मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में एक नए दौर का आगाज हो गया है। मोहन यादव को बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के साथ ही ये सवाल भी सियासी गलियारों में तैरने लगा था कि अब शिवराज सिंह चौहान का पॉलिटिकल फ्यूचर क्या होगा?

क्या शिवराज को पार्टी संगठन में कहीं एडजस्ट करेगी, क्या उन्हें केंद्र में कृषि या किसी दूसरे विभाग का मंत्री बनाया जाएगा? तमाम सवाल उठ रहे हैं, तमाम कयास लगाए जा रहे हैं और इन सबके बीच शिवराज भी एक अलग तरह की रणनीति पर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं।
शिवराज कभी खेतों में पहुंचकर ट्रैक्टर चलाते नजर आ रहे हैं तो कभी लाडली बहनों के बीच। कभी ये कहते नजर आ रहे हैं कि दिल्ली जाकर कुछ मांगने की जगह मर जाना पसंद करूंगा तो कभी ये भी कह रहे हैं कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा। शिवराज का एक ताजा वीडियो सामने आया है जिसमें महिलाएं उनसे ये सवाल करती दिख रही हैं कि भैया आप क्यों चले गए? महिलाएं ‘मामाजी, अपनी बहनों के लिए जल्द वापस आना’ कहते भी नजर आ रही हैं। कुछ लाडली बहनें रोती नजर आईं तो शिवराज भी आंसू पोछते दिखे।

अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भविष्य की सियासत के लिए आधार तलाश रहे शिवराज क्या लाडली बहनों के सहारे एमपी की सियासत का बाजीगर बनना चाहते हैं? ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि सीएम की कुर्सी से हटने के बाद शिवराज की सक्रियता कहीं अधिक नजर आ रही है तो वह लाडली बहनों के बीच ही।

शिवराज चुनाव परिणामों के ऐलान के बाद से ही लाडली बहनों के बीच पहुंच रहे हैं। उन्होंने मोहन यादव को सीएम चुने जाने के बाद भी लाडली बहनों के बीच कहा था कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। लाडली बहनों के बीच सक्रियता और ट्रैक्टर चलाकर चने की बुवाई करते शिवराज की ये तस्वीरें महज खुद को व्यस्त रखने की तरकीब हैं या कोई सियासी रणनीति?

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने इसे लेकर कहा कि शिवराज ऐसे नेता नहीं हैं जिसे आप इतनी आसानी से जब चाहें, निपटा दें। शिवराज की गतिविधियां ये बताते हैं कि उनके दिमाग में अब भविष्य का कोई बड़ा गोल चल रहा है। एक तरफ वह महिलाओं के बीच लगातार सक्रिय हैं तो साथ ही सोशल मीडिया पर अपने बॉयो और पोस्ट के जरिए भी बीजेपी नेतृत्व को लगातार संकेत दे रहे हैं। हां, अपने संबोधन में बीजेपी का नाम लेकर जरूर वह एक समर्पित सिपाही के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं लेकिन ये सभी एक खास रणनीति का हिस्सा नजर आते हैं।

अब ये खास रणनीति क्या है? कहा जा रहा है कि शिवराज नहीं चाहेंगे कि उनकी इमेज को संघ की नजरों में किसी तरह से जरा भी ठेस पहुंचे। शिवराज के एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट के बायो में भैया, मामा और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री लिखा है। वहीं, पिछले कुछ दिनों में उनके ट्विटर हैंडल से जितने भी पोस्टर या पोस्ट आए हैं, उनमें भी कहीं बीजेपी का जिक्र तक नहीं है। मुंह से बीजेपी का नाम लेने से शिवराज परहेज नहीं कर रहे लेकिन एक्स हैंडल के बायो से लेकर पोस्ट किए जा रही तस्वीरों तक, कहीं भी पार्टी का जिक्र नहीं कर रहे।

शिवराज के एक्स पर बायो से लेकर पोस्ट तक, सियासी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। एमपी के पूर्व सीएम ने अभी एक दिन पहले ही एक्स पर एक तस्वीर पोस्ट की है जिसमें वह सड़क पर भारी भीड़ के बीच नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर के साथ शिवराज ने लिखा है- मेरा परिवार। सियासत में संकेत की भाषा के अपने मायने होते हैं। शिवराज की स्ट्रैटजी के पीछे क्या है?

ब्रांड शिवराज को मजबूती देने की रणनीति

शिवराज की रणनीति अपना सियासी आधार बचाए रखने और ब्रांड शिवराज को मजबूती देने की बताई जा रही है। शिवराज ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के साथ ही महिला मतदाताओं पर फोकस कर दिया था और यही वजह थी कि वह लाडली लक्ष्मी से लेकर लाडली बहना तक, लाडली योजनाएं लेकर आए। महिलाओं को टारगेट कर शिवराज ने जो योजनाएं शुरू कीं, उसका फायदा जाति-वर्ग या धर्म से हटकर एक नए वोट बैंक के रूप में उन्हें और बीजेपी को मिला।

महिलाओं और युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं शिवराज

खुद शिवराज ने भी मध्य प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद ये कहा था कि इसमें लाडली बहना का बड़ा योगदान है। एक तरफ शिवराज और राजनीति के तमाम जानकार-पत्रकार ये मान रहे हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के पीछे लाडली बहना का बड़ा रोल है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी नेतृत्व की राय इसके उलट नजर आती है। मध्य प्रदेश चुनाव में किसी नेता को सीएम फेस बनाए बिना मैदान में उतरी बीजेपी ने नए चेहरे पर दांव लगा ये संकेत दिया कि यह जीत सामूहिक नेतृत्व की है। वहीं, एक दिन पहले ही आजतक के कार्यक्रम एजेंडा आजतक 2023 में पहुंचे अमित शाह ने ये साफ कहा कि बीजेपी की जीत की एक ही वजह है- नरेंद्र मोदी।

महिला वोट पर पकड़, भविष्य पर नजर

अमिताभ तिवारी ने कहा कि शिवराज की यूएसपी ही महिला वोटर्स हैं। पिछले कुछ चुनाव देखें तो महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले अधिक वोट कर रही हैं। शिवराज अपने बनाए इस वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखना चाहते हैं जिससे भविष्य में अगर किसी नई सियासी संभावना का जन्म होता है तो उनकी दावेदारी मजबूत रहे।

नेतृत्व के रवैये को देखते हुए क्या शिवराज की रणनीति अब लाडली बहनों और किसानों के बीच अपना आधार बचाए रखते हुए संघ में पैठ मजबूत करने की है? शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता हर जाति, वर्ग और धर्म की महिलाओं के बीच है। ऐसे में क्या शिवराज अब लाडली बहनों के सहारे एमपी की सियासत के बाजीगर बनना चाहते हैं? सवाल कई हैं, कयास कई हैं लेकिन शिवराज का सियासी भविष्य क्या होगा? ये वक्त बताएगा। (एएमएपी)