आपका अखबार ब्यूरो । 
ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर हुमा कुरैशी की केंद्रीय भूमिका वाली पॉलिटिकल ड्रामा वेब सीरीज ‘महारानी’ रिलीज हो गई है। हालांकि निर्माताओं ने इसे किसी राजनीतिक घटनाक्रम पर आधारित नहीं बताया है लेकिन 10 एपिसोड की इस सीरीज की कहानी बिहार की राजनीति के इर्द गिर्द घूमती है। 

‘महारानी’ को बिहार की राजनीति से जोड़कर देखे जाने के कारण दर्शकों में इस वेब सीरीज का बेसब्री से इंतजार था। सोशल मीडिया पर इसे लेकर वरिष्ठ पत्रकारों शंभूनाथ शुक्ल और निशीथ जोशी के अगल-अलग मत है।

लालू राबड़ी के लिए सहानुभूति जगाने का प्रयास

Maharani Web Series Review - Well-Crafted Chronicle Of A Story That Needed Telling

निशीथ जोशी लिखते हैं :
“महारानी वेब सीरीज में लेखक सुभाष कपूर और निदेशक करण शर्मा ने बिहार और वहां के समाज के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है। लगता है जैसे किसी ने उनको फाइनेंस करके  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के सजा याफ्ता मुजरिम लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी तथा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री  राबड़ी देवी के लिए आम जनता में सहानुभूति पैदा करने और वर्तमान मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को बदनाम करने के लिए टूल किट के रूप में इस्तेमाल कर लिया है।
Lalu Prasad Yadav: How Lalu, Rabri skipped pre-boarding security checks at Patna airport for 8 years | India News - Times of India
सबको पता है कि चारा घोटाला मामले में राबड़ी देवी भी आय से अधिक संपत्ति को लेकर जांच के दायरे में थीं। महारानी वेब सीरीज में राबड़ी देवी को रानी भारती के रूप में प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उनको ईमानदारी की और समझदारी की मूरत बताने की कोशिश की गई है। उधर जिस नाम के आईएएस अधिकारी वास्तव में अमित खरे ने इस चारे घोटाले की पोल खोली थी, वहां एक मुस्लिम अधिकारी को दिखा दिया गया है।
चारा घोटाले में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं थी। महारानी वेब सीरीज में राज्यपाल की एक अपराधी हिंदू समाज के धर्माचार्य से मिली भगत दिखा कर हिंदू समाज को बदनाम करने की साजिश भी रची गई है। इतना ही नहीं रणवीर सेना के नाम पर क्षत्रियों और भ्रष्ट के रूप में ब्राह्मण समाज को भी बदनाम किया है।
नवीन बाबू के रूप में नीतीश कुमार को राजनीतिक तौर पर अपरिपक्व और लालू यादव को बहुत शातिर नेता बताने का प्रयास किया गया है। साथ ही लालू प्रसाद यादव ( भीम भारती) को अपनी पत्नी की ईमानदारी और राजनीति का बेचारा शिकार बता कर महिमा मंडित करने का ताना बाना बुना गया है। क्या यह राबड़ी देवी को बिहार की राजनीति में सक्रिय और स्थापित करने का कोई टूल किट है।
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कुल मिला कर फिल्म से संदेश देने की कोशिश की गई है कि चारा घोटाले में राज्य पाल भी शामिल थे। अगड़ी जातियों के लोग अपराधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। लगता है कि जानबूझ कर असली घोटाले की कहानी को दूसरा एंगल इसलिए दिया गया है ताकि बिहार की नई और भावी पीढ़ियों को बरगलाया जा सके। कहीं सीरीज बनाने वालों की ऐसे लोगों ने पर्दे के पीछे से आर्थिक मदद तो नहीं की है, जिनकी छवि को निखारने के लिए पूरे चारा घोटाले का स्वरूप कुछ और ही दर्शा दिया गया है।”

देखने के बाद मुँह से एक ही शब्द निकला- अद्भुत!

शम्भूनाथ शुक्ल तो फिल्म देखने में ऐसे रमे कि उन्हीं के शब्दों में सुनिए:
“कल पाँच बजे के आसपास मैं सोनी लिव पर महारानी वेब सीरीज़ देखने बैठ गया तो उसके मोह-पाश में बँधता ही चला गया। एक के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी कड़ी। इस तरह उत्सुकता बढ़ती ही गई और मैंने एक साथ उसकी सारी दस सीरीज़ एक सिटिंग में ही देख डालीं। और पाँच बजे से रात साढ़े बारह बजे तक मैं एक ही जगह बैठा महारानी को देखता रहा। इसके बाद मेरे मुँह से एक ही शब्द निकला- अद्भुत!”
मैंने फ़ौरन मुंबई में अपने साथी उमा शंकर सिंह को फ़ोन किया, और कहा कि उमा तुम कमाल के लेखक हो। तुम्हारा विज़न, लेखन-शक्ति और समाज की वास्तविकताओं को पहचानने में तुम्हारा सानी नहीं। मैंने यह भी नहीं सोचा कि रात साढ़े 12 बजे किसी को फ़ोन करना, सिर्फ़ यह बताने के लिए कि तुमने बहुत बढ़िया लिखा है, कहाँ का शिष्टाचार है। ठीक है उमा से मेरे अनौपचारिक रिश्ते हैं, उसने मेरे साथ काम ही नहीं किया है, बल्कि छोटे भाई जैसा है। एक बार जब मैं दिल्ली से मेरठ अमर उजाला का संपादक हो कर चला गया, तब उमा दिल्ली से मुंबई चला गया था, सिनेमा-जगत में अपना कौशल दिखाने। एक साल बाद वह दिल्ली आया तो बस पकड़ कर मेरठ भी आया और सारी रात सिनेमा में वास्तविक जीवन को दिखाती फ़िल्मों के भविष्य पर अपन बात करते रहे। महारानी वेब सीरीज़ पर मेरा पूरा समीक्षात्मक लेख ‘न्यूज़क्लिक’ पर उपलब्ध है।