(18 दिसंबर पर विशेष)
यहां स्टालिन एक समाजवादी संगठन से जुड़ा। इस वजह से 1899 में उन्हें धार्मिक स्कूल से बाहर कर दिया गया। तिब्लिस के मौसम विज्ञान विभाग के कर्मचारी रहे स्टालिन रूसी साम्राज्य के खिलाफ लगातार बगावती तेवर अपनाए रहे और विरोध करते रहे। स्टालिन की हरकतों का जॉर्जिया की पुलिस को पता चला तो वह भूमिगत हो गया। कुछ वक्त बाद बोल्शेविक पार्टी ज्वॉइन कर ली। 1905 में पहली बार उन्होंने गुरिल्ला युद्ध में हिस्सा लिया। 1906 में शादी की, लेकिन एक साल बाद ही उनकी पत्नी की मौत हो गई। 1907 में वह पूरी तरह रूसी क्रांति में शामिल हो गए। 1917 में कम्युनिस्ट क्रांति कामयाब हुई और लेनिन का शासन शुरू हुआ।
इस क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाले स्टालिन को कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव बनाया गया। 1924 में लेनिन की मौत के बाद स्टालिन ने खुद को उनका वारिस घोषित किया। और इस तरह 1920 के आखिरी दशक तक वह सोवियत संघ का तानाशाह बन गया। स्टालिन के आतंक की बात इस तरह समझी जा सकती है कि उसके तानाशाही रवैये का जिसने भी विरोध किया, उसे उसने मरवा दिया। उसने पार्टी के सेंट्रल कमेटी के 93 सदस्य, सेना के 103 जनरल और 81 एडमिरल को मरवा दिया था।(एएमएपी)