प्रहलाद सबनानी।
भारत ने अंततः पाकिस्तान के कई आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर ही दिया। भारत के इस कठोर कदम से भारतीय नागरिकों को संतुष्टि मिली है, विशेष रूप से उन परिवारों को जिन्होंने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों के हमले में अपने सगे सम्बन्धियों को खोया है। विश्व के लगभग समस्त देशों ने भारत के इस कदम का समर्थन ही किया है क्योंकि आतंकवादियों से अपने देश के नागरिकों की रक्षा करना किसी भी देश की सरकार का प्रथम कर्तव्य है। भारत को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमले करने का साहस कहां से मिलता है। यह मिलता है भारतीय नागरिकों की एकजुटता से, वर्तमान केंद्र सरकार पर देश के नागरिकों का भरपूर विश्वास है एवं वह यह सोचती है सही समय पर एवं सही स्थान पर भारतीय सेना आतंकवादियों पर हमला करके अपने नागरिकों के मारे जाने का बदला जरूर लेगी।
दूसरे, संभवत: भारत की लगातार मजबूत हो रही आर्थिक स्थिति से भी केंद्र सरकार को कठोर निर्णय लेने का बल मिलता है। इस संदर्भ में, हाल ही में अच्छी खबर यह आई है कि भारत जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चोथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है एवं संभवत: वर्ष 2026 के अंत तक जर्मनी की अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारतीय अर्थव्यवस्था आज भी विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। विश्व के लगभग समस्त वित्तीय संस्थान भारत के संदर्भ में यह भविष्यवाणी करते हुए दिखाई दे रहे है कि आगे आने वाले कई दशकों तक भारत इसी प्रकार विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
भारत ने पिछले 10/11 वर्षों के दौरान वित्तीय क्षेत्र में कई सुधार कार्यक्रमों को लागू किया है। जिसका परिणाम स्पष्ट रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है। माह अप्रेल 2025 में वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण नित नई ऊंचाईयां छूते हुए 2.37 लाख करोड़ रुपए के उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गया है। यह सब देश के नागरिकों द्वारा अप्रत्यक्ष करों के नियमों का अनुपालन करने के चलते सम्भव हो पा रहा है। अप्रेल 2025 माह में ही फैक्ट्री उत्पादन के मामले में पिछले 10 माह के उच्चत्तम स्तर को पार किया गया है। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपए की कीमत अमेरिकी डॉलर की तुलना में तेजी से बढ़ती जा रही है और यह अपने पिहले 7 माह के उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई है। और तो और, सरकारी उपक्रमों एवं निजी कम्पनियों की लाभप्रदता में भी भारी सुधार देखने में आ रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय स्टेट बैंक ने 70,901 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया है। इसी प्रकार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 69,621 करोड़ रुपए, एचडीएफसी बैंक ने 64,062 करोड़ रुपए, ओएनजीसी ने 49,221 करोड़ रुपए, टाटा कंसल्टैसी सर्विसेज लिमिटेड ने 45,908 करोड़ रुपए, आईसीआईसीआई बैंक ने 44,256 करोड़ रुपए, इंडियन आइल कॉर्पोरेशन ने 41,729 करोड़ रुपए, लाइफ इन्शुरन्स कॉर्पोरेशन ने 40,915 करोड़ रुपए, कोल इंडिया लिमिटेड ने 37,402 करोड़ रुपए एवं टाटा मोटर्स लिमिटेड ने 31,399 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया है। आपको ध्यान में होगा कि आज से कुछ वर्ष पर तक केंद्र सरकार को कई सरकारी उपक्रमों को चलायमान बनाए रखने के लिए लाखों करोड़ रुपए की सहायता केंद्रीय बजट के माध्यम से इन सरकारी उपक्रमों की करनी होती थी। आज स्थित एकदम बदल गई है एवं आज ये लगभग समस्त उपक्रम केंद्र सरकार के लिए कमाऊ पूत की भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं एवं करोड़ों रुपए का लाभांश केंद्र सरकार को उपलब्ध करा रहे हैं। यह सब केंद्र सरकार द्वारा इन उपक्रमों में सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के चलते ही सम्भव हो सका है।
वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत भयावह स्थिति में पहुंच गया था तथा उस समय भारत के पास केवल 15 दिवस के आयात के बराबर ही विदेशी मुद्रा भंडार बच गया था और भारत को अपने स्वर्ण भंडार को ब्रिटेन के बैंकों में गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा भंडार की व्यवस्था करनी पड़ी थी। आज स्थिति इस ठीक विपरीत है आज भारत के पास लगभग एक वर्ष के आयात के बराबर की राशि का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है और यह 68,813 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर के ऊपर निकल गया है जो भारत के इतिहास में आज तक के उच्च्त्तम स्तर के बहुत करीब है। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत से विभिन्न उत्पादों एवं सेवा क्षेत्र के निर्यात अपने उच्चत्तम स्तर 82,490 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गए हैं। जिसके चलते भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अतुलनीय सुधार होता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत से विभिन्न देशों को निर्यात में अभी और सुधार होता हुआ दिखाई देगा क्योंकि भारत ने हाल ही में ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया है इससे भारत के सेवा क्षेत्र को अत्यधिक प्रोत्साहन मिलने जा रहा है और ब्रिटेन में भारतीय इंजिनीयर एवं डाक्टर के साथ ही अन्य क्षेत्रों में कार्य करने के लिए भारतीयों की मांग में वृद्धि दृष्टिगोचर होगी। अमेरिका के साथ भी भारत का द्विपक्षीय व्यापार समझौता अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है और यूरोपीयन यूनियन देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता दिसम्बर 2025 तक सम्पन्न होने की प्रबल सम्भावना है। इसके बाद भारत से विकसित देशों को निर्यात निश्चित रूप से बढ़ेंगे और इसके चलते बहुत सम्भव है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत के निर्यात अपने उच्चत्तम स्तर अर्थात एक लाख करोड़ अमेरिको डॉलर के स्तर को भी पार कर जाएं। यदि ऐसा होता है तो भारत में विदेशी मुद्रा भंडार भी एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर सकते हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी कम होती हुई अर्थात लगभग 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर होती हुई दिखाई दे रही हैं जबकि भारत अपने उपयोग का 80 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल का आयात विभिन्न देशों से करता है। साथ ही, भारत को स्वर्ण के आयात को भी नियंत्रण में रखना होगा। इससे, भारतीय रुपए की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की तुलना में और अधिक मजबूत होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई कमी और वर्ष 2025 के खरीफ मौसम के दौरान मौसम विभाग द्वारा की गई सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी के कारण खुदरा कृषि क्षेत्र में मुद्रा स्फीति (महंगाई) की दर मार्च 2025 माह में कम होकर 3.73 प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंच गई है।
वित्तीय वर्ष 2013-14 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दुगना होकर 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी आगे निकल गया है। इससे भारतीय नागरिकों की आय भी लगभग दुगनी हो गई है एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे नागरिकों की संख्या में भी भारी कमी दर्ज हुई है। इससे देश के नागरिकों में उत्साह का माहौल जागा है तथा वे एकजुट होकर केंद्र सरकार के आतंकवाद के विरुद्ध लिए जा रहे निर्णयों का भारी समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे है। इससे यह सिद्ध हो रहा है कि भारत की आर्थिक क्षेत्र में मजबूती के चलते केंद्र सरकार को भी आतंकवाद के विरुद्द कड़े निर्णय लेने में कोई हिचक नहीं हो रही है। साथ ही, भारत की लगातार मजबूत हो रही आर्थिक स्थिति के चलते विश्व के अन्य कई देश भी आतंकवाद की लड़ाई में भारत के साथ खड़े नजर आ रहे है। आगे आने वाले समय में भारत की आर्थिक स्थित जितनी अधिक सुदृद्ध होती जाएगी, वैश्विक पटल पर भारत के लिए अन्य देशों का समर्थन और अधिक मजबूत होता जाएगा। और फिर, उक्त वर्णित परिस्थितियों के बीच भारत को अपनी एवं भारतीय नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने का अधिकार भी तो है। भारत की आर्थिक स्थिति जितनी अधिक मजबूत होगी, केंद्र सरकार के सुरक्षा सम्बंधी निर्णय भी उतने ही मजबूत रहेंगे।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त उपमहाप्रबंधक हैं)