अजय विद्युत ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने अजीबोगरीब व्यवहार और बातों के लिए प्रायः सुर्खियां बटोरते रहते हैं। ‘हिट एंड रन’ में उनको महारत हासिल है। उनके बाल हठ भी ‘चंद्र खिलौना’ से कम की डिमांड नहीं करते। आजकल उन्होंने केंद्र सरकार से वैक्सीन वैक्सीन की रट लगा रखी है।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा कोरोना
कोरोना अपनी पीक के खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। केजरीवाल का कहना है कि “दिल्ली में कोरोना के प्रसार को रोकना है तो सभी दिल्लीवासियों को वैक्सीन लगवा दी जाए।” हालांकि वह जानते हैं कि यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है क्योंकि कोरोना वैक्सीन फिलहाल एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है।
65 फ़ीसदी मरीज 25 साल से कम उम्र के
अरविंद केजरीवाल का कहना है कि “दिल्ली में इस वक्त का पीक नवंबर से भी खतरनाक है। अभी 45 साल से ऊपर के ही लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि दिल्ली में कोरोना के 65 फ़ीसदी मरीज 25 साल से कम उम्र के हैं।” वह सवाल उठाते हैं कि “फिर कोरोना रुकेगा कैसे?” … और तुरंत ही जवाब पेश करते हैं कि “कोरोना का चक्र तभी टूटेगा जब वैक्सीनेशन होगा।”
उनका कहना है कि “अगर केंद्र सरकार हमें पर्याप्त वैक्सीन देती हैं तो हम दो-तीन महीने में पूरी दिल्ली को वैक्सीन लगा देंगे, जिससे कोरोना की गंभीरता खत्म हो जाएगी।”
आइए दिल्ली के मुख्यमंत्री की इस बात का फैक्ट चेक करते हैं और विशेषज्ञों से जानते हैं कि उनकी बात कितनी सच है और कितनी कपोल कल्पना।
सबसे महत्वपूर्ण है मास्क
टीकाकरण टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं, “मैं दो मुख्य बातें कहना चाहूंगा। एक तो जिस तेजी के साथ देश में कोरोना का प्रसार हो रहा है, बीमारी फैल रही है- उसको कैसे रोका जा सकता है।” डॉ. अरोड़ा बताते हैं, “आज की तारीख में जितने भी वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध हैं उनके अनुसार कोरोना को रोकने का एक ही तरीका है और वह है ‘कोरोना एप्रोप्रियेट बिहेवियर’ -यानी मास्क लगाना, दो गज की दूरी बनाए रखना और बार-बार हाथ धोना और सफाई रखना- अपने आसपास भी और सार्वजनिक जगहों पर भी। इनमें मास्क लगाना सबसे महत्वपूर्ण है। यही एक जाना पहचाना तरीका है जिससे हम कोरोना के प्रसार को नियंत्रित रख सकते हैं।”
वैक्सीन से नहीं रुकता कोरोना का प्रसार
डॉ. अरोड़ा के अनुसार, “जहां तक वैक्सीन की बात है तो वह गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाती है। वैक्सीन लगाने से कोरोना वायरस का प्रसार नहीं रुकता है। यह बात केवल हमारे देश में मिलने वाली वैक्सीन पर ही लागू नहीं होती बल्कि दुनिया में जो भी सात-आठ किस्म की वैक्सीन मिल रही हैं, उन सभी पर यह बात लागू होती है। कोई भी वैक्सीन कोरोना के प्रसार को प्रभावित नहीं करती है। वैक्सीन का सबसे ज्यादा प्रभाव यही है कि वह मृत्यु को रोकती है। इसलिए हमको फिलहाल सबसे ज्यादा उन लोगों का टीकाकरण करने की जरूरत है जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं और जिनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है या जिनकी मृत्यु होने की संभावना है या फिर जिनकी उम्र 45 साल से ऊपर है।”
45 से नीचे वालों को बहुत हल्का इन्फेक्शन
टीकाकरण टास्क फोर्स के प्रमुख ने बताया, “सौभाग्य से 45 साल से कम आयु वालों को कोरोना का बहुत हल्का इंफेक्शन होता है। ज्यादातर मामलों में लक्षण भी पैदा नहीं होते। ऐसी स्थिति में इस समय उनको टीका लगाने का कोई लाभ नहीं होगा। ध्यान रहे मैं इस समय की बात कर रहा हूं। कुछ समय बाद जब हमारे पास काफी ज्यादा टीका उपलब्ध हो जाएगा तब जरूर सभी लोगों को टीका लगाया जा सकता है। इस समय जरूरी यह है कि सभी लोग खासकर हमारे युवा साथी मास्क लगाएं और बहुत ही ईमानदारी से कोरोना एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करें। घर से बाहर तभी निकलें जब जरूरत है। यह सब करने से ही कोरोना का प्रसार रोका जा सकता है। इसके अलावा और कोई तरीका नहीं है तेजी से फैलते कोरोना का प्रसार रोकने का।”
सरकार का लक्ष्य
डॉ. अरोड़ा टीकाकरण पर सरकार की नीति को स्पष्ट करते हुए कहते हैं, “अभी हमारा लक्ष्य है कि देश में 45 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन लग जाए। उनकी संख्या लगभग 35 करोड़ है। चिकित्सा क्षेत्र और सुरक्षाबलों के लोगों समेत अब तक 10 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है।
यह टीका उन लोगों के लिए ज्यादा जरूरी और प्रभावी है जिनमें ब्लड प्रेशर डायबिटीज, ह्रदय संबंधी बीमारियां, कैंसर या दिमागी बीमारियां हैं। अगर ऐसे लोगों को कोरोना हो जाए तो उनकी मृत्यु होने की संभावना अन्य लोगों के मुकाबले 25 से 30 फ़ीसदी बढ़ जाती है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि 45 साल से अधिक आयु वालों को टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें।”
उपलब्धता सीमित
वह कहते हैं, “टीके की उपलब्धता एक सीमित मात्रा में है। मेरे पास टीके की सीमित मात्रा है तो मैं सबसे पहले उनको देना चाहूंगा जिससे सबसे अधिक बचाव किया जा सके।”
वैक्सीन लगने के बाद भी संक्रमण
टीकाकरण से कोरोना वायरस का प्रसार नहीं रुक पाता- अपनी इस बात के समर्थन में डॉ. अरोड़ा का कहना है कि “दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल और देश के कुछ अन्य अस्पतालों में डॉक्टरों को टीका लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो गया। यह इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि वायरस का प्रभाव टीका नहीं रोक पाता है।”
सबको टीका कब तक
तो क्या सबको टीका लग पाना अभी दूर की कौड़ी है- डॉ. अरोड़ा इस आशंका को सिरे से खारिज करते हैं, “मैं यह आश्वासन जरूर दे सकता हूं कि इस साल के दूसरे हिस्से में हमारे पास कई और टीके आ जाएंगे जिससे 18 साल से ऊपर, बल्कि मैं कहूंगा कि 12 साल से ऊपर, के सभी लोगों को टीका लगाया जा सकेगा।”
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार से पूरी दिल्ली के लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की जो मांग कर रहे हैं उसके पीछे ना तो पर्याप्त तथ्य हैं न सत्य। टीकाकरण की बागडोर संभाल रहे विशेषज्ञ केजरीवाल की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि सबको वैक्सीन लगाकर कोरोना का प्रसार रोका जा सकता है। दुनिया में अब तक हुए सभी वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोई भी वैक्सीन कोरोना का प्रसार नहीं रोक सकती।