प्रदेश में मिथकों को तोड़ रही यूपी रोडवेज में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी।

उत्तर प्रदेश में किसी गंतव्य तक जाने के लिए यदि आप रोडवेज की बस को चुनते हैं तो हो सकता है कि आपका टिकट काटने वाली कंडक्टर कोई महिला हो। ये आपके लिए सामान्य बात हो सकती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश रोडवेज में काफी समय से महिला कंडक्टर इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही हैं। हालांकि सफर के दौरान यदि आपकी नजर ड्राइविंग सीट की ओर जाए और वहां किसी महिला को बस ड्राइव करते देखें तो चौंक मत जाइएगा। प्रदेश की बेटियां अब राज्य की परिवहन सेवा का स्टेयरिंग भी संभाल रही हैं। 2022 में ही रोडवेज ने पहली बार रोडवेज बस की ड्राइविंग सीट पर महिला ड्राइवर को बिठाया था और तब से अब तक कई और महिलाएं इस भूमिका के लिए तैयार हो चुकी हैं।प्रदेश की महिलाएं ड्राइविंग सीट हों, कंडक्टर की सीट हो या भी कोई भी अन्य विभागीय काम, हर जगह महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को उठा रही हैं। ये इस बात का प्रतीक है कि उत्तर प्रदेश में नारी शक्ति को आत्मनिर्भर, स्वावलंबी और सशक्त बनाने के जो प्रयास मुख्यमंत्री योगी ने 2017 के बाद से शुरू किए थे, वो सही दिशा में हैं और अब धरातल पर इसकी बानगी भी दिखने लगी है।

31 दिसंबर 2022 को प्रियंका शर्मा उत्तर प्रदेश की पहली रोडवेज बस ड्राइवर बनी थीं। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा नियुक्त 26 महिला ड्राइवरों में से प्रियंका भी एक हैं। ये सभी महिला ड्राइवर कौशल विकास मिशन के तहत मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से 24 महीनों की ट्रेनिंग लेकर स्टेयरिंग संभाल रही हैं।

हल्के और भारी वाहनों को चलाने में निपुण इन महिलाओं को रोडवेज के प्रदेश के अलग-अलग डिपो में तैनाती दी गई है। इन्हें इनके गृह जनपद के डिपो में 17 महीने तक बसों को चलाने का मौका दिया गया है, जिसके बाद बतौर संविदा चालक रोडवेज में भर्ती कर लिया जाएगा। प्रदेश में अपनी तरह की यह अनूठी शुरुआत कौशल विकास मिशन और रोडवेज के संयुक्त प्रयास से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आठ मार्च 2020 को की गई थी। इसके तहत इन्हें 200 घंटे की हल्के वाहन (एलएमवी) की ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद इन्हें 400 घंटों की हैवी वाहन यानी बस (एचएमवी) की ट्रेनिंग दी गई। इस प्रशिक्षण में नियमित कक्षाएं लगीं और इंटरव्यू एवं प्रैक्टिकल भी शामिल रहा।

महिला कंडक्टरों के सहारे बदल रही है तस्वीर

उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि रोडवेज में कंडक्टर पदों पर महिलाओं की भागीदारी और सड़कों पर महिला कंडक्टरों के सहारे दौड़ती बसें एक अलग ही तस्वीर दिखाती हैं। कभी महिलाओं के प्रति अपराधों के मामलों में अव्वल रहे यूपी में यह तस्वीर दिखाती है कि सीएम योगी के शासन में ला एंड आर्डर की स्थिति किस तरह महिलाओं के लिए सुरक्षित और अनुकूल हुई है। सड़क पर दौड़ती रोडवेज की बसों में उत्साह से लबरेज इन महिला परिचालकों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी में महिलाएं मिथकों को तोड़ते हुए उन पेशों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं, जिन पदों को अभी तक पुरुषों के लिए आरक्षित माना जाता था। सिर्फ ड्राइवर और कंडक्टर ही नहीं, यूपी रोडवेज में 1104 महिला कर्मचारी विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं जो विभाग में महिला शक्ति का परिचायक है।

विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हो रहीं महिलाएं

प्रवक्ता का कहना है कि यूपी रोडवेज में जहां महिलाएं विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे रही हैं वहीं विभाग भी मातृ शक्ति को सम्मान देते हुए कई तरह की योजनाओं से उन्हें लाभान्वित कर रहा है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस तरह की सुविधाओं में काफी इजाफा किया गया है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर रक्षाबंधन के पर्व पर महिलाओं के लिए यूपी रोडवेज में मुफ्त सफर की सुविधा प्रदान की गई। इसके माध्यम से 2022 में 22 लाख महिला यात्रियों ने मुफ्त में अपने गंतव्य तक का सफर किया, जिस पर करीब 19 करोड़ रुपये के खर्च को सरकार ने वहन किया। 2017 में 11 लाख से अधिक, 2018 में 11 लाख, 2019 में 12 लाख, 2020 में करीब 7.5 लाख और 2021 में करीब 10 लाख महिला यात्रियों ने मुफ्त यात्रा की। कुल मिलाकर विभाग और सरकार ने 2017 से 2022 के बीच इस यात्रा के लिए 54 करोड़ रुपये का वहन स्वयं किया। इसके अतिरिक्त बस अड्डों पर बच्चों को फीड कराने के लिए मातृ शिशु देखभाल कक्ष बनाए गए हैं। यूपीएसआरटीसी बोर्ड ने अपनी महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव देने का भी निर्णय लिया है। इसके अलावा महिलाओं को केंद्र में रखकर प्रदेश में 50 पिंक बसों का भी संचालन किया जा रहा है।(एएमएपी)