प्रमोद जोशी ।

अमेरिका में चुनाव का रोमांच अभी बाकी है, जिसका नतीजा भारतीय समय से कल यानी 6 जनवरी की सुबह पता लगेगा। अमेरिकी समय से वह 5 जनवरी की रात होगी। 5 जनवरी को जॉर्जिया में सीनेट की दो सीटों के लिए दोबारा चुनाव होने जा रहा है। इन सीटों पर 3 नवंबर को भी चुनाव हुआ था लेकिन जॉर्जिया के कानून के मुताबिक, किसी भी उम्मीदवार को बहुमत यानी 50 फीसदी वोट नहीं मिले थे, इसलिए रन-ऑफ की जरूरत पड़ी।


 

दोनों सीटें जीतना चाहते हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप हर कीमत पर इन दोनों सीटों को जीतना चाहते हैं, क्योंकि इससे सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो जाएगा, जिससे नए राष्ट्रपति जो बाइडेन की स्थिति कमजोर हो जाएगी। इन नतीजों के आने के बाद 6 जनवरी को अमेरिकी संसद में इलेक्टोरल कॉलेज वोट की गिनती होने जा रही है।

अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की मौजूदा स्थिति इस चुनाव को महत्वपूर्ण बनाती है। रन-ऑफ में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से डेविड पर्ड्यू और केली लॉफ्लर खड़े हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से जॉन ओसोफ और रफाल वरनॉक हैं। नवंबर के चुनाव में पर्ड्यू को 49.8 फीसदी और ओसोफ को 47 फीसदी वोट मिले थे। ओपीनियन पोल्स में दोनों सीटों पर रिपब्लिकन उम्मीदवार आगे बताए गए हैँ।

बिल पास कराना है तो सीनेट की मंजूरी भी चाहिए

जॉर्जिया से पिछले 20 साल में एक बार भी डेमोक्रेटिक पार्टी ने सीनेट का चुनाव नहीं जीता है। 3 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ने 1992 के बाद पहली बार जॉर्जिया जीता था। इससे उन्हें उम्मीद है कि रन-ऑफ में उनकी जीत हो सकती है। जो बाइडेन अपने कार्यकाल में कितना काम कर पाएंगे, यह इस चुनाव पर निर्भर करेगा। प्रतिनिधि सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट्स बहुमत में हैं लेकिन बाइडेन प्रशासन को कोई बिल पास कराना है तो सीनेट की मंजूरी भी चाहिए। रिपब्लिकन चुनाव जीत गए तो सीनेट में उनके पास बहुमत होगा और बिल पास कराना मुश्किल हो जाएगा। डेमोक्रेट्स दोनों रन-ऑफ जीतें, तो सीनेट में दोनों पार्टियों के पास 50-50 सीटें हो जाएंगी। इस स्थिति में टाई-ब्रेकर वोट सीनेट सभापति का होगा, जो उपराष्ट्रपति कमला हैरिस होंगी।

विजेता का ऐलान

इलेक्टोरल कॉलेज जो बाइडेन को 14 दिसंबर को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति चुन चुका है। अब 6 जनवरी को संसद के संयुक्त अधिवेशन में हर राज्य के सील सर्टिफिकेट को खोला जाएगा, जिसमें इलेक्टोरल वोट्स का रिकॉर्ड होगा। सीनेट और हाउस के प्रतिनिधि नतीजों को जोर से पढ़ेंगे और एक आधिकारिक गिनती करेंगे। संसद के इस संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता सीनेट प्रमुख उपराष्ट्रपति माइक पेंस करेंगे और विजेता का ऐलान करेंगे। पेंस की भूमिका केवल औपचारिक है, वे नतीजों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं।

US: शांति से सत्ता परिवर्तन का रास्ता साफ, इलेक्टोरल कॉलेज ने बाइडेन को चुना राष्ट्रपति - US presidential election Electoral College Votes Joe Biden as america president - AajTak

सीनेट का महत्व

अमेरिकी शासन प्रणाली में सीनेट में बहुमत बेहद अहम है। कोई राष्ट्रपति सीनेट में बिना बहुमत के अपना एजेंडा लागू नहीं कर सकता। जब कभी ऐसी स्थिति होती है, जब राष्ट्रपति की पार्टी का सीनेट में बहुमत न हो, तो अमेरिकी राजनीति में उसे लेम-डक राष्ट्रपति कहा जाता है। यानी उसकी स्थिति लंगड़ी बत्तख जैसी हो जाती है। जॉर्जिया के सीनेट चुनाव में दोनों पार्टियों की तरफ से करोड़ों डॉलर खर्च किए गए हैं। सीनेट में कुल 100 सीटें होती हैं। हरेक राज्य से दो। इस समय रिपब्लिकन पार्टी के पास 50 और डेमोक्रेटिक पार्टी के पास 46 सीटें हैं। इनके अलावा दो निर्दलीय सदस्य हैं। वरमोंट राज्य से जीते बर्नी सैंडर्स और माइन से जीते एंगस किंग वैसे तो निर्दलीय हैं, लेकिन वे डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ रहते हैं। इस प्रकार दोनों दलों के बीच 50-48 का अंतर हैं। यदि डेमोक्रेट्स दोनों सीटें जीतेंगे, तब सदन में टाई की स्थिति होगी। ऐसे में निर्णायक वोट सभापति का होगा, जो उपराष्ट्रपति कमला हैरिस होंगी। रिपब्लिकन पार्टी एक सीट भी जीती, तो उसका बहुमत हो जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)


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