(11 फरवरी पर विशेष)

देश-दुनिया के इतिहास में 11 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का बजाज समूह से गहरा रिश्ता है। समूह के संस्थापक जमनालाल बजाज ने इसी तारीख को अंतिम सांस ली थी। जमनालाल चार नवंबर 1889 को गरीब मारवाड़ी घर में पैदा हुए थे। आज के राजस्थान और तब की जयपुर रियासत के सीकर में। केवल चौथी कक्षा तक पढ़े थे। जमनालाल जब पांच साल के थे, तब वर्धा के सेठ बच्छराज ने उन्हें गोद ले लिया। सेठ बच्छराज के पास बहुत संपत्ति थी, लेकिन जमनालाल को पैसे से प्यार नहीं था। एक बार की बात है। सेठ बच्छराज के परिवार को किसी शादी में जाना था। उन्होंने जमनालाल से कहा कि वो भी हीरे-पन्नों से जड़ा एक हार पहनकर आएं।जमनालाल ने मना कर दिया और इस बात पर दोनों में अनबन हो गई। अनबन के बाद जमनालाल घर छोड़कर चले गए। उस वक्त उनकी उम्र 17 साल थी। बाद में उन्होंने एक स्टाम्प पेपर पर पिता को ये लिखकर भेजा कि उन्हें उनकी संपत्ति में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने लिखा, ‘मैं कुछ लेकर नहीं जा रहा हूं। तन पर जो कपड़े थे, बस वही पहने जा रहा हूं। आप निश्चिंत रहें। मैं जीवन में कभी आपका एक पैसा भी लेने के लिए अदालत नहीं जाऊंगा। इसलिए ये कानूनी दस्तावेज बनाकर भेज रहा हूं।’

बाद में किसी तरह जमनालाल को ढूंढ़ा गया और घर आने के लिए मनाया गया। जमनालाल घर आ गए, लेकिन वो संपत्ति का त्याग कर चुके थे। लिहाजा जब विरासत में उन्हें संपत्ति मिली, तो उन्होंने उसका दान करना शुरू कर दिया। जमनालाल जीवनभर खुद को ट्रस्टी की तरह ही मानते रहे। ये वही जमनालाल हैं, जिन्हें सेठ जमनालाल बजाज के नाम से जाना जाता है। जमनालाल थे तो उद्योगपति, लेकिन कभी उद्योगपति की तरह नहीं रहे। उन्हें आज भी उद्योगपति ही माना जाता है, लेकिन वो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे थे। सेठ जमनालाल बजाज का निधन 11 फरवरी 1942 में हुआ था।

जमनालाल गांधीजी से बहुत प्रभावित थे। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी ने जब साबरमती में आश्रम बनाया, तो जमनालाल उनके साथ आश्रम में ही रहे। 1920 में नागपुर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। उसमें जमनालाल ने गांधीजी के सामने अजीब सा प्रस्ताव रख दिया। उन्होंने कहा कि वो उनका 5वां बेटा बनना चाहते हैं और गांधीजी को अपने पिता के रूप में गोद लेना चाहते हैं।

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शुरुआत में तो ये प्रस्ताव सुनकर गांधीजी को बहुत आश्चर्य हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने जमनालाल को अपना पांचवां बेटा मान ही लिया। 16 मार्च, 1922 को साबरमती जेल से गांधीजी ने जमनालाल को भेजी एक चिट्ठी में लिखा, तुम पांचवें पुत्र तो बने ही हो, लेकिन मैं योग्य पिता बनने की कोशिश कर रहा हूं। जमनालाल बजाज ने 1920 के दशक में शुगर मिल के जरिए बजाज ग्रुप की शुरुआत की। हालांकि, इसकी पूरी कमान उनके बड़े बेटे कमलनयन बजाज ने संभाली। जमनालाल आजादी की लड़ाई में लगे रहे। आज के समय में बजाज ग्रुप में 25 से ज्यादा कंपनियां हैं।(एएमएपी)