इकोनॉमी में तेजी की है उम्मीद
सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 के तीन झटकों, रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां भारत को सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में देख रही हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि आरबीआई की ब्याज दर में बढ़ोतरी, करंट अकाउंट डेफिसिट का बढ़ना, निर्यात में बढ़ोतरी पर ब्रेक इकोनॉमी ग्रोथ के लिए निगेटिव हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत पीपीपी (क्रय शक्ति समानता) के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। रिपोर्ट में कहा गया, ”अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसे लगभग फिर से पा लिया है। जो रुका हुआ था, उसे नया कर दिया है। महामारी के दौरान और यूरोप में संघर्ष के बाद जो गति धीमी हो गई थी, उसे फिर से सक्रिय कर दिया है।”
महंगाई से चिंता की बात नहीं
रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत चिंताजनक नहीं हो सकती है। हालांकि, कर्ज की लागत लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया कि आगामी वित्त वर्ष के दौरान ज्यादातर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की वृद्धि दर मजबूत रहेगी। ऐसा निजी खपत में सुधार, बैंकों द्वारा कर्ज देने में तेजी और कंपनियों द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी के कारण होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अधिक मौके तैयार करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि जरूरी है। (एएमएपी)