लंबे, घने, काले बाल भला कौन नहीं चाहता, लेकिन आजकल केवल बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि बच्चों और जवानों के बाल भी असमय सफेद होने लगे हैं। आमतौर पर 40 साल के बाद बालों का सफेद होना शुरू होता है, लेकिन कुछ विटामिन, मिनरल्स और पोषक तत्वों की कमी के कारण कई बार यंग एज में भी बाल सफेद होने लगते हैं। जब बालों के रोम वर्णक कोशिकाओं (पिगमेंट सेल्स) के जरिए पर्याप्त मेलेनिन का उत्पादन नहीं करते हैं तो इससे बाल सफेद हो जाते हैं। इसके पीछे तनाव, हार्मोनल परिवर्तन या यहां तक कि विटिलिगो नामक स्किन डिसीस शामिल है। आइए आज हम आपको बताते हैं, बालों के सफेद होने के पीछे क्‍या कारण है और बालों के लिए क्‍या जरूरी है।

विटामिन्स की कमी

बालों के विकास के साथ ही उनका प्राकृतिक रंग बरकरार रहने के लिए पोषण की जरूरत होती है। अगर हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो इससे बाल सफेद होने लगते हैं। कई तरह के विटामिन और खनिजों की कमी जैसे विटामिन बी 12, लोहा, तांबा और जिंक का की कमी सफेद बालों का कारण बन सकती है। ये पोषक तत्व मेलेनिन उत्पादन और बालों के रोम छिद्रों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

बालों को काला बनाता है विटामिन डी

विटामिन डी आपके बालों के रोमों को पोषण देता है। इसकी कमी के कारण बाल सफेद होने लगते हैं। द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्राइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जिन बच्चों में विटामिन डी का स्तर कम होता है, उनके बाल जल्दी सफेद होने लगते हैं। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन डी की कमी बालों के लिए जितनी खतरनाक है, विटामिन डी की अधिकता उतनी ही नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए इसका संतुलित सेवन जरूरी है। एक वयस्क को प्रतिदिन 1500 से 2000 आईयू विटामिन डी की जरूरत होती है।

आयरन और कॉपर है जरूरी

आयरन और कॉपर को बालों को टूटने व सफेद होने से बचाते हैं। आयरन की कमी से बालों की जड़ों में ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाता है और ये टूटने लगते हैं। वहीं कॉपर बालों को सफेद होने से बचाता है। प्रतिदिन लगभग 8 से 10 मिलीग्राम आयरन और लगभग 1000 से 1200 एमसीजी कॉपर का सेवन आपके लिए बेस्ट है। कॉपर और आयरन की पूर्ति के लिए आप नियमित रूप से हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। डार्क चॉकलेट और अंडे भी इसका अच्छा स्रोत हैं।

प्रोटीन है बालों की जरूरत

बाल मुख्य रूप से प्रोटीन से ही बने होते हैं। इसकी कमी के कारण न सिर्फ बाल असमय सफेद होने लगते हैं, बल्कि कमजोर होकर टूटने भी लगते हैं। वहीं खोपड़ी बालों तक पर्याप्त प्रोटीन पहुंचाकर उन्हें जीवित रखती है। ऐसे में बालों को हेल्दी रखने के लिए प्रोटीन का सेवन करना बहुत जरूरी है। खासतौर पर शाकाहारियों को प्रोटीन की आवश्यकता पूरी करने के लिए अमीनो एसिड का सेवन अधिक करना चाहिए। आपको अपने शरीर के वजन के अनुसार प्रति किलोग्राम एक ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

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हार्मोन्स परिवर्तन

शरीर में हार्मोनल परिवर्तन विशेष रूप से गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान बालों के रंग को प्रभावित कर सकते हैं। मेलानोसाइट-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एमएसएच) और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन में उतार-चढ़ाव और असंतुलन सफेद बालों की समस्या को बढ़ा सकते हैं।

तनाव और धूम्रपान

लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्राव होने लगता है जो लंबे समय तक बालों के रंग समेत शरीर के कई कार्यों को प्रभावित करता है। लंबे समय तक या ज्यादा तनाव मेलानोसाइट्स की कमी को बढ़ाता है जिससे सफेद बाल होते हैं। धूम्रपान विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। यह कई बीमारियों का कारण और इनमें एक सफेद बाल भी हैं। यह शरीर में हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बढ़ाता है। (एएमएपी)