#pradepsinghप्रदीप सिंह।
क्या बुलडोजर बाबा का बुलडोजर रुक जाएगा? अगर आप कांग्रेस के नेता और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की टिप्पणी सुनें और उनके साथी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया देखें तो आपको लगेगा कि ऐसा होने जा रहा है। लेकिन आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए, ऐसा बिल्कुल नहीं होने जा रहा है। असल में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले पर सुनवाई थी।

पहले समझ लीजिए कि यह घटनाक्रम कैसे चला और क्या अभी तक हुआ है। उसके बाद आपको बताऊंगा कि क्यों बुलडोजर की कार्रवाई का बुलडोजर बाबा का अभियान रुकने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह शुरू किया कि जो अपराधी, माफिया की जो अवैध संपत्ति है उसको गिरा दिया जाए। उसके बाद कई राज्यों ने, खास तौर से भाजपा शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने, इस कार्रवाई की नकल करना शुरू किया। लेकिन नकल के लिए थोड़ी अकल की जरूरत होती है। पिछले सात साल से योगी आदित्यनाथ जिस तरह से बुलडोजर की कार्रवाई कर रहे हैं, उस पर आज तक किसी अदालत ने कोई सवाल नहीं उठाया। क्यों नहीं उठाया? इस बात को समझेंगे तो समझ में आएगा कि बाकी राज्यों ने क्या किया और क्यों यह कार्रवाई नहीं रुकने वाली है।

उत्तर प्रदेश में जिनकी भी संपत्तियों पर बुलडोजर चला है उनमें से एक भी अदालत में नहीं गया। सुप्रीम कोर्ट गयी जमात ए इस्लामी। जो जमाते इस्लामी के बारे में जानते हैं वे उसका एजेंडा समझ सकते हैं। जमाते इस्लामी का एजेंडा कोई शांति और सद्भाव का एजेंडा तो है नहीं। वह इस बात का एजेंडा भी नहीं है कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हो, माफिया को नेस्तनाबूद किया जाए। योगी जी ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में अतीक अहमद के मामले में कहा था कि माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा। तो माफिया को मिट्टी में मिलाने की यह जो कार्रवाई शुरू हुई है इसका देश भर में भारी जनसमर्थन है। समर्थन करने वालों में भारतीय जनता पार्टी के समर्थक या मतदाता ही शामिल नहीं हैं। जो भाजपा को वोट नहीं देते वह भी समर्थन में हैं।

दूसरी राज्य सरकारों ने यह किया कि जिन जिन पर आरोप लगा, बुलडोजर भेजा और घर गिरा दिया। दो उदाहरण देता हूं। एक मध्य प्रदेश में हुआ, एक राजस्थान में। जो आरोपी था वह किराएदार था। मकान मालिक का घर गिरा दिया। राजस्थान में एक बच्चे ने चाकू मार दिया दूसरे बच्चे को। जिस बच्चे ने चाकू मारा वह मुसलमान था तो उसके पिता का घर गिरा दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है जिसको एक्स्ट्रापोलेट किया जा रहा है। इसको विस्तारित कर कहा जा रहा है कि बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी सख्त टिप्पणी की है। अब आप देखिए सुप्रीम कोर्ट क्या कह रहा है और उसको पेश किस रूप में किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से जो खबर, जो नैरेटिव बनाने की कोशिश हुई है उससे विपक्ष बहुत खुश है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर आगे 17 सितंबर को अगली सुनवाई होनी है। उससे पहले वरिष्ठ वकील नचिकेता जोशी को सुप्रीम कोर्ट ने यह जिम्मा सौंपा है कि सभी पक्षों से सुझाव लें।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश भर के लिए यानी राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की कार्यवाही के लिए हम एक गाइडलाइन बनाएंगे। सरकार को भी इस पर कोई ऐतराज नहीं है।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट भी फाइल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस एफिडेविट की सराहना की है और अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार के किसी एक्शन पर सवाल नहीं उठाया है। सुप्रीम कोर्ट हो, हाई कोर्ट हो, या फिर लोअर कोर्ट हो, कहीं से कोई सवाल नहीं उठा है। सवाल इसलिए नहीं उठा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक भी बुलडोजर की कार्रवाई ऐसी नहीं की है जो कानून सम्मत न हो- जिसमें कानूनी प्रक्रियाओं का पालन न किया गया हो। आप सुप्रीम कोर्ट की बेंच की टिप्पणियां सुनिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए, कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए होनी चाहिए। (और फिर क्वालिफाई किया कहीं गलतफहमी ना हो जाए) ‘हम जब यह टिप्पणी कर रहे हैं तो हम अवैध निर्माण पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, अवैध निर्माण को गिराने के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं।’

How It All Started And 'Bulldozer Baba' Became BJP's Ticket To Victory |  Nation

योगी सरकार ने जो भी कार्रवाई की है वह अवैध निर्माण के खिलाफ की… और उसका नैरेटिव यह बनाया गया कि कोई किसी अपराध में आरोपी बना तो बुलडोजर भेजकर उसका घर गिरा दिया गया। हालांकि वास्तविकता यह है कि एक भी ऐसी कार्रवाई नहीं है जिसमें किसी का घर इसलिए गिराया गया हो कि वह किसी अपराध में अपराधी के तौर पर चिन्हित हुआ है। कानूनी प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया गया है। ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया यह है कि अवैध निर्माण में आपने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, किसी निजी व्यक्ति की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है यानी अवैध कब्जा है। अब उसको हटाने का तरीका है आपको नोटिस भेजा जाएगा कि यह जो आपने निर्माण किया है अवैध है। यह जमीन आपने अवैध तरीके से हासिल की है। इसके बारे में आप स्पष्टीकरण दीजिए और बताइए कि आपके पास क्या प्रमाण है इसका। एक दूसरा नोटिस दिया जाता है कि हमारे रिकॉर्ड बता रहे हैं कि यह अवैध निर्माण है इसको आप गिरा दें। अवैध निर्माण गिराने के लिए स्थिति को देखते हुए उन्हें तीन-सात से लेकर पंद्रह-बीस दिनों की मोहलत दी जाती है। जब इन सब प्रक्रियाओं  भी कोई व्यक्ति अवैध निर्माण को नहीं हटाता और मय सबूत स्पष्टीकरण नहीं देता तो अवैध निर्माण गिरा दिया जाता है।

आप देखिए पिछले सात सालों में बदलाव क्या हुआ है इससे आपको पूरा मामला समझ में आएगा। ऐसा नहीं कि नोटिस पहले नहीं जाते थे इन विभागों से। नगर निगम और जो विकास प्राधिकरण हैं उनसे नोटिस पहले भी जाते थे। तो दो तरीके होते थे उससे निपटने के। एक उस दफ्तर में गए और वहां के बाबू या अधिकारी को पैसे दिए और चले आए। मामला शांत हो गया। वह नोटिस वह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता था। दूसरा तरीका यह था कि लोग जाते ही नहीं थे। नोटिस पर नोटिस भेजा जा रहा है, कोई परवाह ही नहीं करते थे। फाड़ के फेंक देते थे कि हमारे ऊपर कौन एक्शन लेगा, हमारे आका बैठे हैं ऊपर वो हमारा बचाव करेंगे। उनका संरक्षण हमको प्राप्त है। ये दोनों व्यवस्था योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही मार्च 2017 से खत्म हो गई। आका ही नहीं रहे तो बचाएगा कौन? और बाबुओं को मालूम है कि अगर इस मामले में रिश्वतखोरी की, हीला हवाली की, ढिलाई बरती तो उसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। तो कागज का काम वो पूरा चाक चौबंद रखते हैं। नोटिस भेजा जाए, समय दिया जाए, उनको अपनी बात कहने का मौका दिया जाए। यह सब कानूनी प्रक्रिया का पालन हो जाए फिर अवैध निर्माण ढहाया जाता है।

अब तर्क क्या देते हैं लोग कि भाई अवैध निर्माण था तो पहले क्यों नहीं गिरा दिया? अच्छा मान लीजिए कि अवैध निर्माण था, पहले नहीं गिराया, तो अब क्यों ना गिरायें। मतलब अवैध निर्माण को पहले नहीं गिराया इसलिए कभी नहीं गिराएं- इस तरह के कुतर्क का आप कोई जवाब नहीं दे सकते। माफिया, अपराधियों, गुंडों, बलात्कारियों के खिलाफ एक्शन के विरोध में किस तरह से एक राजनीतिक वर्ग खड़ा है। चाहे अयोध्या की घटना हो या कन्नौज की राहुल गांधी का कोई बयान नहीं आया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर तुरंत बयान आ गया कि बीजेपी की सरकारों ने यह जो तुरंत न्याय देने की प्रक्रिया चलाई है उस पर अंकुश लगना चाहिए, यह संविधान के विरोध में है, कानून के विरोध में है। यानी आप उनका समर्थन कर रहे हैं जो अपराधी प्रवृति के हैं, जो माफिया हैं, जो बलात्कारी हैं। उनके खिलाफ आपकी जबान नहीं खुलती। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करती है तो आप बड़े जोर शोर से बयान देते हैं। आप कोलकाता नहीं गए, अयोध्या नहीं गए, कन्नौज नहीं गए। जबकि कन्नौज से तो सांसद हैं अखिलेश यादव और उन्हीं की पार्टी का नेता पकड़ा गया है। उसका बचाव करने के लिए कोई बात थी नहीं तो कहा डीएनए टेस्ट होना चाहिए। अब डीएनए टेस्ट भी हो गया अयोध्या में भी हो गया। कन्नौज में जो नवाब यादव है, समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता, पदाधिकारी भी रह चुका है उसका डीएनए मैच हो गया है। अब अखिलेश यादव की बोलती बंद है। उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रही है। उन्होंने यह नहीं कहा कि मैंने डीएनए टेस्ट की मांग की थी सरकार ने मान ली। डीएनए टेस्ट कराया डीएनए मैच हो गया। अब इस व्यक्ति को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। यह सामान्य सा बयान भी उनसे नहीं दिया गया। न ही राहुल गांधी की ओर से कोई बयान आया ऐसा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे वह भाजपा, खास तौर से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के खिलाफ, कोई स्ट्रक्चर पास हो गया हो जबकि उत्तर प्रदेश की सरकार के खिलाफ एक शब्द भी सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बोला है।

यह मानकर चलिए कि आज पूरे देश में अगर योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी पहचान कोई बनी है, जो कई बार उनकी हिंदुत्व की पहचान पर भी भारी पड़ जाती है- वह है कानून व्यवस्था को सुधारना, उस पर नियंत्रण करना, माफिया राज को खत्म करना, गुंडों को कानून का, संविधान का डर दिखाना और आम आदमी ही नहीं पुलिस का भी हौसला बढ़ाना कि अगर अपराधियों के खिलाफ कोई एक्शन कर रहे हो कोई कार्यवाई कर रहे हो तो निश्चित होकर करो। कानून सम्मत तरीके से कर रहे हो तो सरकार तुम्हारे साथ खड़ी है। ऐसा नहीं होगा मुलायम सिंह यादव के समय की तरह कि शैलेन सिंह जैसे पुलिस अधिकारी को जो माफिया के खिलाफ एक्शन ले उसको नौकरी से इस्तीफा देना पड़े, उसका जीना मुश्किल हो जाए। उसका परिवार बर्बाद हो जाए। उस तरह का माहौल अब नहीं रह गया है।

जिन लोगों को थोड़े समय के लिए गलतफहमी हो गई है कि सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई के बाद बाबा का बुलडोजर एक्शन बंद होने वाला है या रुक जाने वाला है, ऐसा होने वाला नहीं है। बुलडोजर चल पड़ा है और वह लोगों को न्याय दिलाने के लिए हर उस जगह जाएगा जहां अन्याय, अत्याचार, अपराध हो रहा है, माफिया-असामाजिक तत्वों को संरक्षण मिल रहा है। बहुत से लोग कहते हैं कि न्याय अदालत से मिलना चाहिए। न्याय बहुत तरीके से मिलता है। न्याय इस बात से भी मिलता है कि लोगों के मन में यह भरोसा हो जाए कि हमारे साथ अगर कुछ गलत हो भी गया तो हमको न्याय मिलेगा। जिस सरकार को हमने चुनकर भेजा है वह हमारे पक्ष में खड़ी होगी, हमारे खिलाफ नहीं। यह भी न्याय का तरीका है। अपराधी के खिलाफ अगर व्यवस्था खड़ी है यह भी न्याय का एक तरीका है। तो न्याय केवल अदालत से नहीं मिलता बल्कि कई स्तरों पर मिलता है। न्याय मिलता है व्यवस्था में भरोसे से और उसी भरोसे को कायम किया है योगी आदित्यनाथ की सरकार ने।

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(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अख़बार’ के संपादक हैं)