नमामि गंगे का असर ।
सरकारी प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि दिसंबर 2022 तक पूरे गंगा बेसिन में प्रतिदिन 1336 मिलियन लीटर की उपचार क्षमता का निर्माण किया जाएगा। 2022 में कुल सीवेज शोधन क्षमता निर्माण 2109 एमएलडी होगा, जो इस बात को दर्शाता है कि नमामि गंगे के तहत युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है।
प्रवक्ता के अनुसार उत्तर प्रदेश में 20 स्थानों पर 2014 से 2022 की अवधि के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता के आकलन से पता चला है कि घुलित ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोकेमिकल डिमांड (बीओडी) और फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) जैसे मापदंडों में काफी सुधार हुआ है। जांच में पाया गया कि 20 स्थानों पर पीएच (पानी कितना अम्लीय है) स्नान के लिए पानी की गुणवत्ता के मानदंडों को पूरा करता है, जबकि डीओ, बीओडी और एफसी में 20 में से क्रमशः 16, 14 अैर 18 स्थानों पर सुधार हुआ है। कन्नौज से वाराणसी तक नदी के प्रदूषित खंड की बात करें तो बीओडी में वर्ष 2015 में 3.8-16.9 मिलीग्राम प्रति लीटर के मुकाबले 2022 में 2.5-4.3 मिलीग्राम प्रति लीटर तक का बेहतरीन सुधार दर्ज किया गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार बीओडी जितना कम होगा, पानी की गुणवत्ता अधिक बेहतर होगी।
संगम में प्रदूषण कम करने के लिए महत्वपूर्ण रहा मिशन मोड कार्यक्रम
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार उप्र के शहरों में कुछ प्रमुख उपलब्धियों में संगम में प्रदूषण को कम करने के लिए अर्ध कुंभ 2019 से पहले मिशन मोड पर प्रयागराज से पहले स्वीकृत परियोजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अर्ध कुंभ में 20 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा नदी में डुबकी लगाकर पाया कि पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वाराणसी में भी, दीनापुर में 140 एमएलडी एसटीपी की लंबे समय से लंबित परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा चुका है। रमना में 50 एमएलडी एसटीपी भी हाइब्रिड एन्युटी मोड के तहत रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया था और अब इसे चालू किया जा चुका है। कानपुर में 80 एमएलडी अनुपचारित सीवेज को गंगा नदी में ले जाने वाले सीसामऊ नाले को टैप किया जा चुका है और इसे एनएमसीजी द्वारा उचित योजना और निष्पादन के माध्यम से मौजूदा एसटीपी में जोड़ दिया गया है।
गंगा नदी को जीवंत करने को शुरू किया गया नमामि गंगे कार्यक्रम
प्रवक्ता ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम 2015 में एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाकर गंगा नदी को जीवंत करने के मकसद से शुरू किया गया था। स्वच्छ गंगा मिशन को देखने के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए नीतिगत निर्णय लिए गए। गंगा नदी में बहने वाले नालों को टैप करके सीवेज के अवरोधन और डायवर्जन पर ध्याबन केन्द्रित किया गया था। पुनर्वास और नवनिर्मित सीवरेज बुनियादी ढांचे दोनों के लिए संचालन और रख-रखाव की अवधि को 15 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है।