झारखण्ड में भी जूनियर पार्टनर की हैसियत से आगे नहीं बढ़ पाई।

चुनाव में कांग्रेस की हार का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा और पार्टी ने महाराष्ट्र में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया तथा झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की कनिष्ठ सहयोगी बनकर रह गई।

हालिया चुनाव परिणामों में अन्य सहयोगियों के बेहतर प्रदर्शन के कारण विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस का दबदबा और कम हो जाएगा।

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झारखंड में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की जीत कुछ हद तक राहत देने वाली थी, लेकिन हरियाणा में हार के बाद महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में खराब प्रदर्शन से गठबंधन राजनीति के इस युग में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की सौदेबाजी की क्षमता कमजोर हो सकती है।

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उपचुनाव में नांदेड़ लोकसभा सीट भाजपा से हारने के बाद कांग्रेस की लोकसभा में सीट भी घटकर 98 रह गईं। महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी (एमवीए) के खराब प्रदर्शन ने भविष्य में राज्य से राज्यसभा सीट मिलने की उम्मीदों को भी खत्म कर दिया। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपनी शानदार जीत के साथ द्विवार्षिक चुनावों के अगले चक्र में राज्यसभा में बहुमत हासिल करने के लिए तैयार है।

महाराष्ट्र में विपक्षी एमवीए की प्रमुख पार्टी होने के बावजूद, कांग्रेस विपक्षी खेमे को बढ़त दिलाने में विफल रही और राजग की सुनामी के सामने ध्वस्त हो गई।

कांग्रेस ने एमवीए सहयोगियों के बीच सबसे अधिक संख्या में 101 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और केवल 16 सीट पर जीत की ओर अग्रसर है और सफलता की 16 प्रतिशत की दर के साथ यह उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा।

महाराष्ट्र चुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन शरद पवार की राकांपा (एसपी) का रहा, जिसकी सफलता की दर 11.6 प्रतिशत रही। राकांपा (एसपी) ने 86 सीट पर चुनाव लड़ा और 10 सीट पर जीत/बढ़त ली जबकि शिवसेना (उबाठा) 95 सीट पर लड़े गए चुनाव में 21 सीट पर बढ़त/जीत हासिल कर सकी। महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीट हैं।

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दूसरी ओर, भाजपा का प्रदर्शन सर्वाधिक 88.6 प्रतिशत रहा, जिसने 149 सीट में से 132 पर बढ़त/जीत हासिल की।

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झामुमो ने सत्तारूढ़ गठबंधन को जीत दिलाई, क्योंकि उनकी पार्टी ने पिछले चुनावों के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक वोट हासिल किया, जबकि बाकी दलों का वोट प्रतिशत या तो गिर गया या स्थिर रहा।

झारखंड में भाजपा को 33.15 प्रतिशत वोट मिला, जबकि झामुमो को 23.17 प्रतिशत और कांग्रेस को 15.57 प्रतिशत वोट मिले। आजसू (राजग सहयोगी) को 2019 की तुलना में लगभग पांच प्रतिशत कम वोट मिला और झामुमो ने पांच प्रतिशत की बढ़त ली जबकि कांग्रेस को दो प्रतिशत वोट का लाभ हुआ।

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शनिवार को आए परिणामों से पता चलता है कि कांग्रेस चुनावी परिदृश्य में लगातार पिछड़ रही है, जहां वह सत्ता में है, वहां उसे जीत या स्थिति में सुधार करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, तथा जहां वह वरिष्ठ सहयोगी है, वहां गठबंधन को मजबूत करने में विफल हो रही है।

निर्वाचन आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 43 सीट पर किस्मत आजमा रहा झामुमो 30 सीट पर, 30 सीट पर लड़ी कांग्रेस 16 सीट पर, छह सीट पर किस्मत आजमा रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चार सीट पर और चार सीट पर लड़ी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन दो सीट पर विजयी रहे हैं।

झारखंड में 68 सीट पर लड़ी भाजपा 21 सीट पर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) एक सीट पर और दो सीट पर किस्मत आजमा रहा जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) एक सीट पर जीते हैं। आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) पार्टी ने 10 सीट पर चुनाव लड़ा था और केवल एक पर कामयाबी पायी है।