आपका अखबार ब्यूरो।
बाप बेटे दोनों एक ही पार्टी में थे। पिछले साल बेटा दूसरी पार्टी में शामिल हो गया और लोकसभा चुनाव के मैदान में है। अब बाप चुनाव प्रचार करते हुए मतदाताओं से अपने बेटे को हराने की अपील करते हुए कह रहा है कि मेरा बेटा जीतना नहीं चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एक के एंटनी के पुत्र अनिल के एंटनी ने कुछ महीने पहले कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। अनिल एंटनी ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री पर विवाद के बाद कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया था। भारतीय जनता पार्टी ने अनिल एंटनी को केरल की पथानामथित्ता लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
तिरुवनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ए के एंटनी ने कहा कि दक्षिण केरल की पथानामथित्ता सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उनके बेटे और भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार अनिल के एंटनी को चुनाव में हारना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस सीट कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार एंटो एंटनी को चुनाव जीतना चाहिए और उनके बेटे की पार्टी यानी भारतीय जनता पार्टी को हारना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे अनिल एंटोनी ने भाजपा में शामिल होकर गलती की है।
पेशे से टेक एंटरप्रेन्योर अनिल एंटनी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2007 में तिरुवनंतपुरम के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद अनिल एंटनी मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए थे। अनिल एंटनी ने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से साइंस एंड इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री ली।
लोकसभा चुनाव में इस बार सात चरणों में मतदान कराये जाएंगे। लोकसभा की कुल 543 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में 19 अप्रैल को 102 सीट, दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 89 सीट, तीसरे चरण में 7 मई को 94 सीट, चौथे चरण में 13 मई को 96 सीट, पांचवें चरण में 20 मई को 49 सीट, छठे चरण में 25 मई को 57 सीट और सातवें और अंतिम चरण में एक जून को 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। चुनाव के परिणाम 4 जून को घोषित होंगे।
पूर्व रक्षा मंत्री ने एके एंटनी ने कहा कि कांग्रेस ही उनका धर्म है। लोकसभा चुनाव पर बात करते हुए उन्होंने इसे ‘करो या मरो’ का चुनाव करार दिया। उनका कहना था कि 2024 का लोकसभा चुनाव यह तय करेगा कि भारत की अवधारणा का अस्तित्व होना चाहिए या नहीं।