देश का तीसरा सबसे साफ सुथरा शहर बना लखनऊ।

अर्से बाद कहीं जाकर अब लखनऊ की तहज़ीब मुकम्मल होती दिख रही है। तहजीब साफ-सफाई के बिना अधूरी है। गुबंदों और बागों के शहर की खूबसूरती और तहजीब बजबजाती नालियों व कूड़े के ढेर में शर्मशार ना हो, ऐसे प्रयास सार्थक होने लगे हैं। नए भारत में यूपी की राजधानी की भी नई सूरत निखर रही है। स्वच्छता के पैमाने पर भी लखनऊ खरा उतरने लगा है। भाजपा भी अपनी नियत और नीति में कामयाब होकर डबल इंजन की सरकार का असर दिखा रही है। देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में गुजरात, एमपी और यूपी की राजधानियां शामिल हैं।

तहजीब,साफगोई और साफ-सुथरी ज़बान के लिए पहचाने जाने वाला लखनऊ साफ-सफाई में भी आगे निकल आया है। देश के टॉप थ्री शहरों में लखनऊ का नाम शामिल होने से ये बात भी साफ हो गई है कि महिला शक्ति ना सिर्फ घर की साफ-सफाई में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं बल्कि किसी शहर को साफ सुथरा बनाए रखने में भी एक महिला पुरुष की अपेक्षा और भी बेहतर काम कर सकती हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की ताजातरीन फेहरिस्त में लखनऊ ने सफाई के मामले में 44 वें नंबर से सीधे तीसरे नंबर पर छलांग लगा दी है।सफाईकर्मियों, लखनऊ वासियों,जिला प्रशासन और खासकर लखनऊ की महिला मेयर सुषमा खर्कवाल को इस कामयाबी का सबसे ज्यादा श्रय जाता है।
एक वर्ष में 44 वें से तीसरे स्थान पर आना कोई मामूली बात नहीं है। गौरतलब है कि स्वच्छ सर्वेक्षण में 2017 में लखनऊ 269 स्थान पर था और सात वर्षों में 266 की छलांग लगाकर तीसरे स्थान पर आ गया।

शहर को स्वच्छ रखने के लिए हर कसौटी पर खरी उतरी हैं। कूड़ा प्रबंधन में सुधार लाने से लेकर शहर के कोने-कोने में मेयर का निरीक्षण और समाधान के प्रयास रंग लाए हैं। दशकों से लखनऊ की खूबसूरती का दाग़ बनी गंदगी के खिलाफ मेयर ने सख्त कदम भी उठाए और नर्म रवैया भी इस्तेमाल किया। योजनाबद्ध तरीके से कूड़ा प्रबंधन हो या बजबजाती नालियों और नालों को साफ करवाने की मुहिम हो, सीवर से लेकर जल निकासी पर भी मास्टर प्लान तैयार कर शहर की स्वच्छता में चार चांद लगाने के लिए युद्ध स्तर पर लखनऊ नगर निगम काम कर रहा है।
खबर है कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में शहर लखनऊ मुस्कुराएगा और उसे पहली बार स्वच्छता की तहजीब के लिए सम्मान से नवाजा जाएगा।