#santoshtiwariडॉ. संतोष कुमार तिवारी।

आज बांग्लादेश में इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness – ISKCON) मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। उन्हें जलाया जा रहा है।  इस्कॉन के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इस्कॉन के बैंक खाते सीज किए जा रहे हैं, ताकि मन्दिर में लोगों को भूखों मरने की नौबत आ जाए।

ऐसा ही कभी सन् 2006 में  कजाकिस्तान Kazakhstan के शहर अल्माटी Almaty में हुआ था। वहां इस्कॉन का मन्दिर गिराया गया था। इतना ही नहीं जाड़े के दिनों में इस्कॉन के लोगों के 100 से अधिक मकान भी गिरा दिए गए थे। वहां जाड़े में शून्य से नीचे तापमान चला जाता है।

आज वहां एक बार फिर इस्कॉन मन्दिर स्थापित है। कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर जा कर यह बात चेक कार सकता है। जब वहां इस्कॉन पर अत्याचार हो रहे थे, तब ब्रिटेन में टोनी ब्लेयर प्रधान मंत्री थे। टोनी ब्लेयर इसाई थे, फिर भी  उन्होंने अल्माटी में इस्कॉन पर हो रहे अत्याचारों का विरोध किया था।

बांग्लादेश में इस्कॉन का क्या होगा यह तो भविष्य ही बताएगा। इस बारे में अभी कोई टिप्पणी करना व्यर्थ है।

भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपादजी (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) ने भारत के बाहर विश्व में सनातन धर्म को फ़ैलाने का जितना कार्य किया है, उतना किसी अन्य ने नहीं किया। उन्होंने जिस इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness – ISKCON) की स्थापना सन् वर्ष 1966 में न्यूयार्क, अमेरिका में की थी, उसका कार्य वटवृक्ष  की तरह विश्व भर में तेजी के साथ फैलता चला जा रहा है। इसमें तमाम कठिनाइयां भी आती रहीं हैं, पर यह काम बढ़ता ही जा रहा है।

सन् 1979 में जब ईरान के शाह का तख्ता पलट कर इस्लाम के कट्टरपंथी नेता अयातुल्ला खुमैनी शासन में आए, तब तेहरान में एक इस्कॉन मन्दिर था और आज भी वहां इस्कॉन मन्दिर है। सोवियत रूस में जब कट्टरपंथी कम्युनिस्टों का शासन था तब सन् 1982 में वहां मास्को में इस्कान मन्दिर था और आज रूस में एक से ज्यादा इस्कॉन मन्दिर हैं।

Temple of Vedic Planetarium (TOVP): Architectural Details of The World's  Largest ISKCON Temple In Mayapur | West Bengal

यह लेख स्वामी प्रभुपादजी और उनके इस्कॉन के बारे में है। आज चीन जापान इंडोनेशिया, मलेशिया, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीडेन, आइसलैंड, इजराइल, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, नेपाल, यूनाइटेड अरब अमीरात, पाकिस्तान  आदि अनेक देशों में सैकड़ों इस्कॉन मन्दिर हैं। इनमें से कई ऐसे देश हैं जहां पहले कभी कोई हिंदू मन्दिर नहीं था। आज भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में तो हैं ही।

इन मन्दिरों के स्थापना तब शुरू हुई जब 17 सितम्बर 1965 में प्रभुपाद जी ने अमेरिका में कदम रखा।  तब उनकी आयु 69 वर्ष थी। इस आयु में लोग सेवानिवृत्त होकर घर बैठ जाते हैं। परन्तु प्रभुपादजी संन्यासी थे। वह इसी आयु में अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम करने निकले थे।

 

अमेरिका में शुरू के दिन उनके बहुत-बहुत कठिनाई में गुजरे। एक बार तो उनका टाइप राइटर, आदि सब चोरी हो गया था। फिर भी  अमेरिका पहुँचने के नौ महीने के अन्दर उन्होंने न्यूयार्क में हरे कृष्ण मन्दिर की स्थापना कर दी। और उसके दो महीने बाद 1 अगस्त 1966 को उन्होंने इस्कॉन की स्थापना की, जिसके सभी डायरेक्टर उनके अमेरिकी शिष्य थे। न्यूयार्क में हरे कृष्ण मन्दिर की स्थापना के लिए कानपुर के जे. के. आर्गेनाइजेशन के मालिक श्री पदमपत्त् सिंघानिया ने पर्याप्त धन की व्यवस्था की जिम्मेदारी ली थी।

ISKCON Leader - Abhay Charanaravinda Bhaktivedanta Swami Prabhupada - Tulsi  Mala

प्रभुपादजी के बम्बई (आज का नाम मुम्बई) से अमेरिका जाने की व्यवस्था सिंधिया स्टीमशिप कम्पनी के मालिकिन श्रीमती सुमति मोरारजी (1909-1998) ने की थी। और वह मालवाहक जहाज ‘जलदूत’ से अमेरिका गए थे।

अपने 20 जनवरी 1966 के एक पत्र में उन्होंने लिखा कि मैं यह चाहता हूँ कि भारत लौटने के पहले मैं न्यूयार्क जैसा ही एक केन्द्र सैनफ्रांसिस्को, अमेरिका में और मांट्रियल, कनाडा में स्थापित कर दूं।

सन् 1968 में उन्होंने अमेरिका से छह भक्तों को इंग्लैंड भेजा। इन्होंने लन्दन में सन् 1969 को पहला राधाकृष्ण मन्दिर स्थापित किया और लन्दन में रथ यात्रा निकाली। आज ब्रिटेन में 15 से अधिक इस्कान मन्दिर हैं।

सन् 1969 के अपने एक पत्र प्रभुपादजी  ने बताया कि अमेरिका, कनाडा. जर्मनी, इग्लैंड और फ्रांस में इस्कॉन के 17 मन्दिर स्थापित हो चुके हैं।

गीता प्रेस, गोरखपुर की हिन्दी मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ के अप्रैल 1970 के अंक में पृष्ठ संख्या 842 से 845  इस्कॉन  पर एक लेख प्रकशित हुआ था उसमें बताया गया था कि तब तक विदेशों में इस्कॉन के 25 मन्दिर स्थापित हो चुके थे।

स्वामी प्रभुपादजी ने पहला राधा कृष्ण मन्दिर सन् 1966 में न्यूयॉर्क के स्थापित किया था। स्वामीजी ने 14 नवम्बर 1977 में अपना शरीर छोड़ा था। इन 11 वर्षों के दौरान उन्होंने विश्व भर में 108 इस्कॉन स्थापित किए थे। अर्थात उन्होंने प्रति वर्ष औसतन लगभग दस इस्कॉन मन्दिर स्थापित किए।
(लेखक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं)