माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि, माघ पूर्णिमा कहलाती है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान और जप करना विशेष फलदायी माना जाता है। माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा पर खत्म होता है। माघ पूर्णिमा को माघ मास का अंतिम दिन माना जाता है। इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वालों को भगवान विष्‍णु की कृपा प्राप्त होती है। उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार 24 फरवरी, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन में जिस चीज की कमी होती है वह पूरी हो जाती है। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – फरवरी 23, 2024 को 03:33 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – फरवरी 24, 2024 को 05:59 पी एम बजे
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 11 बजकर से सुबह 6 बजकर 02 मिनट तक

पूजा -विधि-
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।  पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।  इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।  पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।  चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।  चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।  इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।  अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।(एएमएपी)