पहले खरगे अब सुक्खू…क्या परिवारवाद मुक्त हो रही कांग्रेस ?
हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू होंगे। एक लंबी खींचतान और तमाम बैठकों के बाद कांग्रेस हाई कमान की तरफ से यह फैसला आया। चाहे सुक्खू के समर्थन में कितने ही विधायक क्यों न हो कांग्रेस के पहले के फैसलों को देख लग रहा था सीएम पद की कुर्सी किसी और को मिलेगी, लेकिन अब शायद पार्टी ने ‘नई’ पॉलिटिक्स अपनाने का फैसला पक्का कर लिया है।कांग्रेस ने हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के परिवार को नजरअंदाज करते हुए पार्टी के कद्दावर नेता के हाथ में कमान सौंपने का फैसला किया। इससे पहले भी कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान सौंपकर यह संदेश दिया था कि वह परिवारवाद से किनारा कर रही है।हिमाचल में कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद से ही वीरभद्र की पत्नी और मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह इस रेस में सबसे आगे नजर आ रही थीं, लेकिन कांग्रेस ने सभी के कयासों को गलत साबित करते हुए एक ‘कॉमनमैन’ के हाथों में कमान सौंपी, जोकी लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े हैं और आम जनता में गहरी पकड़ रखते हैं।
कांग्रेस ने सुक्खू को क्यों सौंपी सीएम पद की कमान?
यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि कांग्रेस हर बार परिवारवाद का साथ देती नजर आई है, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने के बाद पार्टी में सभी कुछ बदला बदला नजर आ रहा है। वहीं, अगर सुखविंदर सिंह सुक्खू पर दांव चलने की बात है तो कांग्रेस ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि सुक्खू की पकड़ जनता में काफी मजबूत है। उनकी छवि हमेशा से ही एक आम आदमी की तरह रही है। इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि सुक्खू के पास पार्टी के 40 में से 25 विधायकों का समर्थन था।
बढ़ सकता था विधायकों को नाराज करने का जोखिम
कांग्रेस ने इस फैसले से न केवल परिवारवाद को कम किया बल्कि भविष्य में होने वाले किसी भी तरह के विवाद को यहीं रोक दिया है। क्योंकि अगर 25 विधायकों का समर्थन मिलने के बाद भी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो यह समर्थक आने वाले समय पर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते थे। यह भी एक कारण है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रतिभा सिंह पर ही भारी पड़ गए।(एएमएपी)