आपका अखबार ब्यूरो ।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का तूफान रोज अधिक भयावह और विनाशकारी रूप लेता जा रहा है। देश के स्वास्थ्य प्रणाली मरीजों की बढ़ती संख्या का बोझ उठा पाने में खुद को असहाय पा रही है। लगातार तीसरे दिन कोरोना संक्रमण के चार लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं।
इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि पिछले 24 घंटों में 4127 कोरोना पीड़ितों ने अपनी जान गंवाई है, जो कि एक दिन में कोरोना से हुई मौतों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 6 मई को देश में 3980 कोविड मरीजों की मृत्यु हुई थी।
तड़प-तड़प कर मरने के बाद भी राहत नहीं
देश के अधिकतर हिस्सों में स्वास्थ्य तंत्र भारी दबाव में है। सैकड़ों लोग बिना इलाज के ही दम तोड़ रहे हैं। अस्पतालों मैं बेड, वेंटिलेटर, दवाएं और ऑक्सीजन मिलना दूभर हो गया है। लोग तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं और मरने के बाद भी उन्हें दुख से राहत नहीं है। श्मशान घाटों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लंबी वेटिंग चल रही है।
नए मरीजों के मुकाबले ठीक होने वाले मरीज बहुत कम
कोरोना के सक्रिय मामलों को लेकर भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस समय 34 लाख 23 हजार 446 संक्रमित रोगियों का इलाज चल रहा है। अमेरिका के बाद कोरोना के सबसे ज्यादा एक्टिव केस भारत में हैं। रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बहुत कम है।
कोविड-19 राष्ट्रीय नीति में बदलाव
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के लिए बनाई राष्ट्रीय नीति में एक बड़ा बदलाव किया है। कोरोना मरीजों के त्वरित, प्रभावकारी और उचित इलाज के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नीति में कुछ नए निर्देश जोड़े हैं, जो कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को मानने होंगे ।
नई नीति के मुताबिक किसी भी कोविड अस्पताल में बिना पॉजिटिव रिपोर्ट वाले मरीज को भी भर्ती कर उसका इलाज किया जाएगा। अभी तक कोविड अस्पताल में भर्ती होने के लिए मरीज के पास कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट होना अनिवार्य था। अगर मरीज के पास कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट न हो तो कोविड अस्पताल उसे भर्ती नहीं करते थे।
कोरोना संबंधित संशोधित राष्ट्रीय नीति में कहा गया है कि कोई भी कोविड अस्पताल किसी भी बहाने से मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकता। अगर मरीज किसी दूसरे शहर का रहने वाला है तो भी अस्पताल उसका इलाज करेगा जिसमें ऑक्सीजन और जरूरी दवाएं शामिल हैं।
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