सुरेंद्र किशोर।
अगर दुश्मन में अच्छे गुण हो तो हमें उससे भी उन अच्छे गुणों को सीखने में कभी परहेज नहीं करना चाहिए- यह बात भारतीय संस्कृति में अच्छे से समझाई गई है। भगवान राम ने भी जब लंकापति रावण को मार डाला तो छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास भेजा था- राजनीति की शिक्षा लेने। रावण अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान् था। आचार्य चाणक्य ने भी इसी बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अच्छा लीडर वही बनता है जो सीखने में कभी भी संकोच नहीं करता। चाणक्य कहते हैं कि अगर दुश्मन से भी कुछ अच्छी बातें सीखने का मौका मिले तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए।

भ्रष्टों के लिए फांसी

चीन में भारत से कम भ्रष्टाचार है, फिर भी वहां भ्रष्टों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है। भारत में जो जितना बड़ा भ्रष्ट है- अपवादों को छोड़कर उसके लिए उतने ही अधिक ऊंचे पद तक पहुंचने की गुंजाइश है।
चीन की एक अदालत ने गुरुवार को वहां के पूर्व न्याय मंत्री फू झेंगहुआ को भ्रष्टाचार के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। इससे पहले सन 2013 में वहां के पूर्व रेलमंत्री को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि बाद में उसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। चीन में हमारे देश जैसा ढीला -ढाला लोकतंत्र नहीं है। वहां तानाशाही है। इसलिए शासन से वैसे ही लोग डरते हैं। पर, यहां (भारत में) कौन डरता है!
फिर भी चीन सरकार समझती है कि नाजायज तरीके से धन कमाने का लोभ इतना तीव्र होता है कि उस पर काबू पाने के लिए फांसी से कम की सजा से देश का काम नहीं चलेगा। चीन सरकार यह भी कहती है कि जेहादियों पर कारगर ढंग से काबू रखने का काम कोई लोकतांत्रिक देश नहीं कर सकता- यानी, हम ही कर सकते हैं।

अथ बकरा-कसाई भाईचारा!

‘ये’ देश है मेरा

हमारे देश में अपवादों को छोड़कर जो जितना बड़ा  भ्रष्ट, लुटेरा, तिकड़मबाज और घोटालेबाज है, उसके लिए उतने ही अधिक उच्च पद पर पहुंचने की गुंजाइश है। ऐसे में हमारे हुक्मरानों को भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कैसे करने देंगे? यहां तो जिस भ्रष्ट नेता के यहां अवैध ढंग से छिपाए गए करोड़ों रुपए पाए जाते हैं- वह नेता भी सरेआम आरोप लगाता है कि हमें बदले की भावना से फंसाया जा रहा है- परेशान किया जा रहा है।
कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी सह नेता ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि एक राजनीतिक पार्टी ने राज्यसभा की एक सीट के लिए उससे सौ करोड़ रुपए मांगे थे।

यत्र तत्र सर्वत्र

किसी उन्नत देश का सरकारी भ्रष्टाचार वहां के लोगों की सुख-सुविधा थोड़ा कम कर देता है। किंतु भारत में तो यत्र तत्र सर्वत्र सरकारी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। यहां तो गरीबों को अंततः मौत की नींद सुला देता है। वैसे भी भारत में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। यदाकदा खबर मिलती रहती है कि यहां के अनेक भ्रष्ट लोग पैसे के लोभ में राष्ट्रद्रोहियों की भी सहायता करते रहते हैं।

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बंगाल में सरकारें बदलीं- आरोप वही

चीन की सीमा में यदि कोई घुसने की कोशिश करता है तो वहां की सेना उसे तत्काल गोली मार देती है। पर हमारे यहां तो भारतीय सीमा में प्रवेश करवा कर विदेशियों को यहां मतदाता भी बनवा दिया जाता है। ममता बनर्जी ने सन 2005 में माकपा सरकार पर आरोप लगाया था कि वह घुसपैठियों को मतदाता बना रही है। अब यही आरोप दूसरे दल ममता सरकार पर लगा रहे हैं। ऐसे ही चल रहा है अपना देश! …कब तक चलेगा?