आपका अखबार ब्यूरो।
राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एंटी करप्शन डे पर दो अनूठे मामले पकड़े। सवाई माधोपुर में एसीबी के डीएसपी भैरूलाल मीणा ने एंटी करप्शन डे पर भाषण देते हुए आम लोगों से रिश्वत न देने को कहा और एक घंटे बाद ही 80 हजार रुपये रिश्वत लेते धरे गए। यह अपने आप पहला मामला है जब एसीबी के डीएसपी स्तर के अधिकारी को घूस लेते धरा गया है। वहीं बारां जिला कलेक्टर इंद्रसिंह राव के पीए महावीर नागर एक पेट्रोल पंप से एक लाख 40 हजार की घूस लेते पकड़े गए। जिला कलेक्टर का भी नाम आने के कारण राज्य सरकार ने उन्हें एपीओ कर दिया है। यानी अब उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। कलेक्टर पद पर रहते हुए रिश्वत कांड में एपीओ होने वाले राव राजस्थान के पहले अफसर हैं।
रिश्वतखोर अफसरों के बारे में क्या कहा था चाणक्य ने
सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों द्वारा अवैध तरीकों से धन कमाने की चर्चा करते हुए चाणक्य ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में कहा कि चोरों को तो चोरी करने से रोका जा सकता है लेकिन सरकारी अधिकारियों को भ्रष्टाचार से रोकना कठिन है। राज कर्मचारी राजकीय कोष को भी लूटते हैं और जनता को भी। उनके कार्यकलापों को पूरी तरह से जानना आसान नहीं है। जैसे जीभ पर रखे हुए मधु अथवा विष का स्वाद लिए बिना नहीं रहा जा सकता उसी तरह अर्थ अधिकार यानी पैसे का लेनदेन से संबंधित काम पर नियुक्त व्यक्ति धन का थोड़ा भी स्वाद ना लें यह असंभव है। गुप्तचरों द्वारा ही इस बात का ठीक से पता चल सकता है कि कौन हेरा-फेरी करता है और कौन नहीं।
दफ्तर में ही अफसरों को बुलाकर घूस लेता था
डीएसपी भैरूलाल मीणा सवाई माधोपुर एसीबी चौकी में बतौर प्रभारी कार्यरत था। वह कोटा की आकाशवाणी कॉलोनी का रहने वाला है। एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने बताया कि उसके खिलाफ दो-तीन महीने से मासिक बंधी वसूलने की शिकायतें मिल रही थीं इसलिए उस पर लगातार नजर रखी जा रही थी। वह एसीबी चौकी अफसरों को बुलाकर बंधी लेता था।
जयपुर से एसीबी टीम सवाई माधोपुर एसीबी कार्यालय पहुंची तो वहां सवाई माधोपुर डीटीओ महेश चंद मीणा मासिक बंधी के 80 हजार रुपए देने आए हुए थे। जयपुर एसीबी टीम ने डीटीओ को रिश्वत देते और डीएसपी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया।
इससे एक घंटा पहले भ्रष्टाचार निरोधक दिवस के मौके पर भाषण देते हुए डीएसपी मीणा ने आमजन को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जागरूकता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘घूस लेना और देना दोनों अपराध है। अगर कोई घूस मांगे तो 1064 पर कॉल करके शिकायत की जा सकती है।’
कलेक्टर साब पर गिरफ्तारी की तलवार
अब बात बारां कलेक्टर आईएएस इंद्रसिंह राव की। वो राजस्थान के पहले जिला कलेक्टर हैं जो पद पर रहते हुए घूसकांड में एपीओ हुए हैं।
कोटा एसीबी के एएसपी ठाकुर चंद्रशील ने बताया कि गोविंद सिंह ने एसीबी कार्यालय में शिकायत दी थी कि उनके पेट्रोल पंप के लीज कैंसिल कर दी गई है। एनओसी जारी करने के लिए बारां जिला कलेक्टर इंद्रसिंह राव के पीए महावीर नागर ने दो लाख चालीस हजार की रिश्वत मांगी है। एसीबी कोटा ने जाल बिछाया और एक लाख 40 हजार की रिश्वत लेते महावीर को रंगे हाथ पकड़ लिया। पूछताछ में पीए ने कबूल किया कि रिश्वत के पैसे में एक लाख रुपए जिला कलेक्टर को भी देने थे। हालांकि एसीबी की शुरुआती जांच में इंद्रसिंह राव की संलिप्तता सामने आई है, मगर उनके द्वारा सीधे तौर पर रिश्वत की मांग नहीं की गई थी।
मूलरूप से जयपुर के रहने वाले 1989 बैच के राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारी इंद्रसिंह राव चार साल पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में प्रमोट किए गए थे। 31 साल के प्रशासनिक सेवा के कार्यकाल में राव 6 बार एपीओ और एक बार सस्पेंड हो चुके हैं।
पीए रिश्वत कांड में नाम सामने आने के बाद राज्य सरकार ने बुधवार शाम को ही राव को एपीओ कर दिया।
युवाओं की मानसिकता और महत्वाकांक्षा बदलने में जुटे मोदी और योगी