राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में चार दिन पहले हुई बरसात का ही असर है कि यहां की हवा में घुले जहर का असर काफी हद तक कम हुआ है। समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में पिछले 24 घंटे में ऐसा उछाल नहीं है, जिससे संकट गहराए। इसके बावजूद राजधानी की वायु गुणवत्ता को अच्छा नहीं कहा जा सकता। वह कल की तरह आज (भी) ‘खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, रविवार को दिल्ली के आनंद विहार में एक्यूआई 266, आरके पुरम में 241, पंजाबी बाग में 233 और आईटीओ में 227 रहा। कल सुबह यह दिल्ली के आनंद विहार में 282, आरके पुरम में 220, पंजाबी बाग में 236 और आईटीओ में 263 दर्ज किया गया था।

यह सब गुरुवार रात को हुई वर्षा का असर है। इस वजह से लोगों ने राहत सांस ली है। वरना अदालत की तल्ख टिप्पणी से भन्नाई दिल्ली सरकार तो कृत्रिम वर्षा की तैयारी कर रही थी। मगर इससे पहले प्रकृति ने मोर्चा संभालते हुए राहत की फुहारों से हवा को सांसों में जाने लायक बना दिया। बोर्ड का कहना है कि एनसीआर के प्रमुख शहरों में आज हवा की गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में है। दिल्ली-एनसीआर में रविवार सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर 263 पर आ गया। यह शुक्रवार को 300 था।

नरक चुतर्दशी अर्थात् नरक से मुक्ति के लिए दीपदान

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बीच साफ किया है कि उत्तर पश्चिम की तरफ से हवा चलने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए दीपावाली यानी आज दिन में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच सकती है। अगले दिन सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 अंक से अधिक जा सकता है। इस कारण 13 नवंबर और 14 नवंबर को हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने की संभावना है।

इस सबके बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता से संबंधित रिपोर्ट पर विभिन्न एजेंसियों के दावों पर सवाल उठाया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि जमीनी स्तर पर परिणाम असंतोषजनक हैं। चेयरमैन न्यायमर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और पर्यावरण सदस्य ए.सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि एजेंसियों को अपनी रणनीति की समीक्षा करने की जरूरत है। पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और बोर्ड (प्रतिवादी) से 20 नवंबर को अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।  (एएमएपी)