पहली बार मां दे रहीं पांच दिन दर्शन

काशीपुराधिपति को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा के दर्शन पाने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। माता पहली बार अपने भक्‍तों को पांच दिन दर्शन दे रही हैं। इससे पहले सिर्फ चार दिन ही उनके दर्शन किए जा सके थे। इस दौरान मां के दरबार में खजाना भी वितरित किया जा रहा है। मां के दर्शन का आरंभ धनतेरस से हो गया है। आज 11 नवंबर को छोटी दीपावली है एवं 12 नवंबर को दीपावली और 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या है। 14 नवंबर को अन्नकूट की झांकी यहां सजाई जाएगी। इस प्रकार मॉं अन्नपूर्णा की दुर्लभ स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन पांच दिन हो सकेंगे।

श्रद्धालुओं को वितरित किए गए पांच लाख रुपए के सिक्‍के

मंदिर के महंत शंकर पुरी का कहना था कि यह पहला अवसर है जबकि मां अन्नपूर्ण के पांच दिवस तक श्रद्धालु दर्शन कर पाएंगे । अन्नकूट की झांकी के बाद मध्य रात्रि में दर्शन पूजन अगले साल तक के लिए बंद हो जाएंगे। उन्‍होंने बताया कि इस बार  मां अन्नपूर्णा के भक्तों को माता के खजाने के रूप में लावा और सिक्के का प्रसाद मिल रहा है।  मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं को वितरित करने के लिए पांच लाख रुपए से अधिक के सिक्के मंगाए । शुक्रवार को माता के दर्शन आरंभ होने के बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है।

उन्‍होंने बताया कि मां अन्नपूर्णा के दरबार में दिव्यांग और बुजुर्गों को सीधे माता के दरबार में प्रवेश मिले इसके लिए मंदिर के सेवादारों को तैनात किया गया है। साथ ही मंदिर प्रबंधन ने भक्तों के स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता करते हुए मंदिर प्रांगण में चिकित्सक भी तैनात किए हैं।  14 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओं की झांकी सजेगी । रात 11.30 बजे माता की महाआरती होगी । इसके बाद एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा।

500 साल पुरानी स्वर्ण मूर्तियां हैं स्थापित

मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा वाला यह मंदिर 500 साल पूर्व से स्थापित है। मंदिर में मां अन्नपूर्णा के सामने खप्पर लिए खड़े भगवान शिव अन्नदान की मुद्रा में है। दाईं ओर मां लक्ष्मी और बाईं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। माना जाता है कि इसके दर्शन मात्र से वर्ष भर जीवन में अन्‍न-धन की कमी नहीं रहती है, इसलिए बड़ी संख्‍या में काशी के ही नहीं बल्‍कि आसपास और दूरदराज से लोग मां के दर्शन के लिए हर साल वाराणसी आते हैं।

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मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि जब एक बार काशी में अकाल पड़ा था, तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी,  मां ने भिक्षा के साथ भगवान शिव को यह वचन दिया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा।  काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है । उन्‍होंने कहा कि यह मान्‍यता परंपरा से चली आ रही है और हम इसे सच होते हुए भी देख सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि मैं जब से यहां हूं मैंने यही अनुभव भी किया है कि काशी में कोई भूखा नहीं रहता, उसे किसी न किसी रूप में अन्‍न का महाप्रसाद प्राप्‍त हो जाता है। (एएमएपी)