#WATCH | Hyderabad, Telangana: Congress MP Uttam Kumar Reddy says, “We came to the Election Commission because we were not able to go for counting. So we requested to authorise the chief election agent to give us the election certificate. The second thing is that in the old city,… pic.twitter.com/rmPsmAhIQ6
— ANI (@ANI) December 2, 2023
एग्जिट पोल से एक तस्वीर पता चलती है कि किसकी सरकार बनने के आसार हैं। एग्जिट पोल महज एक अनुमान होता है और कई बार ये गलत भी साबित हो जाते हैं। मिजोरम की 40 सीटों पर सात नवंबर, मध्य प्रदेश की 230 सीटों के लिए 17 नवंबर, राजस्थान की 199 सीटों के लिए 25 नवंबर, छत्तीसगढ़ की 90 सीटों के लिए 7 और 17 नवंबर तथा तेलंगाना की 119 सीटों पर 30 नवंबर को मतदान कराए गए हैं। इन चुनावी नतीजों का असर अगले कुछ महीनों बाद होने जा रहे लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। लिहाजा ये चुनाव बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों के लिए बहुत ही अहम साबित होंगे।
एग्जिट पोल में एक सर्वे किया जाता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं। उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया। ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है। सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है। इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक अधिसूचना जारी कर 7 नवंबर सुबह 7 बजे से लेकर 30 नवंबर शाम 6:30 बजे तक ‘एग्जिट पोल’ करने, उसके प्रकाशन और प्रचार पर पाबंदी लगा दी थी।
छत्तीसगढ़ में 2 चरणों में, 7 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान हुआ। वहीं मिजोरम, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 7 नवंबर, 17 नवंबर और 25 नवंबर को लोगों ने वोट डाले। 30 नवंबर को तेलंगाना में आज विधानसभा चुनावों की वोटिंग जारी है। लेकिन आज निर्वाचन आयोग ने एग्जिट पोल के समय में बदलाव कर दिया है। अब एग्जिट शाम 6:30 की जगह 5:30 के बाद दिखाए जा सकते है।
MP में ज्यादा सीटों वाले दल के साथ खड़े होंगे निर्दलीय
मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर मतदान हुआ है. बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी है. India Today Axis My India के मुताबिक, राज्य में बीजेपी 140-162 के बीच सीटें जीत सकती है. कांग्रेस की सीटें 68-90 के बीच आ सकती हैं. तीन अन्य उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं. चुनावी नतीजे आने के बाद निर्दलीय या सपा-बसपा-जीजीपी से जीतने वाले उम्मीदवारों का रुख साफ हो सकेगा. हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं से इन छोटी पार्टियों के नेता संपर्क में हैं. 2018 में पहले जिन निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया था, वे नेता 2020 के उलटफेर के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. जानकार कहते हैं कि जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आती हैं या बहुमत के करीब होता है, उसे निर्दलीय और छोटे दलों का सहयोग-समर्थन भी हासिल होता है. 2018 में कांग्रेस ने 114, बीजेपी ने 109, बसपा ने दो, सपा ने एक, चार निर्दलीय ने चुनाव जीता था।
I will be counting agent for Jubileehills’s BJP Candidate Shri.Lankala Deepak Reddy(@LDR4BJP), Jubileehills is only constituency with highest number of rounds in entire Telangana State.
My favourite election Statement-2023#BjpJubileehillsConstituency https://t.co/8z7RnTWSyG pic.twitter.com/9DuJrqaWf8
— Advocate Neelam Bhargava Ram (@nbramllb) December 2, 2023
राजस्थान: कांग्रेस को थोड़ी बढ़त, उलटफेर की स्थिति में बीजेपी
राजस्थान में 199 सीटों पर चुनाव हो रहा है. यहां बहुमत के लिए 100 सीटें होना जरूरी है. इंडिया टुडे- एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस बहुमत हासिल कर सकती है. यानी राजस्थान में कांग्रेस 30 साल पुराना ट्रेंड तोड़कर वापसी कर सकती है. राज्य में कांग्रेस को 86-106 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी भी पीछे से कड़ी टक्कर दे रही है. बीजेपी को 80-100 सीटें मिल सकती हैं. अन्य छोटे दलों और बागी-निर्दलीय भी 9-18 सीटें जीतने की स्थिति में है. एग्जिट पोल के रुझान के बाद राजस्थान में छोटे दलों और बागी-निर्दलीय की पूछ-परख बढ़ने वाली है. चूंकि, कांग्रेस और बीजेपी दोनों बहुमत के करीब हैं. अगर कुछ सीटों का नुकसान होता है तो यही छोटे दल और बागी किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं. जानकार यह भी कहते हैं कि दोनों बड़ी पार्टियों की नजरें भी इन छोटे दलों के नेताओं पर हैं. 2018 के चुनाव के बाद अशोक गहलोत ने बसपा के सभी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करके चौंका दिया था. इस बार भी कुछ ऐसे ही चौंकाने वाली रणनीति सामने आ सकती है।
छोटे दल बनाएंगे राजस्थान में सरकार!
जानकार कहते हैं कि एग्जिट पोल में छोटे दलों-बागी निर्दलीय को करीब 20 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच 180 सीटों के बीच लड़ाई है. इन सीटों में ही सत्ता का बंटवारा होना है. नतीजे के बाद ही सरकार बनने-बिगाड़ने के नए समीकरण बनेंगे. राजस्थान में दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने साधने की राजनीति शुरू कर दी. जानकार कहते हैं कि वसुंधरा राजे और गहलोत दोनों के करीबी नेता भी इस बार बागी के तौर पर चुनावी मैदान में है. कुछ सीटों पर जीतने की स्थिति में भी हैं. अगर ये चुनाव जीतकर आते हैं तो सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. राजस्थान में 2018 में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं. बीजेपी 73 सीटों पर सिमट गई थी. बसपा ने छह, RLP ने तीन, निर्दलीय 13 और अन्य दलों से 5 उम्मीदवार चुनाव जीते थे।
छत्तीसगढ़: ‘काका’ पर भरोसा बरकरार.. बीजेपी क्या करेगी?
छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर चुनाव है. बहुमत के लिए 46 सीटें होना जरूरी है. राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी टाइट फाइट है. यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है. यहां तक कि त्रिशंकु विधानसभा भी बन सकती है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस थोड़ी आगे है और 40-50 सीटें जीतने का अनुमान है. जबकि बीजेपी 36-46 सीटें जीत सकती है. अन्य 1-5 सीटें जीत सकते हैं. सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को 42 फीसदी और बीजेपी को 41 फीसदी वोट शेयर मिल सकते हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनावों की तुलना में सत्तारूढ़ कांग्रेस को 23 सीटों का नुकसान होने की संभावना है. जबकि बीजेपी को 26 सीटों का फायदा हो सकता है. 2018 में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं. जबकि बीजेपी 15 सीटों पर सिमट गई थी।
छत्तीसगढ़ में छोटे दल और निर्दलीय बन सकते हैं किंगमेकर
जानकारों का कहना है कि छत्तीसढ़ में सरकार बनाने के लिए अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं. अगर कांग्रेस या बीजेपी बहुमत थोड़ा पीछे रहती हैं तो छोटे दलों-निर्दलीयों की मदद लेना चाहेंगी. ऐसे में यह दल-उम्मीदवार दोनों ही पार्टियों की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. बीजेपी और कांग्रेस के बागी भी चुनावी मैदान में हैं. कुछ सीटों पर ये उम्मीदवार अच्छी स्थिति में हैं. अमित जोगी की पार्टी भी चुनाव में दमखम के साथ मैदान में देखी गई है।
मिजोरम: विपक्षी दल के पक्ष में जबरदस्त रुझान
मिजोरम में 40 सीटों पर चुनाव हैं. बहुमत के लिए 21 सीटों की जरूरत होगी. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, मिजोरम में विपक्षी गठबंधन जोरम पीपल्स मूवमेंट 28-35 सीटें जीत रहा है. यानी सरकार बनाने की स्थिति में देखा जा रहा है. सर्वे में अनुमान लगाया गया कि मुख्यमंत्री जोरमथांगा का मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) लगभग का सूपड़ा साफ है. उसे केवल 3 से 7 सीटें ही मिलने की संभावना है. कांग्रेस को 2-4, बीजेपी को 0-2 सीटें मिल सकती हैं।
Election results can be viewed at https://t.co/nE20sjCx5S
Total 2417 rounds counting across #Telangana
Jubilee Hills 26 rounds counting
Bhadrachalam 13 rounds pic.twitter.com/XuKk8CHIj8— Naveena (@TheNaveena) December 2, 2023
दअरसल, मिजोरम के वर्तमान सीएम जोरमथंगा और उनकी पार्टी MNF के खिलाफ बहुत तगड़ी सत्ता विरोधी लहर देखी जा रही है. वहीं, 74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा के नेतृत्व में ZPM (जोरम पीपल्स मूवमेंट) के पक्ष में जबरदस्त लहर है. लालदुहोमा ने कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम से 1984 का लोकसभा चुनाव जीता था. 2018 के विधानसभा चुनाव में वो और उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट एक गठबंधन पार्टी में शामिल हो गए थे. ZPM ने प्रमुख विपक्ष दल बनने के लिए 8 विधानसभा सीटें जीतीं थीं. ZPM पार्टी का जन्म दिल्ली में AAP की ही तरह एक आंदोलन से हुआ था. इस पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार युवा हैं और 50 वर्ष से कम उम्र के हैं. वे शहरी क्षेत्र में लोकप्रिय हैं।
मिजोरम
लालदुहोमा भारतीय राजनीति में पहले ऐसे शख्स हैं, जिन पर दल-बदल कानून के तहत एक्शन हुआ और लोकसभा में संसद सदस्यता गंवानी पड़ी. वे कभी इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रमुख रहे हैं. उसी दौरान नौकरी से इस्तीफा दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्होंने उसी साल लोकसभा चुनाव लड़ा, जीता भी और कुछ समय बाद कांग्रेस छोड़ने का फैसला ले लिया. लालदुहोमा ने मिजोरम में एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘जोरम नेशनलिस्ट पार्टी’ का गठन किया. वो इसी पार्टी के फाउंडर और अध्यक्ष हैं।
तेलंगाना: केसीआर गंवा सकते हैं सत्ता
तेलंगाना में 119 सीटों पर चुनाव हैं. बहुमत के लिए 60 सीटें जरूरी हैं. यहां 2014 राज्य गठन के बाद से के चंद्रशेखर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति) की सरकार है. यानी 9 साल से केसीआर का सत्ता में दबदबा रहा है. लेकिन, इस बार सर्वे में केसीआर को तगड़ा झटका लगने का अनुमान लगाया गया है. चार एग्जिट पोल बताते हैं कि इस बार कांग्रेस को बीआरएस पर बढ़त मिल सकती है. कांग्रेस औसत अनुमानित संख्या के तौर पर 61 सीटें तक जीत सकती है. जबकि केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस को 46 सीटें जीतने का अनुमान है. चार एग्जिट पोल के औसत के अनुसार, राज्य में बड़े स्तर पर चुनावी अभियान शुरू करने वाली बीजेपी को सिर्फ सात सीटें जीतने की संभावना है. यहां जन की बात, पोलस्ट्रैट, मैट्रिज और टुडेज चाणक्य का सर्वे लिया गया है. आज इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल आएगा।
#WATCH | Telangana Congress president Revanth Reddy arrives at the Election Commission office in Hyderabad
The counting of votes for #TelanganaElections will take place tomorrow, December 3. pic.twitter.com/WAEvm4E4n6
— ANI (@ANI) December 2, 2023
जानकार कहते हैं कि टीआरएस सत्ता में रहने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. गठबंधन के रास्ते भी तलाशेगी. अगर बहुमत के लिए करीबी आंकड़ा रहा तो बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, एग्जिट पोल में जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, वो बीआरएस को सत्ता से काफी दूर रखते हैं. लेकिन बीजेपी और फिर 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही AIMIM अच्छ प्रदर्शन करती है तो बीआरएस के सत्ता में वापसी की संभावना बढ़ सकती है. ये दोनों बीआरएस को समर्थन देते हैं तो वो बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंच सकती है. फिलहाल, नतीजे के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
‘अगर बीजेपी 40 सीटें जीतती है तो…’
बीजेपी उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक टी राजा सिंह के दावे ने तेलंगाना में एक नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दिया है. राजा सिंह ने कहा, तेलंगाना में अगर हम (बीजेपी) 40 सीटें जीत जाते हैं तो बीआरएस के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी (भारत राष्ट्र समिति) ने हमसे (बीजेपी) संपर्क किया है. उनके तमाम नेता और विधायक हमारे संपर्क में हैं. हम भी BRS के विधायकों के संपर्क में हैं. इस बार चुनाव में केसीआर गजवेल और कामारेड्डी दो विधानसभा सीट से मैदान में हैं।
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बीजेपी किंगमेकर बन सकती है!
जानकार कहते हैं कि यदि बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव में डबल डिजिट में सीटें जीत लेती है तो तो काफी हद तक यह तय कर सकती है कि सरकार कौन बनाएगा. बीजेपी को किंगमेकर की भूमिका में ले जाने के लिए पार्टी संगठन ने पूरा जोर लगा दिया है. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां की हैं।
2018 में क्या थे सियासी समीकरण…
तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 6.98 प्रतिशत वोट मिले थे. लेकिन चार महीने बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़कर 19.65 प्रतिशत हो गया था. राज्य में सीटों की संख्या भी बढ़ गई थी. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली थी. जबकि लोकसभा में चार सीटों पर चुनाव जीता था. साल 2018 में BRS को 88, कांग्रेस को 19, AIMIM को सात और TDP ने दो सीटें जीती थीं. वर्तमान में तेलंगाना में बीआरएस के 101, AIMIM के 7, कांग्रेस के 5, बीजेपी के 3, एक निर्दलीय और दो अन्य विधायक हैं।(एएमएपी)