भाजपा-कांग्रेस ने अभी से झोंक दी है जीत के लिए अपनी ताकत
बतादें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव मई में होने हैं। अभी यहां भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। सूबे में चुनावी माहौल अभी से बनने लगे हैं। राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। हाल ही में राहुल गांधी ने यहां 20 दिन तक भारत जोड़ो यात्रा की। राहुल की इस यात्रा को काफी समर्थन भी मिला। यही कारण है कि अब भाजपा ने नए सिरे से यहां गणित बैठाना शुरू कर दिया है। वैसे दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक का चुनाव इस बार भी दिलचस्प होने के आसार हैं। इसकी वजह 2004, 2008 और 2018 चुनाव के नतीजे हैं, जब राज्य में त्रिशंकु नतीजों का आना रहा है ।
कांग्रेस-भाजपा का प्रयास है जेडीएस को रोकना
अब 2023 में भी इस तरह की स्थिति बनती नजर आ रही हैं और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही तीसरे दल जनता (सेक्युलर) को रोकने के पूरे प्रयास कर रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल समझ रहे हैं कि 224 सीटों वाले कर्नाटक में बहुमत हासिल करने का एक ही रास्ता जेडीएस की रफ्तार को रोकना है। दोनों ही बड़े दल रैलियों और कार्यक्रमों में जेडीएस के खिलाफ प्रचार कर कर रहे हैं। वहीं, जेडीएस भी खुलकर पलटवार कर रही है।
2018 में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी
यहां की राजनीतिक स्थिति को और गहराई से जाने तो कर्नाटक के अंदर 2018 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तो भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पार्टी को स्पष्ट बहुमत तो नहीं था, लेकिन 104 सीटों पर जीत जरूर मिली थी। सरकार बनाने के लिए कर्नाटक में बहुमत का आंकड़ा 113 है। राज्य में कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन करके सरकार बनाई। हालांकि, बाद में दोनों पार्टियों के कई विधायकों ने पाला बदल लिया। इन विधायकों की मदद से भाजपा ने सरकार बनाई। बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2021 में भाजपा नेतृत्व ने उनकी जगह बसवराज बोम्मई को सीएम बना दिया। कहा जाता है कि बोम्मई को येदियुरप्पा की सलाह पर ही सीएम बनाया गया।

चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने अभी हाल ही में पहुंचे थे जेपी नड्डा
इससे पहले चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्य का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी विकास का पर्याय है, जबकि कांग्रेस का मतलब विनाश है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के लोग विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी दल के नेताओं को घर में बैठा देंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही वंशवाद को समाप्त कर और विकासवाद की शुरुआत से देश की राजनीतिक संस्कृति बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘‘विकास का अर्थ भाजपा है, प्रगति का अर्थ भाजपा है। विनाश का अर्थ कांग्रेस है, प्रगति को रोकने का अर्थ कांग्रेस है।” नड्डा ने तुमकुरू में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक ओर भाजपा और उसके नेता हैं जो विकास के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वे नेता कांग्रेस से हैं जो लोगों का ध्यान विकास से भटकाना चाहते हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी शुरू किए राज्य में अपने चुनावी दौरे
वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बेलगावी में एक चुनावी रैली के दौरान क्षेत्र में भाजपा की सीटें बढ़ाने की बात कही है। साल 2004, 2008 और 2018 में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी थी। नतीजा यह हुआ कि पार्टी को 2006 में जेडीएस के साथ जाना पड़ा और 2008 और 2018 में दल बदल के जरिए सत्ता में आई। शाह ने कहा था, ‘एक ओर एक पार्टी है, जो 25 से 30 सीटें जीतना चाहती है और कांग्रेस के साथ सरकार चलाना और कर्नाटक के लोगों का अपमान करने वाली वंशवाद की राजनीति चलाना चाहती है।’ उन्होंने कहा था, ‘कांग्रेस और जेडीएस दो दलों की तरह नजर आ सकते हैं, लेकिन मैं कर्नाटक के लोगों को बताना चाहता हूं कि जेडीएस को दिया गया हर वोट कांग्रेस के खाते में जाएगा। यह केवल कांग्रेस को जीत हासिल करने में मदद करेगा।’ (एएमएपी)



