उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने ‘आपका अख़बार’ के संपादक प्रदीप सिंह को दिए विशेष साक्षात्कार में हर मुद्दे पर बेबाक बात की-5।
“विपक्ष संकीर्ण राजनीति करती है। जातीयता के उन्माद को भड़काती है। जातिवाद के आधार पर हिंदू समाज को बांटेगी, उधर तुष्टीकरण का खेल खेलकर फिर हिंदू समाज को मरवाएगी भी- तो ये दोनों काम नहीं चलेंगे”
प्रदीप सिंह- चुनाव के समय सभी राजनीतिक पार्टियां एक सामाजिक समीकरण बिठाने की, जातीय समीकरण बिठाने की, कोशिश करती हैं। भारतीय जनता पार्टी हमेशा कहती रही है कि वह जाति की राजनीति में यकीन नहीं करती, लेकिन भाजपा भी इस समय जातीय सम्मेलन कर रही है।
योगी आदित्यनाथ- देखिए, हमारे जातीय सम्मेलन नहीं ये सामाजिक सम्मेलन हैं। हमारे सामाजिक सम्मेलन उन मुद्दों को लेकर हैं जो उस समाज के हित के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं- उनको बताने के लिए कि भाई सरकार ने यह किया है। हमारे सामाजिक सम्मेलन जातिवाद से प्रेरित नहीं हैं।
प्रदीप सिंह- तो आप कह रहे हैं कि विपक्ष के हैं…?
योगी आदित्यनाथ- विपक्ष संकीर्ण राजनीति करती है- जातीयता के उन्माद को भड़काती है- वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा करती है- और समाज में एकता के बजाय फूट डालकर के खाई चौड़ा करने का प्रयास करती है। इधर जातिवाद के आधार पर हिंदू समाज को बांटेगी, उधर तुष्टीकरण का खेल खेलकर फिर हिंदू समाज को मरवाएगी भी। तो ये दोनों काम नहीं चलेंगे। हमारे यहां विकास सबका, योजनाओं का लाभ सबको- लेकिन तुष्टीकरण किसी का नहीं- अगर किसी का नहीं होना है तो फिर किसी का नहीं होना है- इस पक्ष का, ना उस पक्ष का।
सरकार का दायित्व है हमने क्या किया लोगों को बताएं
हम सबको एक साथ ले रहे हैं इसलिए सबका साथ, सबका विकास। सबको साथ लेकर चल रहे हैं, सबका विकास कर रहे हैं- फिर भेदभाव कैसा? यह सरकार का दायित्व बनता है कि हमने क्या किया है हम बताएं लोगों को। बताने का माध्यम सामाजिक सम्मेलन हो सकते हैं- प्रबुद्ध सम्मेलन हो सकते हैं- और साथ-साथ उसका माध्यम रैलियां हो सकती हैं- उद्घाटन शिलान्यास के कार्यक्रम हो सकते हैं। हमने मंच पर नहीं कहा फलानी जाति का नाम लेकर कि फलां जाति का यह किया जा रहा है फलां जाति के लिए वह हो रहा है- जाति का नाम लेकर नहीं बोला गया। विपक्ष जैसा कर रहा है उस प्रकार की हद दर्जे के गिरे हुए स्तर पर भारतीय जनता पार्टी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन के माध्यम से शासन की योजनाओं की जानकारी उन लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रही है।
प्रदीप सिंह- 2017 में अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ जो एंटी इनकंबेंसी थी उसका लाभ भाजपा को मिला था। आप बारी आप के खिलाफ या आपकी सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की है। विपक्ष को इसका कितना लाभ मिलेगा?
योगी आदित्यनाथ- लोकतंत्र में जनता जनार्दन निर्णायक होती है। और मुझे नहीं लगता है कि सरकार के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी होगी- क्योंकि परिवर्तन जनता को बहुत ही स्पष्ट दिखाई देता है कि प्रदेश के अंदर जो आमूलचूल परिवर्तन हुआ है- देखने में प्रदेश के परसेप्शन को लेकर- प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर- प्रदेश में इन्वेस्टमेंट को लेकर- प्रदेश में अनइंप्लॉयमेंट के रेट को कम करने को लेकर- और प्रदेश के अंदर डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट को लेकर… यह सब अभूतपूर्व है। हर व्यक्ति इसको स्वीकार करता है और मुझे लगता है जनता समय आने पर- देखिए पब्लिक बोलती नहीं है, समय आने पर अपना फैसला करती है और उत्तर प्रदेश की जनता अपना फैसला जरूर करेगी।
प्रदीप सिंह- आप पर एक आरोप लगता है और बहुत पहले से… मुख्यमंत्री बनने से बहुत पहले से है कि… सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराते हैं। हिंदुत्व की राजनीति करते हैं। आपने विधानसभा में कहा कि मैं ईद नहीं मनाता। तो इन सब मुद्दों को लेकर यह कहा जाता है कि चुनाव के समय धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए पार्टी दूसरे राज्यों में भी आपका इस्तेमाल करती है।
मेरी आस्था राम में है तो मैं मंदिर ही जाऊंगा
योगी आदित्यनाथ- पार्टी इस्तेमाल नहीं करती है- पार्टी का एक कार्यकर्ता होने के नाते मेरा यह दायित्व बनता है कि मैं पार्टी के सहयोग के लिए अन्य जगहों पर भी जाऊं। देखिए, मेरी आस्था मेरे साथ में है। मैं जबरन पाखंड क्यों करूं। जो मेरी आस्था होगी मैं वही तो करूंगा। मैं उन लोगों में नहीं हूं जो चोरी-छिपे टीका लगाते हों- चोटी रखते हों- और फिर किसी एक सम्मेलन में जाकर गोल टोपी लगाकर लोगों को भरमाने का काम भी करते हों। नहीं- मैं टीका लगाऊंगा तो टीका ही लगाऊंगा, रक्षा सूत्र बांधूंगा तो रक्षा सूत्र ही बांधूंगा- गोल टोपी नहीं लगाना है तो नहीं लगाना है। मुझे जो करना है मेरी आस्था राम में है तो मैं मंदिर ही जाऊंगा। अनावश्यक रूप से दूसरे को भ्रम में नहीं रखूंगा। और मेरा यह भी मानना है कि आपकी जो आस्था है- हर व्यक्ति अपनी आस्था का पालन करे और दूसरों की आस्था का सम्मान करे। इसलिए पिछले साढे चार वर्ष के अंदर कोई नहीं कह सकता यूपी के अंदर कि किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने का कार्य हुआ हो। हर एक व्यक्ति को कानून के दायरे में रहकर अपनी आस्था को आगे बढ़ाने, अपने पर्व और त्योहार मनाने की पूरी छूट है। लेकिन हां, कानून के साथ खिलवाड़ करने, कानून को बंधक बनाकर अराजकता पैदा करने की छूट किसी को नहीं- अगर कोई करेगा तो फिर वह पट्टा लिख ले सात पीढ़ियों का- उसको उसकी भरपाई करनी पड़ेगी, आने वाली पीढ़ियों को करनी पड़ेगी- वह रहेगा तो उसको वरना आने वाली पीढ़ियों को करना पड़ेगा। कानून मेरे लिए सर्वोपरि है। मैं इस बात को मानकर चला हूं मैं यहां पर एक उपासना विधि का अनुयायी नहीं- बल्कि 25 करोड़ लोगों के दायित्व की जिम्मेदारी मेरे ऊपर दी गई है- उनकी सुरक्षा, उनके सम्मान और उनके स्वावलंबन के लिए कार्य मुझे करना है। इसलिए मैंने जिस दिन मैंने शपथ ली है, उस दिन ही इस बात को तय किया कि मेरे उपासना विधि कुछ हो सकती है लेकिन मेरा एक धर्म है- और वह राष्ट्र धर्म है- उससे हम तनिक भी विचलित नहीं होंगे। कानून का राज हर हाल में होगा और उस कानून के राज के अंदर हर व्यक्ति को हम सम्मान देंगे, हर उपासना विधि को सम्मान देंगे- लेकिन कानून के साथ खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं देंगे।