कॉरपोरेट्स के लिए घटा टैक्स पर मिडिल क्लास को राहत नहीं
भले ही मोदी सरकार ने डायरेक्ट टैक्स नहीं बढ़ाया हो। लेकिन जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूले जाने वाले अप्रत्यक्ष टैक्स ने हर घर के ऊपर महंगाई के बोझ को बढ़ाने का काम किया है। 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान बजट पेश करने के दो महीने बाद ही 20 सितंबर 2019 को केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया था। सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया है तो नई घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया। सरकार के इस कदम के चलते पार्लियामेंट कमिटी ऑन एस्टीमेट्स के मुताबिक 2019-20 में केंद्र सरकार को 86,835 करोड़ रुपये और 2022-21 में 96,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। यानि दो वर्षों में 1।84 लाख करोड़ रुपये सरकार को नुकसान हुआ था। सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया लेकिन इनकम टैक्स देने वाले मिडिल क्लास को किसी प्रकार की राहत नहीं दी।
मिडिल क्लास पर महंगे जीएसटी की मार
2022 में आम आदमी पहले से ही महंगाई से परेशान था। 28 – 29 जून 2022 को जीएसटी काउंसिल की बैठक में आम आदमी के इस्तेमाल वाली कई चीजों पर जीएसटी रेट बढ़ा दिया गया तो कई सामानों मिल रहे जीएसटी छूट को खत्म कर दिया गया। डिब्बा या पैकेट बंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। पहले इन वस्तुओं को जीएसटी से छूट मिली हुई थी। टेट्रा पैक और बैंक की तरफ से चेक जारी करने की सेवा पर 18 फीसदी जीएसटी के साथ एटलस समेत नक्शे तथा चार्ट पर 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। बाहर घूमने जाना भी महंगा हो जाएगा। पहले 1,000 रुपये से कम के किराये वाले कमरे पर जीएसटी नहीं लगता था। लेकिन 18 जुलाई, 2022 से 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल कमरों पर 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये आईसीयू को छोड़कर 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। 2022 में ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई से जुड़ी चीजें अब महंगी हो गई। जीएसटी काउंसिल ने प्रिंटिंग-ड्राइंग इंक, पेंसिल शार्पनर, एलईडी लैंप, ड्राइंग और मार्किंग करने वाले प्रोडक्ट्स, पर भी जीएसटी रेट बढ़ा दिया। इन वस्तुओं पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है।
2022 में महंगाई ने मार डाला
वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2022 को जब बजट पेश किया था उसके कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। उसके बाद कच्चे तेल, गैस समेत सभी कमोडिटी के दामों में भारी इजाफा देखा गया। कच्चे तेल के दामों में उछाल से पेट्रोल डीजल महंगा हुआ तो गैस के दामों में उछाल से सीएनजी पीएनजी महंगा होता चला गया। खाने के तेल के दाम से लेकर गेंहू के दाम आसमान छूने लगे। कमोडिटी के दामों में उछाल से कंपनियों की लागत बढ़ गई। जिसका भार कंपनियों ने ग्राहकों को ऊपर डाल दिया। एफएमसीजी से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स के दामों में इजाफा कर दिया। इस महंगाई ने मिडिल क्लास के बजट को बिगाड़ दिया।
महंगाई के चलते ईएमआई भी महंगी
रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद महंगाई में तेज उछाल आई। मई 2022 से आरबीआई ने महंगाई पर नकेल कसने के लिए सस्ते कर्ज के दौर को खत्म करते हुए अपने पॉलिसी रेट्स को बढ़ाना शुरू किया। अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7।79 फीसदी रही और उसके बाद लंबे समय तक खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के ऊपर बनी हुई थी। जिसके बाद आरबीआई ने पांच मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में हर बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की। जो रेपो रेट अप्रैल 2022 तक 4 फीसदी हुआ करता था वो अब 6।25 फीसदी हो चुका है यानि 2।25 फीसदी महंगा। आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों से लेकर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों ने कर्ज महंगा कर दिया। जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया था उनकी ईएमआई बहुत महंगी हो गई और जो लोग लोन लेने की सोच रहे थे उनके लिए कर्ज लेना महंगा हो गया।
महंगे रसोई गैस, ईंधन ने बिगाड़ा बजट
कोरोना के पहले लहर के दौरान जब लॉकडाउन लगा जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी कमी के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 13 रुपये तो डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दिया। तब सरकार पेट्रोल पर 32।9 रुपये और डीजल पर 31।8 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूल रही थी। 4 नवंबर 2021 को क्रूड ऑयल के दामों में भारी उछाल के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी को घटाया। इसके बाद रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जब सरकारी तेल कंपनियों के दामों में इजाफा करने के बाद पेट्रोल डीजल महंगा हो गया तब सरकार ने मई 2022 में पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये लीटर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों के 120 डॉलर से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने के बाद भी तेल कंपनियों आम लोगों को राहत नहीं दे रही हैं। उसपर से रसोई गैस भी महंगा हुआ है। 2022 में 150 रुपये प्रति सिलेंडर रसोई गैस के दाम बढ़े हैं और अब 1053 रुपये एक एलपीजी सिलेंडर दिल्ली में मिल रहा है। सीएनजी और पीएनजी के दामों में भी भारी उछाल आया है।
मंदी के डर ने बढ़ाई चिंता
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते डिमांड-सप्लाई गैप के कारण महंगाई में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। महंगाई पर नकेल कसने के लिए अमेरिका यूरोप के सेंट्रल बैंकों ने कर्ज महंगा किया है। इसके चलते इन देशों में आंशिक मंदी आने की आशंका गहरा गई है। कंपनियां खर्च घटाने के लिए जबरदस्त छंटनी करने में लगी है जिसमें ग्लोबल आईटी कंपनियां भी शामिल है। भारत सर्विसेज का बड़ा एक्सपोर्टर है। इन विकसित देशें में आने वाले आर्थिक संकट का असर भारत पर भी पड़ सकता है। ऐसे में वैश्विक मंदी की किसी भी संभावना से निपटने के लिए मोदी सरकार को वैसी ही तैयारी करनी होगी जैसा 2008 में ग्लोबल फाइनैंशियल क्राइसिस के मंदी से निपटने के लिए किया गया गया था।
मिडिल क्लास को क्या मिलेगी राहत
वित्त मंत्री जब कह रही हैं कि उन्हें मिडिल क्लास के तकलीफों का एहसास है तो सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार अपने आखिरी पूर्ण बजट में मिडिल क्लास को राहत देती है? क्या टैक्स का बोझ कम होगा? क्या महंगाई से राहत मिलेगी? हालांकि मिडिल क्लास के दर्द का वित्त मंत्री को कितना एहसास है इसका पता तो एक फरवरी 2023 को ही लगेगा। (एएमएपी)