अजय दीक्षित।

21 दिसम्बर की देर रात संसद के दोनों सदनों के शीतकालीन सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा और राज्यसभा में बिना विपक्ष के अनेक महत्वपूर्ण बिल पारित होगा । अब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की समिति से देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक मंत्री होगा । तीन सदस्यों की इस समिति में अब प्रधानमंत्री, एक मंत्री और विपक्ष के नेता होंगे । यूं आधिकारिक तौर पर लोकसभा में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं है क्योंकि किसी भी राजनैतिक दल के निर्धारित संख्या में सदस्य नहीं हैं । तो यह निष्कर्ष निकालना उचित ही होगा कि अब सत्तारूढ़ दल की इच्छानुसार चुनाव आयुक्त नियुक्त होंगे । सभी को निरर्थक ही सत्तारूढ़ दल पर पक्षपात का आरोप लगाने से बचना चाहिए। असल में सत्य दो मुंह होता है । जो गिलास आधा खाली है, वह आधा भरा भी है । हमारे शास्त्र में कहा गया है कि सत्य का मुख स्वर्ण से ढका हुआ है । इसी सत्र में कई विधि और न्याय से सम्बंधित पुराने कानूनों के स्थान पर नये कानून आ गये हैं । गृह मंत्री ने बिल पेश करते हुए ठीक ही कहा है कि अंग्रेजों के जमाने के पुराने कानून ‘दण्ड’ देने के लिए बनाये गये थे । नये कानून ‘न्याय’ देने के लिए बनाये गये हैं । सत्तारूढ़ दल को बधाई देनी चाहिए कि वह गुलाम मानसिकता से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही है ।

परन्तु इस सत्र में दोनों सदनों के 146 सांसदों का निलम्बन भी चिंता का विषय है । 24 कैरेट के तराजू पर आप कह सकते हैं कि इन सांसदों ने उन नियमों को तोड़ा जिन्हें सदन का सुचारू रूप से चलाने के लिए सर्व सम्मति से बनाया गया है । आज हम राजा राम की बात करते हैं । 22 जनवरी 2024 को राजा राम अपने भव्य मंदिर में प्रधानमंत्री के कर कमलों से विराजमान हो जायेंगे । श्री राम पर भी कुछ लोग आपत्ति उठाते हैं कि उन्होंने बाली को ओट में छिप कर मारा या फिर रावण को मारने का रहस्य रावण के सगे भाई विभीषण से जाना । पर श्री राम ने निष्कलंक और अग्नि परीक्षा दे चुकी सीता माता का परित्याग मात्र एक रजक की आपत्ति के कारण किया । श्री राम की सलाहकार समिति में एक सदस्य था –जाबाली । वह नास्तिक था । उसने श्री राम को दशरथ की बात न मानने की सलाह दी थी । चित्रकूट में भी उसने श्री राम को कहा था कि वे अयोध्या लौट चलें और राजगद्दी संभालें । मात्र एक रजक की आपत्ति पर अपनी धर्मपरायण अर्धांगिनी का परित्याग राम को राज धर्म लगा । भारतीय गणना में समय को युग और महायुग में बांटा गया है । एक महायुग में चार काल होते हैं कलियुग, द्वापर, त्रेता और सत्युग । श्री राम त्रेता युग में हुए थे । एक त्रेता युग 1,296,000 (बारह लाख छियान्वे हजार) साल का होता है और मनुष्य का एक वर्ष दैतीय युग में एक दिन होता है । यदि हम इतने वर्षों के बाद भी श्री राम को याद करते हैं तो इसलिए क्योंकि वे मर्यादा पुरुष थे । तो मुख्य बात मर्यादा की है ।

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विपक्ष की मांग को नकारते हुए प्रधानमंत्री या गृहमंत्री के कोई सभा में कोई वक्तव्य न देने के कारण जो विपक्ष का गतिरोध रहा, उसे श्री राम के उदाहरण से समझा जा सकता था कि प्रधानमंत्री या गृहमंत्री कहते कि लोकसभा में घुसपैठ की जांच लोकसभा अध्यक्ष के दायरे में आती है, जांच चल रही है और लोकसभा अध्यक्ष ही उचित व्यक्ति है जो कोई वक्तव्य दे सकते हैं । इतने पर भी यदि विपक्ष “हल्ला” मचाता तो उन्हें जन समर्थन नहीं मिलता । गांवों में कहावत है कि पिता जब बेटे से हारता है तब पिता की जीत होती है । प्रिंट और टी.बी. मीडिया ने आजकल के राजनेताओं को मीडिया में छाये रहने के लिए उकसाया है । हम तो सभी पक्षों को दूसरे की अपेक्षा अपने को छोटा मानने की सलाह दे सकते हैं । असल कुंजी जनता के हाथ में है और आज के माहौल में सन् 2024 में नरेन्द्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे, आज की जनता का मूड लगता है । (एएमएपी)