सोरोस पर क्या बोले जयशंकर?
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “सोरोस मानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक नहीं है। कुछ समय पहले ही उन्होंने हम पर आरोप लगाया था कि हम करोड़ों मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि जाहिर तौर पर नहीं हुआ। मैं कह सकता है कि मिस्टर सोरोस एक बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले व्यक्ति हैं, जो कि अभी भी न्यूयॉर्क में बैठे हैं और सोचते हैं कि उनके विचारों से फैसला होना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे चलेगी।
जयशंकर ने आगे कहा, “मैं सोरोस को सिर्फ बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाला कहकर रुक सकता हूं। लेकिन वे बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले के साथ खतरनाक भी हैं। जब ऐसे लोग और संस्थान विचार रखते हैं, तो वे अपने संसाधनों को नैरेटिव गढ़ने में लगा देते हैं।”
जयशंकर ने कहा, “सोरोस जैसे लोगों को लगता है कि चुनाव तभी अच्छे हैं, जब उनकी पसंद का व्यक्ति जीत जाए। लेकिन अगर चुनाव का नतीजा कुछ और होता है, तो वह उस देश के लोकतंत्र को त्रुटिपूर्ण कहने लगते हैं और यह सब एक खुले समाज की वकालत करने के नाम पर किया जाता है। ”
भारत के लोकतंत्र पर भी की टिप्पणी
भारत के विदेश मंत्री ने लोकतंत्र पर अपनी राय रखते हुए कहा, “आज जब मैं अपने लोकतंत्र को देखता हूं। यहां पर मतदाताओं की भागीदारी, जो कि अभूतपूर्व है; चुनाव के नतीजे, जो कि निर्णायक हैं; चुनावी प्रक्रिया, जिस पर सवाल नहीं उठते। हम वह देश नहीं हैं, जहां चुनाव के बाद इसे चुनौती देने के लिए कोई कोर्ट जाता है।”
क्या बोले थे जॉर्ज सोरोस?
अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है कि गौतम अदाणी के कारोबारी साम्राज्य में मची उथल-पुथल से शेयर बाजार में बिकवाली आई है और इससे निवेश के अवसर के रूप में भारत में विश्वास हिला है। यह देश में लोकतांत्रिक पुनरुद्धार के दरवाजे खोल सकता है। सोरोस के इस बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया है।
सोरोस, जिनकी नेटवर्थ लगभग 8.5 बिलियन डॉलर है ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं। यह फाउंडेशन लोकतंत्र, पारदर्शिता और बोलने की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले समूहों और व्यक्तियों को अनुदान देता है।(एएमएपी)