केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में पूरा दायित्व
मध्य प्रदेश में भाजपा ने सबसे पहले उम्मीदवार घोषित करना तो शुरू कर दिया, लेकिन इससे चुनाव अभियान को गति मिलने के साथ अंदरूनी दिक्कतें भी बढ़ी हैं। बाकी बची सीटों को लेकर कयासबाजी शुरू होने के साथ दावेदारों में असमंजस भी बढ़ा है। इसमें मौजूदा विधायक भी शामिल हैं। दरअसल टिकटों का काम केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सीधा संभाल लेने से राज्य के प्रमुख नेताओं ने भी हाथ खड़े करना शुरू कर दिया है।
राज्य चुनाव समिति की नहीं हुई बैठक
आम तौर पर उम्मीदवार तय करने के लिए पहले राज्य की चुनाव समिति में चर्चा होती है और उसके बाद केंदीय चुनाव समिति फैसला करती है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के लिए 39 उम्मीदवारों की जो सूची आई है, उसके लिए राज्य चुनाव समिति की बैठक ही नहीं हुई। राज्य के प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद केंद्रीय चुनाव समिति ने पहली सूची जारी कर दी। इसके बाद अभी यह असमंजस भी है कि राज्य चुनाव समिति बनेगी भी या नहीं।

उभर रही अंदरूनी गुटबाजी
उहापोह की स्थिति
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी पहले ही कांग्रेस में जा चुके थे। वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पूर्व मंत्री नारायण कुशवाहा व अनूप मिश्रा उहापोह की स्थिति में हैं। अन्य कई नेता भी अगली सूची का इंतजार कर रहे हैं। अक्सर विवादों में रहने वाले नारायण त्रिपाठी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व कांग्रेस नेता कमलनाथ का एक साथ एक ही पोस्टर में आभार जताने का मामला भी चर्चा में है। राज्य में हो रही भाजपा की जन आशीर्वाद यात्राओं को लेकर भी नाराजगी सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती व पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताई है। (एएमएपी)


