मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ

तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ

फिर ऐसा कोई ख़ास कलम वर नहीं हूँ मैं

लेकिन वतन की ख़ाक से बाहर नहीं हूँ मैं

रामलीला, कम्बोडिया

कोई पयाम ए हक़ हो वो सब है मेरे लिए

दुनिया का हर बुलंद अदब है मेरे लिए

वो राम जिसका नाम है जादू लिए हुए

लीला है जिसकी ॐ की खुशबू लिए हुए

रामलीला ऐशबाग, लखनऊ

अवतार बन के आयी थी ग़ैरत शबाब की

भारत में सबसे पहली किरण इंक़लाब की

मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ

तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ

रामलीला, बरेली

हर गाम जिसका सच का फरेरा ही बन गया

वनवास ज़िन्दगी का सवेरा ही बन गया

एक तर्ज एक एक बात है हर ख़ास ओ आम से

मिलते हैं कैसे कैसे सबक हमको राम से

रामलीला, जबलपुर

ऊंचा उठे तो फ़र्क़ न लाये सऊर में

कोई बढ़े न हद से ज्यादा गुरुर में

जंगल में भी खिला तो रही फूल की महक

गुदरी में रह के लाल की जाती नहीं चमक

रामलीला, रामनगर

दिल से कभी ये प्यार निकाला न जायेगा

माँ बाप का ख्याल भी टाला न जायेगा

बेटा वही जो माँ बाप की फरमान मान ले

शौहर वही जो लाज पे मरने की ठान ले

रामलीला, बाली-इंडोनेशिया

और बाप वो जो बेटों को लव-कुश बना सके

उनको जगत में जीने के सब गुण सिखा सके

भाई जो चाहे भाई को तलवार की तरह

जरनल जो रखे फ़ौज को परिवार की तरह

Artists In Ayodhya For Ramleela. - रामलीला के लिए अयोध्या पहुंचे कलाकार बोले- मंदिर बनने के बाद ताजमहल से ज्यादा पर्यटक अयोध्या आएंगे - Amar Ujala Hindi News Live

राजा वही गरीब से इन्साफ कर सके

दलदल से जात पात से हरदम उबर सके

जो वर्ण भेद भाव के चक्कर को तोड़ दे

शबरी के बेर खा के ज़माने को मोड़ दे

लव-कुश रामलीला, दिल्ली

इंसान हक़ की राह में हरदम जमा रहे

ये बात फिर फिजूल की लश्कर बड़ा रहे

ईमान हो तो सोने का अम्बार कुछ नहीं

हो आत्मबल तो लोहे के हथियार कुछ नहीं

गुयाना में रामलीला का मंचन

रावण की मैंने माना की हस्ती नहीं रही

रावण का कारोबार है फैला हुआ अभी

छाया हर एक सिम जो अँधेरा घना हुआ

हिन्दुस्तान आज है लंका बना हुआ

बलूचिस्तान में रावण दहन -1920 का दृश्य

जो जुल्म से डरे वो उपासक  हो राम का

सोने पे जान दे वो उपासक हो राम का

वो राम जिसने जुल्म की बुनियाद ढाई थी

जिसके भगत ने सोने की लंका जलाई थी


हॉलैंड में नेदरलैंड थियेटर की रामलीला

हर आदमी ये सोचे जो होशो हवास है

वो राम के करीब है रावण के पास है

लोगों को राम से जो मोहब्बत है आज कल

पूजा नहीं अमल की जरुरत है आज कल

मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ

तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ


ये भी पढ़ें

शम्सी मीनाई : नाम खूब कमाया, दाम नहीं मिला

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments