कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संसदीय समिति के सभापति यादव ने कहा कि बिना किसी दीर्घकालिक योजना के विमानस्थल निर्माण पर चीन से अरबों रुपये का ऋण लेकर इसे बनाना और आज एयरपोर्ट के नियमित संचालन नहीं होने के बावजूद देश को ऋण के जाल में फंसने देने का दोषी कौन है? उन्होंने कहा कि किन परिस्थितियों में और किसके दबाब में इतना बड़ा फैसला लिया गया था, यह जगजाहिर है।
संसदीय समिति के सभापति ने भैरहवा में निर्मित गौतम बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल को लेकर भी सवाल उठाया है? उस विमानस्थल का उद्घाटन हुए लगभग दो वर्ष होने जा रहा है लेकिन आज तक वह विमानस्थल भी संचालन में नहीं आ पाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सीमावर्ती शहर के इतने नजदीक में विमानस्थल निर्माण का ठेका किसी चीनी कंपनी को क्यों दिया गया? क्यों सरकार ने भारत की सुरक्षा और सामरिक रणनीति का ख्याल नहीं रखा? उन्होंने कहा कि भैरहवा और पोखरा विमानस्थलों का नियमित संचालन नहीं होने पर भारत को दोष देना ठीक नहीं है।(एएमएपी)