प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जॉब फॉर लैंड मामले में पूर्व रेलमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के कथित सहयोगी अमित कात्याल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी इस मामले में धन शोधन जांच के सिलसिले में की गई है। ईडी ने अमित कात्याल को पटना में देररात हिरासत में लिया था। कारोबारी अमित एके इन्फोसिस्टम के प्रमोटर हैं। यह कंपनी जमीन के बदले नौकरी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रही है। कात्याल और एके इंफोसिस्टम जमीन घोटाले में ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में हैं।आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि कात्याल करीब दो महीने से पूछताछ के लिए एजेंसी के समन से बच रहे थे। ईडी के अधिकारियों ने उसे धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दिल्ली से हिरासत में लिया। संघीय एजेंसी ने मार्च में कात्याल के परिसरों पर छापा मारा था। उस समय लालू प्रसाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, उनकी बहनों और अन्य के परिसरों की भी तलाशी ली गई थी।

ईडी के अनुसार, कात्याल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो के ‘करीबी सहयोगी होने के साथ-साथ ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक भी हैं। ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड इस मामले में कथित तौर पर एक ‘लाभार्थी कंपनी है और इसका पंजीकृत पता दक्षिणी दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक आवासीय इमारत है। इसका उपयोग यादव द्वारा किया जा रहा था। कथित घोटाला उस समय का है जब लालू प्रसाद यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे।

आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और बदले में इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी। पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया ईडी मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर है।

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सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से कथित तौर पर प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची, जो मौजूदा बाजार दरों के एक-चौथाई से पांचवें हिस्से तक थी। (एएमएपी)