भक्ति भाव में डूबा महाराष्ट्र।

देशभर में मंगलवार को गणपति बप्पा की धूम है। गणेश चतुर्थी पर मंदिरों और पंडाल में गणेशोत्सवमनाया जा रहा है। मुंबई महानगर के 2,729 सार्वजनिक गणेशोत्सव पांडालों में भगवान गणेश विराजमान हो गए हैं। साथ ही लाखों की संख्या में लोगों ने अपने घरों में भगवान गणेश को प्रतिस्थापित किया है। इस तरह पूरा मुंबई शहर भगवान गणेश के भक्ति भाव में डूब गया है और पूरा महाराष्ट्र गणेशमय हो गया है।

मुंबई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने शासकीय निवास वर्षा बंगले पर मंगलवार को गणपति की प्रतिस्थापना की है। शिंदे परिवार सहित शासकीय अधिकारियों ने कर्मचारियों ने वर्षा बंगले पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की है। मुख्यमंत्री ने मुंबई सहित पूरे राज्यवासियों को गणपति पर्व की शुभकामना दी है। इसी तरह मुंबई में सभी पार्टी के नेताओं ने भगवान गणेश की प्रतिस्थापना अपने आवास पर की है।

मुंबई शहर में गणेशोत्सव के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए 11,726 कांस्टेबल, 2,024 पुलिस अधिकारी और 15 डिप्टी कमिश्नर मुंबई में चप्पे पर तैनात किये गए हैं। गणेशोत्सव के दौरान यातायात पुलिस ने महानगर में वाहनों के आवागमन के लिए कई कदम उठाये हैं, जिनमें भारी वाहनों पर प्रतिबंध भी शामिल है। आज से 29 सितंबर के बीच सभी प्रकार के भारी वाहनों को आधी रात से सुबह 7 बजे के बीच संचालन की अनुमति दी गई है।

गणेशोत्सव पांडालों में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से लेकर अयोध्या के राम मंदिर तक की प्रतिकृति की आकर्षक सजावट की गई है। मुंबई के मशहूर लालबाग का राजा, अंधेरी का राजा आदि गणेशोत्सव मंडलों की ओर प्रतिस्थापित भगवान गणेश का दर्शन पाने के भक्तगण कतार बद्ध होने लगे हैं। इन मंडलों के कार्यकर्ताओं ने भक्तों के लिए जलपान आदि की भी व्यवस्था की है।

लाल बाग के राजा हुए काशी में विराजमान

महादेव की नगरी काशी में भी गणेशोत्सवकी धूम मची हुई है। वाराणसी के पंडालों में भगवान गणेश की चांदी सहित अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान की गईं हैं। वहीं, 21 तरह की खास वनस्पतियों से भगवान गणेश की पूजा और श्रृंगार किया गया है। भगवान गणेश की सुंदर-सुंदर झांकियां और पालकी भी निकाली गईं हैं। वाराणसी के कई पंडालों में सैकड़ों साल से पंडाल सजाए जा रहे हैं। इस बार भी काशी में कई पंडाल लगाए गए हैं। यह वाराणसी में मनाए जाने वाला सबसे पहला गणेशोत्सव है। ब्रह्मा घाट स्थित काशी गणेशोत्सव कमेटी ने इस परंपरा को निभा रही है। दूध विनायक मंदिर के पास भगवान लंबोदर को डोली पर विराजमान करके पारंपरिक गीतों का गान करते हुए मंगल भवन तक पहुंचाया गया। यहां पर पारंपरिक परिधानों में सजी धजी महिलाओं ने गणेश भगवान का स्वागत किया। वैदिक विधि से भगवान की पूजा अर्चना की गई।(एएमएपी)