राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मलेन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को इसके समापन की घोषणा कर दी है। उन्होंने सांकेतिक रूप से जी20 की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को सौंप दी। अगले साल ब्राजील में जी20 सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। हालांकि नवंबर आखिरी तक अध्यक्षता भारत के पास ही रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति को बधाई थी। समापन की घोषणा करते हुए उन्होंने संस्कृति के श्लोक के जरिए संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामना की। उन्होंने कहा कि अब हमारी जिम्मेदारी है कि जो सुझाव आए हैं उनकी दिशा में प्रगति लाने के लिए गंभीरता से विचार करें।

नवंबर में हो सकता है वर्चुअल जी20 सम्मेलन

प्रधानमंत्री ने कहा, आप सब जानते हैं कि नवंबर तक जी 20 अध्यक्षता की जिम्मेदारी है। अभी ढाई महीने बाकी है। इन दो दिनों में आप सबने ने अनेक बातें यहां रखीं और सुझाव दिए। हमारी जिम्मेदारी है कि जो सुझाव आए हैं उनको एक बार फिर देखा जाए कि उनकी प्रगति में गति कैसे लाई जा सकती है। हमारा प्रस्ताव है कि नवंबर के अंत में जी20 का एक वर्चुअल सेशन और रखें. उस सेशन में समिट के दौरान तय विषयों की समीक्षा कर सकते हैं। इन सबकी डीटेल हमारी टीम आपके साथ शेयर करेगी। उम्मीद है कि आप सब इसके साथ जुड़ेंगे। इसी के साथ जी20 समापन की घोषणा करता हूं। स्वस्ति अस्तु विश्वस्व। संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो।

अफ्रीकन यूनियन जी20 में शामिल

जी20 सम्मेलन में काफी कुछ हासिल किया गया है। इस सम्मेलन में अफ्रीकी यूनियन को भी जी20 में स्थायी सदस्यता दी गई है। इससे एक नई अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा और अफ्रीका के विकासशील और गरीब देशों को भी वैश्विक फैसलो में प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके अलावा नई दिल्ली घोषणापत्र को सर्वसहमति से मंजूर किया गया। यह भारत की कूटनीति का बड़ा उदाहरण है। इस घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया गया। हालांकि रूस का सीधा नाम नहीं लिया गया। वहीं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए भी इसमें जिक्र किया गया।

आसान नहीं थी घोषणापत्र पर सहमति

घोषणापत्र पर सभी देशों की मंजूरी आसान नहीं थी।  इस घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की भी निंदा की गई। हालांकि रूस ने भी इसको स्वीकार किया। रूस का नाम इस घोषणापत्र में नहीं लिखा गया था। पश्चिमी देश चाहते  थे कि घोषणापत्र में रूस की निंदा की जाए। हालांकि शेरपा अभिताभ कांत ने साफ कर दिया था कि इस मंच पर युद्ध को मुद्दा नहीं बनाया जाएगा बल्कि आर्थिक और विकास की गतिविधियों पर बात होगी। बाली शिखर सम्मेलन में रूस को घोषणापत्र अच्छा नहीं लगा था। हालांकि शब्दों की कूटनीति के जरिए उन्हें यहां पर सहमत करवा लिया गया। (एएमएपी)