आलाकमान के स्पष्ट संकेत मिलने के बावजूद वसुंधरा राजे मैदान छोड़ने को तैयार नहीं, जानें क्‍या है मायनें  

 

भाजपा आलाकमान द्वारा राजस्थान विधान सभा चुनाव में स्पष्ट संकेत मिलने के बावजूद वसुंधरा राजे सिंधिया राजनीतिक मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। पार्टी आलाकमान ने भले ही वसुंधरा राजे की जिद के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार या चुनाव प्रचार समिति का मुखिया घोषित नहीं किया हो, लेकिन राजस्थान की राजनीति की चतुर खिलाड़ी वसुंधरा राजे अभी भी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया ने आलाकमान के राजनीतिक मूड और राज्य स्तर के नेताओं की तैयारियों को देखते हुए ग्राउंड जीरो पर फोकस किया और लगातार पांचवी बार न केवल झालरापाटन विधान सभा क्षेत्र से अपना टिकट सुनिश्चित किया बल्कि अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट मिले, इस बात को भी सुनिश्चित करने का पुरजोर प्रयास किया।

पार्टी के एक नेता ने बताया कि चाहे चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के घर पर राजस्थान भाजपा कोर कमेटी के नेताओं की बैठक हो या पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर बैठ, या फिर पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो, वसुंधरा राजे हर बैठक में अपने समर्थकों को जीतने वाला उम्मीदवार बताते हुए उनकी जोरदार पैरवी करती नजर आई। कई बार इसके लिए वसुंधरा राजे सिंधिया को बैठक के अंदर अन्य नेताओ के साथ जोरदार बहस भी करनी पड़ी। वसुंधरा की वर्किंग स्टाइल को जानने वालो नेताओं के लिए यह किसी अचंभे से कम नहीं था। भाजपा राजस्थान के लिए अब तक 184 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है और पार्टी उम्मीदवारों की यह चारों लिस्ट अपने आप में बताती है कि वसुंधरा राजे सिंधिया ने पहली लड़ाई जीत ली है।

वसुंधरा राजे सिंधिया भले ही पुरजोर पैरवी के बावजूद कैलाश मेघवाल, राजपाल सिंह शेखावत, अशोक परनामी और यूनुस खान जैसे एक दर्जन से ज्यादा करीबियों को टिकट दिलवाने में कामयाब नहीं हो पाई हो, लेकिन अपनी जोरदार पैरवी से कालीचरण सराफ, वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, जगसीराम कोली, प्रतापलाल गमेती, गोपीचंद मीणा, अशोक डोगरा, प्रताप सिंह सिंघवी, सिद्धी कुमारी, सुरेंद्र सिंह राठौड़ और दीप्ति माहेश्वरी सहित अपने 52 के लगभग समर्थकों को टिकट दिलवाने में कामयाब हो गई।

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184 घोषित उम्मीदवारों में से 52 वसुंधरा राजे सिंधिया के समर्थक हैं। हालांकि राजस्थान भाजपा के एक दिग्गज नेता की मानें तो बाकी उम्मीदवारों में से भी 15-20 उम्मीदवार ऐसे हैं जो किसी पाले में नहीं हैं लेकिन उन्हें भी चुनाव जीतने के लिए वसुंधरा राजे की मदद की दरकार है। बाकी बची 16 सीटों पर भी वसुंधरा राजे अपने एक दर्जन के लगभग करीबियों को टिकट दिलवाने की जोरदार पैरवी कर रही हैं। समर्थकों को टिकट दिलवाने के मामले में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोक सभा अध्यक्ष एवं सांसद ओम बिरला यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को भी काफी पीछे छोड़ दिया है।

वहीं दूसरी तरफ , वसुंधरा के करीबी और राजस्थान में भाजपा के एकमात्र मुस्लिम चेहरे यूनुस खान ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा छोड़ने और निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर भाजपा आलाकमान को जोरदार झटका दिया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर राजस्थान में किसी को बहुमत नहीं मिला, तो निर्दलीय विधायक सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और यूनुस खान जैसे भाजपा के कई बागी ऐसे हालात में वसुंधरा राजे का ही साथ देंगे। वसुंधरा राजे सिंधिया की अब पुरजोर कोशिश यही रहेगी कि उसके ज्यादा से ज्यादा समर्थक चुनाव जीत कर आएं ताकि सरकार बनने की स्थिति में वह विधायक दल के बहुमत का सम्मान करने की बात कह कर अपनी मजबूत दावेदारी जता सके।

वसुंधरा के चेहरे से ही बीजेपी की वापसी

बता दें, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जनाधार वाली नेता मानी जाती है। वसुंधरा समर्धकों का कहना है कि सिर्फ वसुंधरा के चेहरे पर ही पार्टी वापसी कर सकती है। ऐसे में बीजेपी आलाकमान को वसुंधरा राजे के सीएम फेस घोषित करना चाहिए। समर्थकों का दांवा है कि पूर्व मुख्यमंत्री का राजस्थान में प्रभावी जनाधार हैं। प्रदेश में वसुंधरा राजे के कार्यक्रमों में भारी भीड़ देखी जाती है। प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा में राजे के कार्यकर्त्ता मौजूद हैं। प्रदेश में वसुंधरा राजे से जुड़े नेताओं का तो दावा है कि वसुंधरा राजे द्वारा पीएम मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए संदेश भेजा गया था। पीएम मोदी की सफल जनसभा इसी का नतीजा है।

मोदी का हाथ जोड़ना और वसुंधरा राजे की मुस्कराहट

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम मोदी ने रैली में वसुंधरा राजे को पूरा सम्मान देकर सियासी संकेत दे दिया है। पीएम मोदी ने भैरोसिंह शेखावत को याद कर  साधने की कोशिश भी की। अजमेर की रैली में जब पीएम मोदी मंच पर पहुंचे तब वसुंधरा राजे सिंधिया उन्हें सामने दिख गईं। वसुंधरा राजे को देखते ही पीएम मोदी ने हाथ जोड़ेकर उनका अभिवादन स्वीकर किया। वहीं वसुंधरा ने भी मुस्कुराकर पीएम मोदी के राजस्थान आगमन का शुक्रिया कहा। वसुंधरा से पीएम मोदी की मुलाकात तस्वीर को देखकर ऐसा लगता है कि वह क्लियर मैसेज दे रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री को नजरअंदाज करने की भूल कोई ना करे।

वसुंधरा के धुर विरोधी भी मंच पर रहे मौजूद

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी आलाकमान को चुनाव से पहले विभिन्न गुटों में बंटे भाजपा नेताओं को एक मंच पर लाना होगा। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व बीजीपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के बीच सुलह के का फार्मूला तैयार करना होगा। बीजेपी का एक धड़ा वसुंधरा राजे का विरोध कर रहा है। हालांकि, वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे से बड़़ा कोई नेता नहीं है। (एएमएपी)