केंद्र सरकार की ओर से तीनों नए आपराध‍िक कानूनों को आगामी 1 जुलाई, 2024 से लागू करने की अधि‍सूचना शुक्रवार (24 फरवरी) को जारी कर दी है। तीनों नए आपराध‍िक कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। राष्‍ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू की ओर से तीनों नए आपराध‍िक न्‍याय व‍िधेयकों को द‍िसंबर में मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही यह तीनों नए व‍िधेयक कानून बन गए थे। इसमें भारतीय न्‍याय संह‍िता, भारतीय नागर‍िक संह‍िता और भारतीय साक्ष्‍य अध‍िन‍ियम शाम‍िल हैं। अध‍िसूचना जारी होने के बाद अब यह तीनों नए आपराध‍िक कानून पुराने कानूनों की जगह ले लेंगे।

केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

केंद्र सरकार के होम मिनिस्ट्री की ओर से इस मामले में शनिवार को नोटिफिकेशन जारी कर कहा गया है कि तीनों क्रिमिनल लॉ एक जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे। सिर्फ धारा-106 (2) अभी अमल में नई आएगा। संसद से तीनों कानूनों को 21 दिसंबर 2023 को पास हो गया था जिसके बाद राष्ट्रपति ने इस पर 25 दिसंबर 2023 को मुहर लगा दी थी। पुराने औपनिवेशिक काल के कई शब्दावली को हटा दिया गया है। ऐसे करीब 475 शब्दों को डिलीट किया गया है जिनमें लंदन गजट, ज्यूरी, हर हैनिस आदि शामिल हैं। पहले जहां चार सौ बीस (420) यानी धोखाधड़ी, दफा 302 यानी हत्या व 376 यानी रेप जैसे अपराध के लिए कानून की किताब में लिखी धाराएं लोगों के जुबान पर चढ़ी हुई थी वह सब अब बदल गई है।

कुल 358 धाराएं और 20 नए अपराध

भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं और उसमें 20 नए अपराध को परिभाषित किया गया है। जिनमें स्नेचिंग से लेकर मॉब लिंचिंग शामिल किया गया है। साथ ही 33 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। साथ ही 83 ऐेसी धाराएं या अपराध हैं जिनमें जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। ऐसे 23 अपराध हैं जिनमें न्यूनतम सजा का जिक्र नहीं था जिसें न्यूनतम सजा को शुरू किया गया है। 19 धाराएं ऐसी हैं जिन्हें हटा दिया गया है। साथ ही सजा के तौर पर सामाजिक व समुदायिक सेवा को भी रखा गया है। पहले यह नहीं था। राजद्रोह जैसे अपराध को अब नए कानून में हटा दिया गया। बीएन 2 संहिता की धारा-113 में आतंकवाद से संबंधित परिभाषा और सजा का प्रावधान है।

किसमें क्या बदला?

IPC: कौनसा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है। अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी। 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है। 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है। 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है।

CrPC: गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है।

इंडियन एविडेंस एक्टः केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है। इसमें पहले 167 धाराएं थीं। भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी। 24 घाराओं में बदलाव किया गया है। दो नई धाराएं जुड़ीं हैं। 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं।

अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से म‍िलेगा छुटकारा

इन तीनों कानूनों का मुख्‍य उद्देश्‍य देश में आपराध‍िक न्‍याय प्रणाली को बदलना है जोक‍ि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों पर चल रही थी, इससे छुटकारा मि‍ल सकेगा। इन कानूनों में राजद्रोह के अपराध को भी समाप्‍त क‍िया गया है। सरकार ने नए कानून में राजद्रोह की धारा, 124 (क) को पूरी तरह से समाप्‍त कर इसको देशद्रोह में बदलने का काम क‍िया है। इसमें राज्‍य के ख‍िलाफ अपराध करने की एक नई धारा का शाम‍िल क‍िया गया है। इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्‍त्र व‍िद्रोह, व‍िध्‍वंसक गत‍िव‍िधि, संप्रभुता या एकता का खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गत‍िव‍िध‍ि जैसे अपराधों को शाम‍िल‍ क‍िया गया है।

एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान

इस नए कानून के तहत अगर कोई मौख‍िक तौर पर या ल‍िख‍ित या सांकेत‍िक रूप से ऐसी गत‍िव‍िध‍ियों को बढ़ावा देता है या फ‍िर प्रयास भी करता है, एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान क‍िया गया है। इसके अत‍िर‍िक्‍त उस पर जुर्माने का प्रावधान भी नए कानून में सम्‍मल‍ित क‍िया गया है।

नए कानूनों में मॉब लिंचिंग पर सख्‍त सजा का प्रावधान

इसके अलावा इन नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्‍यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। नए कानूनों में नाबाल‍िग से दुष्‍कर्म करने के दोष‍ियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मॉब ल‍िंच‍िंग को एक घृण‍ित अपराध बताया था और इस अपराध के ल‍िए नए कानूनों में फांसी की सजा का प्रावधान की बात संसद में कही थी।

आतंकवादी गतिविधियों से सख्‍ती से न‍िपटने का कानून

इसके अलावा नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है। वहीं, पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में क‍िया गया है। इस तरह के अपराधों के साथ-साथ संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान भी नए कानून में किए हैं। पहले इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे।

बता दें, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा।

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पुराने केस पर क्या होगा असर

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि नए क्रिमिनल लॉ लागू होने की जो तारीख होगी उस तारीख से जब अपराध होगा तो वह नए कानून में दर्ज किया जाएगा। संविधान के मुताबिक जब अपराध होता है उस तारीख में जो कानून होता है उसी के हिसाब से मुकदमा चलता है और सजा होती है। ऐसे में नए कानून जब अमल में आएगा तब नए केस नए कानूनी धाराओं के तहत दर्ज होंगे और साथ ही जो भी कानूनी प्रक्रिया तय होगी वह नए कानून के तहत तय होगी।

नए कानून संबंधित नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उस तारीख से होने वाले अपराध के मामले में वह अमल में आएगा और पहले से चल रहे मामले अदालतों में पहले के कानून के मुताबिक चलते रहेंगे। यानी पहले से जो केस दर्ज हैं उसमें पहले के कानून के तहत ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी और पहले के कानून के तहत ही उसमें मुकदमा चलेगा। जो केस अदालतों में पेंडिंग हैं उन केसों की सुनवाई पहले की तरह चलती रहेगी और उस पर असर नहीं होगा। (एएमएपी)