सुरेंद्र किशोर। 

1977 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार में एक भी सीट नहीं मिली थी। 2025 में  बिहार विधानसभा चुनाव में तो फिर भी उसे 6 सीटें मिल गईं। 

1977 में अपनी हार के बाद इंदिरा गांधी ने कहा था कि ‘‘कांग्रेस पार्टी जनता के सामूहिक फैसले को बिना शर्त के और विनम्रता की भावना के साथ स्वीकार करती है।’’

Courtesy: National Herald

किंतु बिहार विधानसभा की 6 सीटें मिलने के बावजूद कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने कहा है कि “कांग्रेस, उसके गठबंधन के सहयोगी अैार बिहार के लोग इस परिणाम पर विश्वास नहीं कर सकते।’’

1977 में बिहार सहित देश के मतदाताओं ने आपातकाल के अत्याचारों के खिलाफ मतदान किया था।

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार के मतदाताओं ने जंगल राज (1990–2005) की वापसी के खतरे के खिलाफ भी मतदान किया था। याद रहे कि चुनाव प्रचार के दौरान ही खुद तेजस्वी यादव ने ही सार्वजनिक रूप से यह कह कर जंगल राज की याद दिला दी थी कि ‘‘शहाबुद्दीन अमर रहें, तसलीमुद्दीन अमर रहें।’’

वैसे बिहार विधान सभा के इस चुनाव में मोदी-नीतीश के बहुत सारे सकारात्मक कार्यों की मुख्य भूमिका रही।

आपातकाल और जंगल राज: कुछ समानताएं

मैं आपातकाल ओर जंगल राज दोनों का प्रत्यक्षदर्शी और भुक्तभोगी रहा हूं।

आपातकाल में भारत सरकार के एटाॅर्नी जनरल नीरेन डे ने सुप्रीम कोर्ट से कह दिया था कि यदि शासन किसी की जान भी ले ले तो उसके खिलाफ अदालत की शरण नहीं ली जा सकती।

जंगल राज में बिहार में शाम में अंधेरा हो जाने के बाद आम लोगों का घर से निकलना बंद था।

यानी,स्वघोषित कर्फ्यू !!

Courtesy: OpIndia

आपातकाल में अखबारों के लोगों को अपनी प्रकाशन सामग्री सरकारी संगठन

 पी.आई.बी. से पहले पास करानी पड़ती थी।

पी.आई.बी.जिस सामग्री को रोक देता था, उसे छापने की हिम्मत अखबारों की नहीं थी अन्यथा जेल।

अब जंगल राज का मेरा अनुभव जानिए।

मैं जनसत्ता का संवाददाता था। बिहार के एक जिला मुख्यालय में खबर के लिए गया था।होटल में टिका था।खबर लिखकर फैक्स मशीन वाले के पास गया। उसने कहा कि थोड़ी देर के बाद आइए।

मैं होटल के कमरे में आ गया। एक स्थानीय संवाददाता से पूछा- “उसने थोड़ी देर के बाद आने को क्यों कहा जबकि उसकी मशीन ठीक थी?“

उसने बताया कि वह पहले ‘‘बाहुबली’’ को फोन पर आपकी खबर को पढ़कर सुनाएगा।यदि बाहुबली (उसका नाम लिया) स्वीकृति देगा, तभी  उसे भेजेगा। अन्यथा आप जाइएगा तो कह देगा कि मशीन खराब हो गयी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख उनकी वॉल से साभार)