प्रधानमंत्री मोदी ने की सहकारिता से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत
को-ऑपरेटिव्स से एक व्यापक एक्शन प्लान बनाने के लिए मेरा यह आग्रह… pic.twitter.com/nQ5ar5fRwy
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2024
खेती और किसानी की नींव को मजबूत करने में सहकारिता की बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया के सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना की शुरुआत की गई है। इसके परिणामस्वरूप देश के हर कोने में हजारों वेयरहाउस और गोदाम बनाए जाएंगे। इसके अलावा आज 18000 पैक्स के कंप्यूटराइजेशन का काम भी पूरा हुआ है। इससे देश के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आयेगा और कृषि क्षेत्र से आधुनिक तकनीक जुड़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता भारत के लिए प्राचीन अवधारणा है। उन्होंने एक ग्रंथ का हवाला देते हुए बताया कि छोटे संसाधनों को एक साथ मिलाने पर बड़ा काम पूरा किया जा सकता है और भारत में गांवों की प्राचीन व्यवस्था में इसी मॉडल का पालन किया जाता था। उन्होंने कहा कि खेती और किसानी की नींव को मजबूत करने में सहकारिता की शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इस सोच के साथ हमने अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस नए मंत्रालय के माध्यम से सरकार का लक्ष्य भारत के कृषि क्षेत्र की खंडित शक्तियों को एक साथ लाना है।
किसानों के बीच बढ़ती उद्यमशीलता का किया उल्लेख
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने गांवों में छोटे किसानों के बीच बढ़ती उद्यमशीलता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अलग मंत्रालय होने के कारण देश में 10,000 एफपीओ के लक्ष्य में से 8000 एफपीओ पहले से ही कार्यरत हैं। सहकारिता का लाभ अब मछुआरों और पशुपालकों तक भी पहुंच रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र में 25,000 से अधिक सहकारी इकाइयां कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री ने आने वाले वर्षों में 200,000 सहकारी समितियों की स्थापना के सरकार के लक्ष्य को दोहराया।
विकसित भारत के निर्माण के लिए कृषि प्रणालियों का आधुनिकीकरण जरूरी
प्रधानमंत्री ने पीएसीएस जैसे सरकारी संगठनों के लिए नई भूमिका बनाने के सरकार के प्रयास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए कृषि प्रणालियों का आधुनिकीकरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये समितियां जन औषधि केंद्र के रूप में कार्य कर रही हैं जबकि हजारों पीएम किसान समृद्धि केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर के क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियों का भी उल्लेख किया, जबकि पैक्स कई गांवों में जल समितियों की भूमिका भी निभाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे ऋण समितियों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है और आय के नए स्रोत भी पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां अब गांवों में सामान्य सेवा केंद्रों के रूप में काम कर रही हैं और सैकड़ों सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि इससे गांवों में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
किसान भाई-बहनों के हित में हम दशकों से चली आ रही भंडारण की समस्या का समाधान सहकारी समितियों के जरिए कर रहे हैं। pic.twitter.com/MUiMs9yDxa
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2024
आत्मनिर्भर भारत के बिना विकसित भारत संभव नहीं
प्रधानमंत्री ने विकसित भारत की यात्रा में सहकारी संस्थानों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने उनसे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों में योगदान देने को कहा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आत्मनिर्भर भारत के बिना विकसित भारत संभव नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि सहकारी को उन वस्तुओं की सूची बनानी चाहिए जिनके लिए हम आयात पर निर्भर हैं और यह पता लगाना चाहिए कि सहकारी क्षेत्र उन्हें स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने में कैसे मदद कर सकता है। उन्होंने एक उत्पाद के रूप में खाद्य तेल का उदाहरण दिया जिसे अपनाया जा सकता है। इसी तरह इथेनॉल के लिए सहयोगात्मक प्रयास ऊर्जा जरूरतों के लिए तेल आयात पर निर्भरता को कम कर सकता है। दलहन आयात एक अन्य क्षेत्र है जिसे प्रधानमंत्री ने विदेशी निर्भरता को कम करने के लिए सहकारी समितियों के लिए सुझाया है। उन्होंने कहा कि कई वस्तुओं का विनिर्माण भी सहकारी समितियों द्वारा किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने सहकारी समितियों से किया ये आव्हान
प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती और किसानों को ऊर्जादाता (ऊर्जा प्रदाता) और उर्वरकदाता (उर्वरक प्रदाता) बनाने में सहकारी समितियों की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि खेतों की सीमाओं पर छत पर लगे सौर ऊर्जा और सौर पैनलों को सहकारी पहल के क्षेत्रों के रूप में देखा जा सकता है। इसी तरह का हस्तक्षेप गोवर्धन, जैव सीएनजी, खाद और अपशिष्ट से धन के उत्पादन में भी संभव है। उन्होंने कहा कि इससे उर्वरक आयात बिल भी कम होगा। उन्होंने सहकारी समितियों से छोटे किसानों के प्रयासों की वैश्विक ब्रांडिंग के लिए आगे आने को कहा। उन्होंने श्रीअन्न (मोटा अनाज) को वैश्विक स्तर पर डाइनिंग टेबल पर उपलब्ध कराने के लिए भी कहा।
संत रविदास के संकल्पों को पूरा कर रही भाजपा सरकार : नरेन्द्र मोदी
इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद से सहकारी क्षेत्र के कर्मचारियों की ओर से अलग सहकारिता मंत्रालय की मांग की जा रही थी। समय के साथ सहकारी क्षेत्र में बदलाव, इसे प्रासंगिक बनाए रखने और इसे आधुनिक बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण था। पिछली सरकारों ने इस जरूरत को पूरा नहीं किया लेकिन नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस मांग को पूरा किया और एक पूर्ण सहकारिता मंत्रालय का गठन किया।(एएमएपी)