पहले समझते हैं 2019 के हाल
उस दौरान भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे बड़े राज्य चुनावी दौर से गुजरने के लिए तैयार थे। नवंबर 2018 में राहुल ने कथित राफेल घोटाले के मुद्दे को उठाने के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। हालांकि, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी को चुनावी जीत मिली भी, लेकिन 2019 में दांव फेल होता नजर आया।
इधर, भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ के नारे से राहुल को घेरना शुरू किया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को क्लीन चिट दे दी।

क्या 2024 में चल पाएगा दांव?
इस बार भी करीब 9 राज्य विधानसभा चुनाव से गुजरने वाले हैं और कांग्रेस ने उद्योगपति से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर सुर तेज कर दिए हैं। सदन में राहुल ने 2014 के बाद अडानी समूह के बढ़ने और गुजरात से संबंधों पर बात की।
बात साल 2014 चुनाव से पहले की है। तब भाजपा ने सदन में 2जी और कोलगेट जैसे घोटालों के लिए जांच की मांग उठाई थी। उसी तरह अडानी मामले पर भी संसदीय समिति की जांच की मांग उठ रही है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि यह मामला किसी भी तरह से बड़े स्तर पर सरकार या पब्लिक सेक्टर से नहीं जुड़ा है। साथ ही कांग्रेस शासित राज्यों के अडानी के साथ कारोबार में शामिल होने के मुद्दे को उठाया जा रहा है। कुछ समय पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उद्योगपति गौतम अडानी के साथ मंच साझा करते देखा गया था। (एएमएपी)



