नौसेना और वायु सेना ने तापस ड्रोन की क्षमताओं पर विस्तार से चर्चा की

अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्र में परीक्षण के लिए दिए जायेंगे दो ड्रोन

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी तापस यूएवी कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद करने की ख़बरों के बीच ऐलान किया है कि ड्रोन की डिजाइन में सुधार करके उसकी शक्ति बढ़ाने पर काम किया जायेगा। भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित तापस ड्रोन के प्रति रुचि दिखाई है। डीआरडीओ की सेनाओं के साथ बातचीत के दौरान तापस ड्रोन की क्षमताओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।

दरअसल, पहले यह बताया गया था कि तापस ड्रोन 24 घंटे से अधिक समय तक 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने और सेनाओं की जरूरत पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। रक्षा बलों के परीक्षण के दौरान तापस ड्रोन 28 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब रहे और 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ सकते थे। डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा कि संबंधित प्रयोगशाला ड्रोन की डिजाइन में सुधार और शक्ति बढ़ाने पर काम करेगी ताकि इसे ऊंचाई और सहनशक्ति की सेवा आवश्यकताओं के लिए अधिक उपयुक्त बनाया जा सके, जिसे वह हाल के मूल्यांकन में पूरा करने में सक्षम नहीं था।

तापस का पूरा नाम टेक्टिकल एयरबॉर्न प्लेटफॉर्म फॉर एरियल सर्विलांस बियॉन्ड होराइजन (टीएपीएएस) है। यह भारत का पहला मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी है, जो अमेरिका के एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन जैसा ही है। इसे डीआरडीओ की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीए) ने विकसित किया है। इसके बाद भारतीय नौसेना और वायु सेना ने तापस ड्रोन की क्षमताओं और सेनाओं में इसकी भूमिका के संबंध में डीआरडीओ के साथ चर्चा की है। भारतीय वायुसेना ने इस संबंध में डीआरडीओ को एक पत्र भी लिखा है।

अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ दो तापस ड्रोन अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्र में परीक्षण के लिए भारतीय नौसेना को सौंपने के लिए तैयार है। अगर भारतीय नौसेना की जरूरत के अनुसार भूमिकाओं को पूरा करते हुए परीक्षण सफल होते हैं तो डीआरडीओ को लगभग 10-12 ड्रोन के ऑर्डर देने की संभावना है। भारतीय वायु सेना भी इस मुद्दे पर आगे निर्णय लेने से पहले अन्य मुद्दों के साथ-साथ ड्रोन के प्रदर्शन को भी देखेगी। डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत प्रमुख ड्रोन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें घटक और आर्चर जैसे मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन शामिल हैं।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 76 यूएवी बनाने थे, जिसमें सेना को 60, वायु सेना को 12 और नौसेना को 4 यूएवी के जरिये दिन-रात के हवाई निगरानी मिशन को अंजाम देना था। इस मानव रहित विमान की परिकल्पना 2016 में की गई थी। दरअसल, पिछले साल दिसंबर में खबर आई थी कि सरकार ने डीआरडीओ में विकसित किये जा रहे स्वदेशी तापस यूएवी कार्यक्रम को मिशन मोड में बंद करने का फैसला लिया है। अब एडीई को सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरत को देखते हुए तापस यूएवी की 30 हजार फीट ऊंचाई पर लगातार 24 घंटे की उड़ान क्षमता पूरा करने के लिए कहा गया है। इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के बाद तापस यूएवी कार्यक्रम को मंजूरी देने की शर्त लगाई गई है।(एएमएपी)