्जी करार दिया और दावा किया कि गणना प्रक्रिया के दौरान उनसे ब्‍योरा नहीं लिया गया। रेशमा ने कहा है कि रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार का दावा है कि ट्रांसजेंडर लोगों की आबादी केवल 825 है, जबकि 2011 की जनगणना में हमारी आबादी 42,000 से अधिक थी।  सर्वेक्षण अधिकारियों ने बिहार में सभी ट्रांसजेंडरों की पहचान नहीं की।  मेरी तो गिनती भी नहीं हुई, किसी ने मुझसे मेरी जाति के बारे में नहीं पूछा।  उन्होंने कहा कि तीसरे लिंग का उल्लेख कॉलम संख्या 22 में किया गया है, जो कहता है कि कुल जनसंख्या सिर्फ 825 है और प्रतिशत 0.0006 है।  ये बिल्कुल फर्जी है, यदि वे वास्तविक संख्या जानना चाहते हैं, तो उन्हें पटना जंक्शन, रेलवे स्टेशन और टोल प्लाजा पर जाना चाहिए।

रेशमा ने कहा कि चूंकि उन्होंने मेरा सर्वेक्षण नहीं किया है, इसलिए मैंने पहले ही पटना उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है।  बिहार सरकार ने हमारे साथ अन्याय किया है। उन्‍होंने कहा है कि ट्रांसजेंडर लोग शुभ अवसरों पर लोगों को आशीर्वाद देते हैं, लेकिन अगर उनके साथ अन्याय होता है, तो वे शाप देते हैं। इस संबंध में आपको बतादें कि इससे पहले राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी दावा किया था कि मतगणना के दौरान उनकी जाति और अन्य विवरण पूछने के लिए कोई भी उनके पास नहीं पहुंचा था।(एएमएपी)